वित्तीय क्षेत्र का भविष्य

वित्तीय क्षेत्र का भविष्य

आम बजट से एक दिन पहले संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान जताया गया है वित्त वर्ष 2024 में देश की अर्थव्यवस्था 8.2 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण में बैंकों के घटते नॉन-परफॉर्मिंग एसेट और आम आदमी को राहत पहुंचाने के लिए एलपीजी, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती का जिक्र किया ।

सर्वेक्षण में महंगाई को काबू करने के लिए सरकार के उठाए गए कदमों की सराहना की गई है। वैश्विक श्रम बाजार में व्यवधानों और चौथी औद्योगिक क्रांति के प्रभावों के बीच प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में भारत के कार्यबल के लिए आने वाले महत्वपूर्ण बदलावों को स्वीकार किया गया है। स्वीकारना होगा कि देश में पर्याप्त रोजगार सृजन की तत्काल आवश्यकता है।

इसके लिए देखभाल अर्थव्यवस्था और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है। पिछले दो वर्षों से खाद्य मुद्रास्फीति एक वैश्विक घटना बनी हुई है। खराब मॉनसून की वजह से फसलों और खाने-पीने की चीजों की कीमतों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। 

कुछ खाद्य पदार्थों की महंगाई दर ऊंची है। हालांकि मुख्य महंगाई दर काफी हद तक काबू में है। प्रमुख महंगाई दर 4 फीसदी के नीचे है। गौरतलब है कि खुदरा मुद्रास्फीति जून में 5.08 प्रतिशत थी जबकि खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 9.36 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के कारण रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से नीतिगत दर में बदलाव नहीं किया है।

वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की गई। भारत की नीतियां चुनौतियों से कुशलतापूर्वक निपट पाईं। कहा जा सकता है कि निवेश में जो तेजी आई है वह सिर्फ पब्लिक सेक्टर (सरकार) में पूंजीगत खर्च से नहीं आई है बल्कि राज्य और केंद्र सरकारें, दोनों मिलकर भी पूंजीगत उत्पादन बढ़ा रही हैं। साथ ही प्राइवेट सेक्टर में भी पूंजीगत खर्च रिकवर हुआ है और लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वित्तीय क्षेत्र महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है, इसलिए इसे वैश्विक या स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली संभावित कमजोरियों के लिए तैयार रहना चाहिए।

मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद और आयात कीमतों में नरमी से आरबीआई के मुद्रास्फीति अनुमानों को बल मिलता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन ने भी कहा है कि 7 फीसदी की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट का लक्ष्य हासिल करना संभव है लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि मानसून की बारिश कैसी होती है। भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि तथा इसका प्रभाव आरबीआई की मौद्रिक नीति के रुख को प्रभावित कर सकता है। इसके बावजूद भारत के वित्तीय क्षेत्र का परिदृश्य उज्ज्वल है। वास्तव में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत तथा स्थिर स्थिति में है, जो भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में उसकी जुझारू क्षमता को दर्शाता है।