Kanpur: कमर व पैरों में दर्द की समस्या को न करें नजरअंदाज; इस बीमारी के हो सकते संकेत...युवा भी आ रहे चपेट में

Kanpur: कमर व पैरों में दर्द की समस्या को न करें नजरअंदाज; इस बीमारी के हो सकते संकेत...युवा भी आ रहे चपेट में

कानपुर, अमृत विचार। चलने-फिरने, काम करने, उठने-बैठने में दर्द हो और किसी सहारे की जरूरत पड़े तो इस समस्या को अनदेखा न करें। अगर दर्द कमर के निचले हिस्से से शुरू होकर दोनों पैरों में असहनीय स्थिति पैदा करे तो यह साइटिका के लक्षण हो सकते हैं। साइटिका को अभी तक अधेड़ और वृद्ध लोगों की बीमारी समझा जाता था, लेकिन बदलती जीवनशैली से युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। 

इसे देखते हुए हैलट अस्पताल के डॉक्टरों ने साइटिका का सटीक इलाज खोज निकाला है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ऑर्थो विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन तमाम साइटिका पीड़ित मरीज पहुंचते हैं। इनका इलाज थोड़ा लंबा चलता है। ऐसे मरीजों को जल्द आराम मिल सके, इसके लिए विभाग के वरिष्ठ आर्थो सर्जन डॉ. रोहित नाथ ने एक साल में करीब 800 मरीजों पर केस स्टडी की।

उन्होंने इन मरीजों को 2 इंजेक्शन लगाए। 90 प्रतिशत मरीजों को साइटिका के दर्द से निजात मिल गई। इनमें से अधिकतर मरीज पैरों की नस में खिंचाव आने से असहनीय दर्द से पीड़ित थे। कई मरीजों को एक तरफ झुककर चलना पड़ता था। मरीज की कौन की नस दबी है, यह देखने के लिए एमआरआई कराई गई है। इसके बाद सीआर्म मशीन में मरीज को लेटाकर एक्सरे में देखकर ब्लॉक नस में सेलेक्टिव नर्व इंजेक्शन लगाया गया। 

यह इंजेक्शन ब्लॉक नस को खोलता और सूजन कम करता है, जिससे मरीज को काफी आराम मिलता है। सेलेक्टिव नर्व इंजेक्शन से पहले एपिड्यूरल इंजेक्शन कमर में लगाया जाता है। यह दोनों इंजेक्शन मरीजों को दो माह में तीन बार लगाए गए। इससे 90 प्रतिशत मरीजों को साइटिका के दर्द में आराम मिला। कई मरीजों का दर्द पूरी तरह ठीक हो गया।

दर्द में हाई पावर की दवा से होता नुकसान 

डॉ. रोहित नाथ ने बताया कि दर्द कम करने के लिए अधिकतर मरीज जाने या अनजाने में हाई पॉवर की दवा निवारक का सेवन करते हैं। इनके सेवन से किडनी या लिवर पर असर पड़ता है। दवा से मरीज को आराम मिलने में 20 से 30 दिन का समय लगता है, जबकि नर्व इंजेक्शन लगाने के एक से दो दिन में ही आराम मिलने लगता है। हालांकि इसके लिए मरीज को एक दिन के लिए भर्ती होना पड़ता है। 

युवा वर्ग में तेजी से बढ़ रही समस्या

डॉ. रोहित नाथ ने बताया कि जिन 800 मरीजों पर केस स्टडी की, उनमें 50 प्रतिशत मरीज 25 से 40 वर्ष उम्र के थे। इनमें साइटिका के साथ गठिया का भी दर्द देखने को मिला। यह केस स्टडी जरनल बोन एंड ज्वाइंड डिसीसेज (जेबीजेडी) में प्रकाशित हो चुकी है।

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