रामपुर : इमामबाड़ा खासबाग में सजे हैं सोने-चांदी और तांबे के 1200 अलम, दिलाती है इमाम हुसैन के रोजे की याद

कर्बला स्थित हजरत इमाम हुसैन के रोजे को देखने के बाद तैयार कराया गया इमामबाड़ा, आजादी के बाद 1949 में बना था इमामबाड़ा खासबाग

रामपुर : इमामबाड़ा खासबाग में सजे हैं सोने-चांदी और तांबे के 1200 अलम, दिलाती है इमाम हुसैन के रोजे की याद

इमामबाड़ा खासबाग में रखी चार क्विंटल की चांदी की जरीह।

सुहेल जैदी, अमृत विचार। इमामबाड़ा खासबाग स्थित इमामबाड़ा और उसमें रखी चार क्विंटल चांदी की जरीह इराक स्थित कर्बला में बने हजरत इमाम हुसैन के रौजे की याद दिलाती है। आजादी के बाद 1949 में नवाब रजा अली खां ने कोठी खासबाग में इमामबाड़े का निर्माण कराया था। इससे पहले नवाब रजा अली खां ने आर्किटेक्ट को हजरत इमाम हुसैन के रौजे को देखने के लिए इराक स्थित कर्बला भेजा था। इसके बाद रामपुर में इमामबाड़े का निर्माण कराया गया। यह इमामबाड़ा हजरत इमाम हुसैन के रौजे की शबीह है।

खासबाग स्थित इमामबाड़े और उसमें रखी जरीह की जियारत के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। इमामबाड़ा खासबाग में अजादार जंजीरों और छुरियों का मातम भी करते हैं। यूं तो रामपुर रियासत की बुनियाद नवाब फैजुल्लाह खां ने 1774 में रखी थी। आजादी के बाद नवाब खानदान के तीन इमामबाड़े हैं। इनमें इमामबाड़ा किला, इमामबाड़ा खासबाग और इमामबाड़ा गुलजार-ए- रफत शामिल हैं। नवाबी दौर में  इमामबाड़ा किला में ही अजादारी होती थी। आजादी के बाद किला सरकार के अधीन हो गया तो 1949 में खासबाग में भी इमामबाड़ा बनाया गया। इसके अलावा ज्वालानगर में इमामबाड़ा गुलजार-ए-रफत बना। अब मोहहर्रम माह कल से शुरू होने वाला है और इमामबाड़ों में अलम, जरीह और ताजियों से सजावट की जा रही है।

इमामबाड़ा किला और खासबाग में नवेद मियां ने लगवाए अलम और पटके
इमामबाड़ा खासबाग में अलम और पटकों की चोरी होने के बाद इमामबाड़ा खासबाग और इमामबाड़ा किला में पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने अलम और पटके लगवाए। इमामबाड़ा खासबाग में 1200 और किला इमामबाड़ा में 1500 अलम हैं। इमामबाड़ा गुलजार-ए-रफत में सोने के अलम भी हैं। यह अलम ईरान और सीरिया से लाए गए थे। मोहर्रम के दौरान ही इमामबाड़ा सजाने के लिए अलम बाहर निकाले जाते हैं। इसके बाद तीनों इमामबाड़ों के अलम खासबाग इमामबाड़े के स्ट्रांग रूम में रखे जाते हैं। इनकी सुरक्षा में पुलिस तैनात रहती है।

मोहर्रम के दौरान रामपुर में रहती हैं पूर्व सांसद बेगम नूरबानो  
पूर्व सांसद बेगम नूरबानो 12 मोहर्रम तक रामपुर में रहती हैं और अपने देखरेख में मजलिस-मातम और नजरो-नियाज कराती हैं। पूर्व सांसद नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां के दौर में स्वयं सांसद रहते हुए वह मोहर्रम के महीने में वह रामपुर पहुंच जाती थीं। आज भी यह रिवायत कायम हैं। उसी डगर पर बेगम शाहबानो भी चल रही हैं। नवाबजादा हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां भी जुलूस और मजलिसों में शामिल रहते हैं।

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