बहराइच: दुष्कर्म पीड़िता ने नवजात बच्ची की परवरिश करने में जताई अस्मर्थता, की यह मांग, जानें पूरा मामल

बहराइच: दुष्कर्म पीड़िता ने नवजात बच्ची की परवरिश करने में जताई अस्मर्थता, की यह मांग, जानें पूरा मामल

बहराइच, अमृत विचार। जिले के थाना पयागपुर क्षेत्र की एक 15 वर्षीय पीड़िता के साथ विगत दिनों हुए गैंगरेप के चलते बालिका ने जिला महिला अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया। नवजात शिशु के जन्म से मासूम बालिका के ऊपर असमय ही एक शिशु के पालन पोषण की जिम्मेदारी आन पड़ी, तो वह बिलख उठी और उसने व उसके माता-पिता ने इस नवजात शिशु का उत्तरदायित्व संभालने में पूरी तरह असमर्थता जताई। 

पीड़िताऔर उसके माता-पिता की ओर से संयुक्त प्रार्थना पत्र न्यायपीठ बाल कल्याण समिति के समक्ष देकर प्रार्थना की गयी कि वे लोग इस नवजात शिशु की जिम्मेदारी संभाल पाने में असमर्थ हैं। इस कारण इस शिशु का प्रत्यर्पण करना चाहते हैं। 

पीड़िता और उनके परिवार की इस कठिन परिस्थितियों का विचारण करने के लिए यह मामला सीडब्लूसी पीठ (बेंच का मजिस्ट्रेट) के अध्यक्ष सतीश कुमार श्रीवास्तव व सदस्यगण दीपमाला प्रधान, नवनीत मिश्रा व अर्चना पांडे के समक्ष प्रस्तुत हुआ। 

इस पर इनकी परिस्थितियों पर गंभीर विचार करने के उपरांत पीठ ने इनका प्रत्यर्पण प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए इस बालिका शिशु को उचित देखरेख और संरक्षण के लिए राजकीय शिशु ग्रह लखनऊ भेजे जाने का आदेश पारित किया। 

सीडब्लूसी पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि 15 वर्षीय बालिका जो स्वयं अभी मासूम बालक है। उसके ऊपर परिस्थितियों वश जो एक शिशु का उत्तरदायित्व आन पड़ा है, उसे वह संभाल पाने में सक्षम नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि वह अपने नवजात शिशु का प्रत्यर्पण करना चाहती है, तो वह स्वीकार किए जाने योग्य है।

 इन परिस्थितियों में इस निर्दोष शिशु के भी उचित देखरेख एवं संरक्षण की व्यवस्था किया जाना बाल कल्याण समिति पीठ अपना नैतिक उत्तरदायित्व मानती है। इस कारण इस नवजात शिशु को पूर्ण सुरक्षा के साथ राजकीय शिशु ग्रह में संरक्षित कराया जाना चाहिए। तदुपरांत यदि इस बच्ची का कोई उत्तराधिकारी नहीं आता है, तो उसे दत्तक ग्रहण के लिए लीगल फ्री घोषित किया जा सकता है।

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