हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी है गुर्जर, जाट और राजपूत... जानिए ऐसा क्यों बोले मौलाना अरशद मदनी

हिंदू ही नहीं मुस्लिम भी है गुर्जर, जाट और राजपूत... जानिए ऐसा क्यों बोले मौलाना अरशद मदनी

नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को यहां दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी राजनीति और सांप्रदायिक नीतियों की वजह से लोकसभा चुनाव में बहुमत का आकंड़ा नहीं छू पायी, और तेलूगु देशम पार्टी एवं जनता दल (युनाइटेड) की बैसाखी से वह सरकार बना पायी। राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए मदनी ने कहा कि मुस्लिम बाहर से नहीं आए हैं, बल्कि इस देश के मूल निवासी हैं और यहां रहने वालों की पहचान मजहब की बुनियाद पर नहीं हो सकती है।

उन्होंने कहा कि अगर हिंदू गुर्जर, जाट एवं राजपूत हैं तो मुस्लिम भी गुर्जर, जाट और राजपूत हैं तथा कश्मीर में तो मुस्लिम भी ब्राह्मण हैं। मदनी ने कहा, “हम इस मुल्क के रहने वाले हैं। कोई इस मजहब को मानने लगा तो कोई दूसरा मजहब मानने लगा, क्या मजहब की बुनियाद पर हमें इस जीने का हक नहीं देंगे?” उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व कांग्रेस के तत्कालीन नेताओं - मोतीलाल नेहरू और जहवारलाल नेहरू - ने जमीयत को आश्वासन दिया था कि आज़ादी के बाद मुल्क धर्मनिरपेक्ष रहेगा तथा मुसलमानों को उनके धार्मिक एवं सांस्कृतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, लेकिन उत्तराखंड में भाजपा की सरकार, समान नागरिक संहिता लेकर आई । उन्होंने कहा कि इसका मकसद मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करना तथा सरकार निजी मामलों को लेकर जो कानून बनाए, उनका पालन कराना है।

उन्होंने कहा, “यह किस बात की धर्मनिरपक्षेता है? आपकी (भाजपा की) सरकार का बुनियादी मकसद यह है कि मुसलमान को उसके मजहब से दूर किया जाए।” मदनी (81) ने भाजपा पर सांप्रदायिक राजनीति और नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो भाजपा 2014 में प्रचंड जनादेश के साथ सत्ता में आई थी और ऐसा लग रहा था कि सारे अन्य दलों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। जमीयत प्रमुख ने कहा कि 10 साल में भाजपा ने जिस नीति को अपनाया है, यह उसी का नतीजा था कि इस बार लोकसभा में भाजपा की सीटें कम हो गईं।

उन्होंने कहा कि अगर तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू के नीतीश कुमार की बैसाखी नहीं होती तो भाजपा केंद्र में सरकार नहीं बना सकती थी। इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणियों को लेकर मदनी ने कहा कि शांति भंग करने के इरादे से इस तरह की टिप्पणियां करना भारत के कानून के खिलाफ है और यह सांप्रदायिकता है। डासना मंदिर के मुख्य पुजारी महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती का नाम लिये बगैर मदनी ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी करने वालों को ‘नज़रबंद’ कर दिया जाए और टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को गिरफ्तार किया जाए, तो “यह सरकार की सांप्रदायिकता है।”

उन्होंने कहा कि देश में अगर प्यार से और मिलजुल कर रहेंगे तो सबका कल्याण होगा और अगर दुश्मनी होगी सब बर्बाद हो जाएगा। मदनी ने असम में नागरिकता का मुद्दा, बुलडोजर न्याय समेत अन्य मुद्दों में शीर्ष अदालत से मिली राहत की पृष्ठभूमि में उच्चतम न्यायालय को गरीब और लाचार लोगों को पनाहगाह बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि आपराधिक मामलों में शामिल लोगों के घरों को तोड़े जाने पर कहा कि सरकार का यह काम मुल्क के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने नरेन्द्र सरकार से फलस्तीन के मुद्दे पर नीति को स्पष्ट करने को कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि वक्फ की ज़मीन को हड़पने की कोशिश की जा रही है। 

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