बरेली में गैंगवार: कोर्ट का आदेश तो था ही नहीं फिर कैसे IG से मिला राणा?, SSP ने कर दिया साफ...जानिए पूरा मामला

बरेली में गैंगवार: कोर्ट का आदेश तो था ही नहीं फिर कैसे IG से मिला राणा?, SSP ने कर दिया साफ...जानिए पूरा मामला

बरेली, अमृत विचार: धुआंधार गोलीबारी के बीच बुलडोजर से तोड़फोड़ करते हुए पीलीभीत बाईपास पर प्लॉट पर कब्जा करने की कोशिश का मामला एक-एक तथ्य सामने आने के साथ और संगीन होता जा रहा है। मुख्य आरोपी राजीव राणा ने रविवार को वीडियो जारी कर दावा किया था कि वह कोर्ट का आदेश लेकर आईजी से मिला था और उसके बाद थाना इज्जतनगर पहुंचा था, जहां से पुलिस प्लॉट पर कब्जा दिलाने के लिए उसके साथ भेजी गई थी। अब एसएसपी ने साफ किया है कि अब तक की छानबीन में कोर्ट का कोई ऐसा आदेश उनकी जानकारी में नहीं आया है जिसमें प्लॉट पर कब्जा दिलाने को कहा गया हो।

प्लॉट पर कब्जे के लिए जिस तरह लगातार दो घंटे तक सड़क पर गोलीबारी की गई, उससे साफ है कि इस घटना में कई लाशें भी गिर सकती थीं। ऐसे में पुलिस की साठगांठ इस घटना को और गंभीर बना सकती थी।इस पूरी कहानी में तमाम ऐसे सवाल हैं जिनमें सबसे ज्यादा पुलिस घिर रही है। 

रविवार को कई और नए सवाल तब खड़े हो गए थे, जब राजीव राणा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर दावा किया कि कोर्ट ने प्लॉट पर उसे कब्जा दिलाने का आदेश पारित किया था। इसके बाद उसने वह आईजी से मिला था और उसके बाद थाना इज्जतनगर जाकर तत्कालीन इंस्पेक्टर जयशंकर सिंह से मिला था। जयशंकर ने ही उसे प्लॉट पर कब्जा लेने की मंजूरी दी थी और उसके साथ पुलिस भी भेजी थी।

अब एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान ने साफ किया है कि आरोपी राजीव राणा वीडियो में अपने पक्ष में कोर्ट के जिस आदेश का जिक्र कर रहा है, उसकी अब तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। एसएसपी ने कहा कि कोर्ट का आदेश होता, तब भी खुद जाकर कब्जा नहीं लिया जा सकता। ऐसे न्यायिक मामलों के लिए बाकायदा एक प्रक्रिया तय है। 

इसी के तहत कोई कब्जा लिया जा सकता है। कोर्ट के आदेश की पुष्टि न होने से पुलिस और ज्यादा घिर गई है। सवाल उठ रहा है कि तत्कालीन इंस्पेक्टर इज्जतनगर ने किस दबाव में इतने बड़े जोखिम से आंखें मूंद लीं। दोनों पक्षों से भाजपा नेताओं के कथित कनेक्शन ने इस सवाल को और गंभीर बना दिया है।

राजीव राणा के दावे पर भी एक सवाल यह है कि अगर उसके पास कोर्ट का आदेश था तो उसे एसएसपी से मिलना चाहिए था। ऐसे मामलों में कभी पुलिस फोर्स की जरूरत होती है तो कोर्ट एसएसपी को ही इसके लिए आदेश जारी करता है। राणा ने जो वीडियो जारी किया, वह एसएसपी को ही संबोधित है।

सवाल है कि वह पहले क्यों एसएसपी के पास नहीं गया। बहरहाल यह तो जाहिर है ही कि इस प्रकरण में भूमाफिया और बीच सड़क दो घंटे तक फायरिंग करने वाले गुंडों के साथ दूसरी सबसे बड़ी दोषी थाना इज्जतनगर की पुलिस है जिसे राजीव राणा निर्दोष बता रहा है। इंस्पेक्टर समेत सात पुलिसकर्मियों को घटना के बाद सस्पेंड तो कर दिया गया लेकिन यह साफ नहीं हो सका है कि उसने यह घटना क्यों होने दी।

खीरी के मैगलगंज में मिली राजीव राणा की आखिरी लोकेशन
पुलिस को छानबीन में मुख्य आरोपी राजीव राणा की आखिरी लोकेशन खीरी के मैगलगंज में मिली है। पुलिस का मानना है कि राणा या तो नेपाल भागने की फिराक में है या बरेली के एक और सत्ताधारी नेता के इशारे पर लखनऊ में डेरा डालने की तैयारी में है। इस बीच सोमवार को पुलिस इस मामले में कोई खास कार्रवाई नहीं कर पाई। राणा और पूर्व विधायक पप्पू भरतौल के बीच कनेक्शन के प्रमाण तलाश करने की कोशिश जरूर की गई।

राणा समेत बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमें गठित की गई थीं। पुलिस के मुताबिक पीलीभीत बाईपास पर घटना के बाद फरार हुआ राणा लगातार अपनी लोकेशन बदल रहा है। उसकी अंतिम लोकेशन मैगलगंज में मिलने के बाद कोई और सुराग अब तक नहीं लगा है। उसका मोबाइल भी फोन लगातार बंद है। सर्विलांस टीम ने उसके करीबियों के नंबर भी सर्विलांस पर लगाए हैं ताकि वह अपने किसी करीबी से बात करे तो उसकी लोकेशन ट्रेस कर उस तक पहुंचा जा सके।

राणा या केपी गिरफ्तार हो तो सामने आएगाप प्पू भरतौल और गिरधारी पप्पू का कनेक्शन
इस घटना में पुलिस अब पूर्व विधायक पप्पू भरतौल और उत्तराखंड की मंत्री रेखा आर्य के पति गिरधारी पप्पू का बदमाशों से कनेक्शन तलाश रही है। बताया जा रहा है कि राणा का भाजपा नेता के साथ कई प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। आदित्य उपाध्याय का गिरधारी पप्पू के साथ कबसे संपर्क है, इसकी भी जांच की जा रही है। एफआईआर में नामजद पप्पू भरतौल उज्जैन में हैं। उनके लौटने के बाद पुलिस उनसे पूछताछ करेगी।पुलिस का कहना है कि राणा या केपी यादव की गिरफ्तारी के बाद ही इस मामले में सभी की भूमिका साफ होने की उम्मीद है।

खतरे की घंटी... राजनीतिक संरक्षण में तैयार हो रही है शूटरों की खेप
शहर के लोगों को एहसास हो न हो, लेकिन प्लॉट पर कब्जे के लिए पीलीभीत बाईपास पर जिस तरह पचासों गुंडों ने दो घंटे तक गोलियों की बारिश की, उसने शहर के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। इतने बड़े पैमाने पर बरेली से ही शूटरों का इंतजाम करना साफ बता रहा है कि शांतिप्रिय माना जाने वाला यह जिला राजनेताओं और माफिया के संरक्षण में कितनी तेजी से बदल रहा है। 

अनाधिकारिक तौर पर पुलिस के अफसर भी मान रहे हैं कि ऐशोआराम और दबंगई की जिंदगी जीने के लिए तमाम युवा जरायम की दुनिया में आ रहे हैं। छोटी-मोटी घटना करने के बाद उन्हें राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है और इसी कारण बड़ी संख्या में शूटरों की खेप तैयार हो रही है। उधर, पुलिस ने सोमवार को छह उन आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया जिन्हें रविवार को गिरफ्तार किया था।

होटल में कैमरे का रिकॉर्ड डिलीट कर बदमाशों की मौजूदगी प्रमाण मिटाया
शनिवार सुबह प्लॉट पर कब्जे के लिए पहुंचने से पहले शूटरों को ठहराने के लिए हिस्ट्रीशीटर केपी यादव ने राजीव राणा के होटल में चार कमरे बुक किए थे। पुलिस के अनुसार शुक्रवार रात 10 बजे से शनिवार सुबह 11:59 बजे तक की होटल के कैमरों की रिकार्डिंग डिलीट कर दी गई है। केपी यादव ने शुक्रवार रात साढ़े दस से सुबह छह बजे तक के लिए पांच कमरे बुक किए थे। होटल में केपी खुद शूटरों और गुर्गों के साथ पहुंचा था।

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