Moradabad News : बच्चों की परेशानी समझकर उनका हौसला बढ़ाएं अभिभावक, रहें सतर्क

 मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे बच्चों के डिप्रेशन के मामले

Moradabad News : बच्चों की परेशानी समझकर उनका हौसला बढ़ाएं अभिभावक, रहें सतर्क

मुरादाबाद, अमृत विचार। महानगर के मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि अगर आपका बच्चा भी दूसरे शहर में पढ़ाई या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है तो ज्यादा सतर्क रहें। बच्चों से फोन पर संपर्क के दौरान उनकी बातों में गुस्सा, उदासी, चिड़चिड़ापन, मायूसी जैसे संकेत दिखें तो नजरअंदाज न करें। इस बीच उनके दोस्तों से भी संपर्क रखें, जिससे पता चल सके कि कहीं आपके बच्चे की जिंदगी में कोई परेशानी में तो नहीं है। यदि ऐसा हो तो बच्चों से खुलकर बात करें और समझाएं कि कोई समस्या, कोई व्यक्ति या कोई परीक्षा जिंदगी से बढ़कर नहीं है।

पिछले काफी दिनों से महानगर के मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास दूसरे शहरों में पढ़ाई करने वाले बच्चों के डिप्रेशन के मामले लगातार आ रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा यूपीएससी व नीट वाले हैं। महानगर में पिछले दिनों दो शिक्षण संस्थानों में दो आत्महत्या के मामले हो चुके हैं। ऐसे में मानसिक रोग चिकित्सक इन मरीजों को गंभीरता से ले रहे हैं। बच्चों के साथ उनके अभिभावकों की भी काउंसिलिंग कर रहे है। चिकित्सकों का कहना है कि अगर आपका बच्चा शहर के बाहर पढ़ रहा है तो बच्चों से अभिभावक हर 40 से 45 दिन में मिलने जाएं। उनके दोस्तों से संपर्क बनाएं। इससे तनाव की स्थिति में भी बच्चे को आत्महत्या जैसे गलत ख्यालों से बचाने में मदद मिलेगी। अगर आप अपने बच्चें की परेशानी समझकर उसका हौसला बढ़ाएंगे तो इस तरह की घटना से बचा जा सकता है।

कोटा से बेटे को वापस ले आए पिता
महानगर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र की रामगंगा विहार में रहने वाले परिवार का 20 वर्षीय बेटा कोटा में रहकर नीट की तैयारी कर रहा है। दो साल से उसका चयन नहीं हो पाया तो वह डिप्रेशन में आ गया। फोन पर बातचीत के दौरान पिता को स्थिति ठीक नहीं लगी तो वह उससे मिलने पहुंच गए। दोस्तों ने बताया कि पूरा दिन कमरे में बंद रहने लगा है। लाइब्रेरी में आना भी छोड़ दिया है। पिता उसे वापस मुरादाबाद ले आए। मानसिक रोग विशेषज्ञ ने बताया कि छात्र अवसाद में है। उसका इलाज शुरू कराया गया है।

अभिभावक दिल्ली पहुंचे तो रोने लगा बेटा
थाना गलशहीद क्षेत्र के हरपाल नगर में रहने वाले वाले परिवार का बेटा तीन साल से दिल्ली में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। माता-पिता से रोज बात होती थी, लेकिन अचानक उसने माता-पिता का फोन नहीं उठाया। इस पर अभिभावकों ने छात्र के दोस्तों से बात की पता चला कि वह कुछ दिन से क्लास में चुप बैठा रहता है। ग्रुप स्टडी में भी शामिल नहीं होता। यह स्थिति भांपकर अभिभावक दिल्ली पहुंचे तो बेटा उनसे को लिपटकर रोने लगा। अभिभावक उसे मुरादाबाद ले आए। जिसके बाद मानसिक रोग विशेषज्ञ से उसका इलाज चल रहा है।


छात्रों के आत्महत्या के मामले पढ़ाई का प्रेशर और लव अफेयर के कारण सामने आ रहे हैं। आत्महत्या रोकने में माता-पिता और दोस्त ही सहायक हो सकते हैं। बच्चों को भी एक दूसरे के माता-पिता से संपर्क में रहना जरुरी है। जिससे परेशानियां साझा हो सकें। बाहर पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को उनसे मिलने जरूर जाना चाहिए। -डॉ. नीरज गुप्ता, मानसिक रोग विशेषज्ञ

अगर कोई छात्र व छात्रा आत्महत्या करता है तो वह एक दिन में नहीं होती। यह ख्याल मन में कई दिन से चल रहा होता है। दोस्तों व माता-पिता को इसके संकेत समझकर समय रहते बातचीत करते रहना चाहिए। अगर आप के बच्चें में कुछ परेशानी दिखे तो उसे नजर अंदाज न करे।- डॉ. दिशांतर गोयल, मानसिक रोग विशेषज्ञ

ये भी पढ़ें : मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की 137वीं बोर्ड बैठक मंडलायुक्त आंजनेय कुमार की अध्यक्षता में संपन्न