बागेश्वर: भद्रतुंगा में सरयू नदी पर बनी झील से बढ़ा खतरा

बागेश्वर: भद्रतुंगा में सरयू नदी पर बनी झील से बढ़ा खतरा

बागेश्वर, अमृत विचार। वैपकास कंपनी की लापरवाही से भद्रतुंगा में सरयू नदी में तीन दिन से बनी झील के पानी की निकासी प्रशासन अब तक नहीं करा सका है। झील बनने से सरयू नदी में एक करोड़ की लागत से बने घाट नष्ट हो गए हैं। झील का पानी पौराणिक शिव व सरयू मंदिर तक पहुंचने से संत समाधि को भी खतरा हो गया है। झील से बेशकीमती देवदार व सुरई के कई पेड़ों को भी खतरा बना हुआ है।

वैपकास कंपनी द्वारा मिखिला खलपटटा के लिए मोटर रोड के निर्माण के दौरान लगातार मानकों का उल्लंघन किया जाता रहा तथा एनजीटी के नियमों को ताक में रखकर सड़क निर्माण के दौरान निकले बोल्डर व मलबे को सरयू नदी में डाला गया। जिससे भद्रतुंगा मंदिर के समीप विशालकाय झील बन गई है।

भद्रतुंगा मंदिर के संत देवेंद्र दास ने बताया कि तीन दिन तक प्रशासन व कंपनी द्वारा झील को खोलने के कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। मंगलवार को झील लगभग 500 मीटर लंबाई में बन गई है जिसकी उंचाई लगभग 25 मीटर तक हो सकती है। बताया कि झील बनने से सिंचाई विभाग द्वारा लगभग एक करोड़ की लागत से बनाए सरयू घाट ध्वस्त हो चुके हैं।

साथ ही प्राचीन शिव व सरयू मंदिर को खतरा बना हुआ है। झील का पानी संत समाधि तक पहुंच चुका है। बताया कि झील के कारण यहां पर कई सालों पूर्व देवदार के पेड़ों को भी नुकसान हुआ है तथा यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को खतरा बना हुआ है। इधर तीन दिन से प्रशासन द्वारा झील न खोलने से प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।


झील टूटी तो कपकोट समेत बागेश्वर को खतरा
यदि प्रशासन ने समय रहते भद्रतुंगा झील की निकासी तकनीकी तरीके से नहीं कराई और झील टूटी तो इससे कपकोट समेत बागेश्वर के कुछ हिस्सों को खतरा हो सकता है। ग्रामीणों के अनुसार झील में पानी का काफी दबाब बना हुआ है जो कि कपकोट तहसील मुख्यालय समेत बागेश्वर के कई इलाकों में तबाही मचा सकता है।