Kanpur News: साइबर फ्रॉड डिजिटल अरेस्ट करे तो घबराएं नहीं...फौरन डायल करें यह नंबर, मिलेगी मदद

साइबर सेल क्राइम ब्रांच लगातार लोगों को कर रही जागरूक

Kanpur News: साइबर फ्रॉड डिजिटल अरेस्ट करे तो घबराएं नहीं...फौरन डायल करें यह नंबर, मिलेगी मदद

कानपुर, अमृत विचार। साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बीच साइबर ठगों की ओर से डिजिटल अरेस्ट करने के मामले में भी वृद्धि हो रही है। आए दिन कोई न कोई फ्रॉड का शिकार हो रहा है। इसको लेकर साइबर सेल क्राइम ब्रांच लोगों को हर तरीके से जागरूक करने में लगी है। अगर किसी के साथ ऐसा होता है तो फौरन साइबर पुलिस हेल्पलाइन नंबर 1930 या फिर डायल-112 पर फोन कर इसकी सूचना दें।

साइबर सेल इंस्पेक्टर हरमीत सिंह ने बताया कि वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम कॉलिंग से डिजिटल अरेस्ट करने की धमकी मिले तो डरने की जरूरत नहीं है। साइबर ठगों ने लोगों से पैसा ऐंठने के लिए डिजिटल अरेस्ट का एक नया तरीका अपनाया है। उनके अनुसार जैसे मैं सीबीआई इंस्पेक्टर, कस्टम अधिकारी, इनकम टैक्स अधिकारी बोल रहा हूं, आपने नशा तस्करी की है। फर्जी पासपोर्ट और कुछ दस्तावेज मिले हैं। इसलिए आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है। व्हाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शातिर अपराधी तीन से चार घंटे वीडियो कॉलिंग करके डिजिटल अरेस्ट करने की धमकी देते हैं और फिर मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। 

सूत्रों के अनुसार इस तरह के नए पैंतरे में शहर के दो बड़े कारोबारी भी फंसे हैं, जिन्हें डिजिटल अरेस्ट किया गया। इंस्पेक्टर के अनुसार शातिर ठग वीडियो कॉलिंग करते हैं। हड़काकर कहते हैं कि सोशल मीडिया पर गलत वीडियो देखते हो, अपराध किया है। 

इंस्पेक्टर के अनुसार शातिरों के नए पैंतरे से सचेत और जागरूक रहने की जरूरत है। अगर किसी के पास इस तरह का कोई फोन आता है तो वह बिल्कुल न डरे, बल्कि उस नंबर को ब्लैक लिस्ट में डाल दें। इस तरह के फोन ज्यादातर वाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से ही आते हैं। अगर इन प्लेटफॉर्म से फोन आता है तो फौरन समझ लेना चाहिए कि कॉल फर्जी है। पुलिस कभी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कॉल कर थाने नहीं बुलाएगी। 

पीड़ितों को मदद करने का नहीं मिलता मौका

इंस्पेक्टर हरमीत सिंह ने बताया कि कि वास्तविकता में डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता है। इस तरह से कानून में कोई गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है। लेकिन, शातिर अपराधी लोगों को इतना डरा देते हैं कि वह तीन से चार घंटे वीडियो कॉलिंग पर कैद रखते हैं। इसके पीछे का मकसद होता है कि कॉलिंग से हटकर कोई किसी तरह की किसी से मदद न ले सके। बड़ी रकम का भुगतान न करने तक पीछा करते हैं। अगर किसी के पास इस तरह का फोन आए तो वह स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिये वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करे। पैसा बिलकुल न भेजे।

इन तरीकों से करते हैं डिजिटल अरेस्ट :

- नकली पुलिस अधिकारी बनकर
- इनकम, कस्टम, सीबीआई इंस्पेक्टर बनकर

यहां-यहां करें शिकायत :

- साइबर हेल्पलाइन 1930
- डायल-112
- cybercrime.gov.in

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