Kanpur: अब शादी में मिले तोहफे की देनी होगी जानकारी; वर व वधू दोनों पक्षों को 30 दिन के भीतर बताना होगा गिफ्ट में क्या मिला?
कानपुर, अमृत विचार। जिस तरह शादी समारोह के बाद नाते-रिश्तेदारों को बताया जाता है कि कीमती तोहफे और लड़की पक्ष से काफी उपहार मिले हैं। अब उसी तरह जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी को भी बताना होगा। वो भी एक माह के अंदर। तोहफों की जानकारी वर व वधू दोनों पक्षों को देनी होगी। दहेज प्रतिषेध अधिनियम शहर में प्रभावी रूप से लागू होगा। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। जिला प्रोबेशन अधिकारी जयदीप सिंह के पास फिलहाल जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी का चार्ज है।
जिलाधिकारी ने सभी एसडीएम, थानाध्यक्षों को निर्देश दिए हैं कि शहर के सभी गेस्ट हाउस, विवाह कार्यक्रम स्थल, पार्टी लॉन में जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी का नाम और मोबाइल नंबर लिखना अनिवार्य होगा। जिला प्रोबेशन अधिकारी (जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी) जयदीप सिंह ने बताया कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 की धारा 10 के तहत अब मैरिज हॉल, होटलों, बारात घर, गेस्ट हाउस समेत उन सभी जगहों पर बोर्ड लगाना अनिवार्य है, जहां विवाह कार्यक्रम होते हैं। एक माह के अंदर वर और वधू पक्ष को शादी में मिले गिफ्ट की सूची उपलब्ध करानी होगी।
जिलाधिकारी ने दहेज प्रतिषेध के संबंध में बताया कि सखी, वन स्टॉप सेंटर और अन्य सामाजिक संगठनों के माध्यम से दहेज अधिनियम का प्रचार-प्रसार कराया जाएगा। दहेज लेना और देना दोनों अपराध की श्रेणी में आते हैं, इसकी भी जानकारी दी जाएगी। शहर में इस एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए गेस्ट हाउस संचालकों से भी पूछताछ की जा सकती है। गेस्ट हाउस में किसकी और कब शादी हुई, इसकी पूरी जानकारी रखनी होगी। वहीं शादियों के सीजन में विशेष निगाह गेस्ट हाउसों पर रखी जाएगी।
विवाद निपटारा में होगी आसानी
दहेज प्रतिषेध से वर व वधू पक्ष की कई परेशानियों का समाधान होगा। जैसे शादी के बाद भविष्य में होने वाले विवादों के निपटारे में आसानी होगी। इसके साथ ही शादी समारोह में लोहफे के नाम पर लाखों के खर्च के पर अंकुश लगेगा। दहेज प्रथा पर रोक लगेगी। दहेज प्रतिषेध एक मजबूर पिता को सहारा देगा।
गेस्ट हाउसों पर पुलिस लगाएगी बोर्ड
जिले के बैंक्वेट हॉल, मैरिज हॉल, गेस्ट हाउस, पार्टी लॉन जहां भी विवाह समारोह का आयोजन होता है। उसके बाद जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी के नाम व मोबाइल नंबर का बोर्ड लगवाने और निगरानी की जिम्मेदारी संबंधित थानाध्यक्ष की होगी।
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