Health Tips: घंटों इयरफोन लगाने और तेज आवाज से बढ़ रहा बहरापन; डॉक्टरों ने बताया- इस तरह करें कानों की सुरक्षा...

Health Tips: घंटों इयरफोन लगाने और तेज आवाज से बढ़ रहा बहरापन; डॉक्टरों ने बताया- इस तरह करें कानों की सुरक्षा...

कानपुर, अमृत विचार। अगर कानों में लगातार या रह-रह कर गूंज, सीटी बजने, भरभराहट, भारीपन व भिनभिनाने जैसी ध्वनियां सुनाई दे रही हैं तो सावधान रहे। यह बहरापन का संकेत हो सकता है। यह समस्या युवाओं में ईयरफोन, नेकबैंड और ईयर बड्स के अधिक उपयोग से बढ़ रही है। सुनने की क्षमता प्रभावित होने से बहरापन बढ़ रहा है। 

आधुनिक जीवन शैली में वर्कआउट करते समय गाने सुनने से लेकर मोबाइल पर वीडियो देखने, घंटों कॉल पर बात करने या तेज आवाज में गेम खेलने, संगीत सुनने में लोग ईयरफोन, नेकबैंड और ईयर बड्स का उपयोग जमकर कर रहे हैं। सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक लोगों का ज्यादातर समय गैजेट्स के बीच गुजरता है। 

चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि ईयरफोन और ईयर बड्स का अधिक उपयोग करने पर पांच से 10 साल में बहरापन आ सकता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नाक, कान व गला विभाग के प्रो. हरेंद्र कुमार ने बताया कि देर तक ईयरफोन लगाए रखने से कानों की नसों पर दबाव पड़ने लगता है, नसों में सूजन की आशंका काफी बढ़ जाती है।  

वाइब्रेशन की वजह से हियरिंग सेल्स अपनी संवेदनशीलता खोने लगते हैं, जिससे बहरापन हो सकता है। नियमित रूप से लंबे समय तक तेज आवाज में इयरफोन लगाने का दुष्प्रभाव दिमाग पर भी होता है। ईयरफोन या हेडफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें दिमाग को बुरी तरह प्रभावित करती हैं।

लगाई जाती है सुनने वाली मशीन 

ईएनटी विभाग की डॉ.अमिता श्रीवास्तव ने बताया कि ओपीडी में अगर कोई मरीज कम सुनाई देने की समस्या लेकर आता है तो हड्डी में इंफेक्शन (कंडटिंग हेयरिंग लॉस) और नसों में खराबी (सिसेंटिंग हेयरिंग लॉस) की जांच कराई जाती है। पर्दा ठीक होने पर ईयरफोन लगाने की जानकारी करके मरीजों को इसका इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है। 

80 से 90 डेसीमल शोर होती क्षमता  

कान की नसें एक हद तक शोर बर्दाश्त कर सकती हैं। 80 से 90 डेसीमल उनकी श्रवण क्षमता है। लेकिन कोई व्यक्ति लगातार 80 से 85 डेसीमल शोर वाली जगह पर रहता है तो उसके बहरा होने की संभावना काफी अधिक होती है।  

सिर दर्द व माइग्रेन की समस्या बढ़ी 

जीएसवीएसएस पीजीआई के नोडल व न्यूरो सर्जन प्रो. मनीष सिंह ने बताया कि ईयरफोन, नेकबैंड और ईयर बड्स का असर मस्तिष्क पर भी हो रहा है। इस कारण सिर दर्द व माइग्रेन की समस्या बढ़ रही है। पहले से चक्कर आने से परेशान रोगियों की समस्याएं और ज्यादा बढ़ जा रही हैं। ऐसे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उनमें अधिक खतरा रहता है। 

इस तरह करें कानों की सुरक्षा

-लंबे समय तक हेडफोन और ईयरफोन का इस्तेमाल करने से बचें।
-हेडफोन और ईयरफोन लगाने पर आवाज नॉर्मल रखें।
-किसी के साथ भी अपना हेडफोन या ईयरफोन साझा न करें।
-ईयरफोन्स को कानों के अंदर ज्यादा एडजस्ट करने का प्रयास न करें।
-हेडफोन और ईयरफोन ब्रांडेड कंपनी के ही इस्तेमाल करें।
-दिन में 60 मिनट से ज्यादा इनका इस्तेमाल न करें।

इयरफोन से बीते एक साल में हादसे 

-पनकी निवासी शीलू अग्निहोत्री की ईयरफोन लगाए पटरी पार करने से गुरुदेव क्रासिंग पर ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। 
-सचेंडी निवासी बलवान सिंह ईयरफोन लगाकर गाने सुनते बाइक से नौबस्ता जा रहे थे, वृद्धा से टकराने पर मौत हो गई थी। 
-अनवरगंज में जीशान नामक युवक ईयरफोन लगाकर ट्रैक पार कर रहा था, मेमू ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। 
-शिवराजपुर निवासी प्रशांत दीक्षित बिठूर की मंधना क्रासिंग पर ईयरफोन लगाए रहने से मालगाड़ी की चपेट में आकर मौत का शिकार हो गया था। 
-बीटेक छात्र घाटमपुर निवासी विकास रेलवे ट्रैक पर ईयरफोन लगाए गाना सुनते जा रहा था। ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई थी।

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