बरेली: गृहकर में गड़बड़ियों पर लोगों का फूटा गुस्सा, भवनस्वामी बोले भरते-भरते कर्जदार हो जाएंगे

सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देकर जीआईएस सर्वे को समाप्त करने की मांग

बरेली: गृहकर में गड़बड़ियों पर लोगों का फूटा गुस्सा, भवनस्वामी बोले भरते-भरते कर्जदार हो जाएंगे

बरेली, अमृत विचार। जीआईएस सर्वे के बाद गृहकर में भारी वृद्धि पर लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि नगर निगम टैक्स के नाम पर आर्थिक शोषण कर रहा है। अधिक टैक्स भरते-भरते तो वह कर्जदार ही हो जाएंगे। नाराज व्यापारी संगठनों और लोगों ने शनिवार को सेठ दामोदर स्वरूप पार्क में बढ़े हुए टैक्स का विरोध जताते हुए सिटी मजिस्ट्रेट राजीव शुक्ला को ज्ञापन दिया।

नगर निगम की नई कर प्रणाली के विरोध में पार्षद राजेश अग्रवाल और उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंच ने धरना देकर विरोध जताया। सभी ने कहा कि किसी भी हाल में बढ़ा हुआ गृहकर स्वीकार नहीं है। पार्षद राजेश अग्रवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने जीआईएस सर्वे को गलत बताया है और बरेली के अलावा अन्य नगर निगम में भी जीआईएस सर्वे बंद हो रहा है। इसके आधार पर कर बढ़ाना गलत है। नगर निगम ने 15 से 40 फीसदी तक मिलने वाली छूट भी बंद कर दी है। इसे फिर से चालू किया जाए। वित्तीय वर्ष 2023-24 में जो गृहस्वामी कर जमा कर चुके हैं उनका एरियर समाप्त किया जाए। अब तक नियम विरुद्ध जो कार्रवाई हुई है उसको निरस्त किया जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो।

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ट्रेड यूनियन के संजीव मल्होत्रा ने कहा कि जब तक नगर निगम की मनमानी बंद नहीं हो जाती तब तक हम आंदोलन करते रहेंगे। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंच के महानगर अध्यक्ष सैयद गौहर अली ने उनका संगठन पहले भी आंदोलन कर चुका है और आगे भी विरोध जारी रहेगा। संजय आनंद ने कहा कि जब तक नगर निगम सर्वे निरस्त नहीं करता तब तक विरोध जारी रहेगा। इस अवसर पर राजीव शांत ,राज नारायण मनजीत सिंह, नागेश अग्रवाल ने भी संबोधित किया। इस दौरान अनिल जायसवाल, दिनेश यादव, सुमन मेहरा, हरेंद्र, आंशू, पम्मी वारसी आदि मौजूद रहे।

बारिश में ही निकल पड़े ज्ञापन देने
धरना दे रहे व्यापारियों और अन्य लोगों को बारिश भी नहीं डिगा पाई। धरने के दौरान ही बारिश होने लगी लेकिन इसके बावजूद भी वह बैठे रहे। जब बारिश तेज हुई तो वह पैदल ही नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंच गए और ज्ञापन सौंपा। कई गुना गृहकर बढ़ने से नाराज लोगों ने धरने के दौरान जीआईएस सर्वे पर सवाल खड़ करते हुए जमकर भड़ास निकाली।

मुरादाबाद में सर्वे स्थगित तो बरेली में क्यों नहीं
भवनस्वामियों का कहना है कि जीआईएस सर्वे पूरे प्रदेश में हुआ है और इसका हर जगह विरोध हो रहा है। मुरादाबाद में नगर निगम की कार्यकारिणी की बैठक में जीआईएस सर्वे आधारित टैक्स स्थगित कर दिया गया है और स्वकर व्यवस्था लागू रहेगी। अगर मुरादाबाद में ऐसा हो सकता है तो यहां पर क्यों नहीं हो सकता है। कुछ पार्षदों ने भी पुरानी व्यवस्था को लागू कराने की मांग करनी शुरू कर दी है। उनका मानना है कि इससे लोगों को राहत मिलेगी। 

भवनस्वामी नागेश अग्रवाल का पहले चार हजार रुपये बिल आता था जो अब 50 हजार हो गया है। त्रिवेश उपाध्याय का 30 हजार की जगह 90 हजार बिल आ रहा है। इसके अलावा राजेश भाटिया की दो आईडी बना दी गई है। लोगों का कहना है कि गलत बिल भेजा रहा है। कई ऐसे लोग हैं, जो बिल लाखों में भरते थे और उनका कम कर दिया गया है। पहले छोटे दुकानदारों को छूट थी लेकिन अब उनको भी दायरे में ला दिया गया है। नियमों की अनदेखी जमकर हुई है।

सपा पार्षदों ने जीआईएस सर्वे निरस्त करने की मांग
समाजवादी पार्टी के पार्षदों ने शनिवार को नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स को ज्ञापन देकर जीआईएस सर्वे निरस्त कर पुरानी टैक्स व्यवस्था लागू करने की मांग की। इससे पहले मीटिंग हाल में प्रेसवार्ता में सपा पार्षद दल के नेता गौरव सक्सेना ने बताया कि गृह कर से छोटे या बड़े सभी वर्ग के लोग परेशान हैं। नियमों की अनदेखी कर नई कर प्रणाली लागू की गई है। अगर लोकसभा चुनाव के पहले कर लगा दिया गया होता तो लोग सबक सिखा देते। इसके कारण सर्वे होने के छह माह दबाए रखा गया था।

उन्होंने कहा कि जीआईएस सर्वे के बहाने जनता पर मनमाना टैक्स थोपने के लिए भाजपा जिम्मेदार है। नगर निगम के पदेन सदस्य भाजपा सांसद, विधायकों की जनता पर टैक्स बढ़ोतरी के मुद्दे पर चुप्पी भाजपा की मिलीभगत का सीधा प्रमाण है।

नगर आयुक्त को दिए गए ज्ञापन में बताया गया है कि नगर निगम ने मनमाने तरीके से प्राइवेट कंपनी के सर्वे के आधार पर बढ़ा हुआ टैक्स थोपने का काम किया गया है। जीआईएस सर्वे का कार्य प्राइवेट कम्पनी ने पिछले वित्तीय वर्ष में ही लगभग आठ महीने पहले पूरा कर लिया था। इस कारण ही सर्वे में टैक्स बढ़ने पर पिछले वित्तीय वर्ष का टैक्स पर बकाया दर्शाकर उसपर भी ब्याज वसूला जा रहा है। सॉफ्टवेयर अपडेट के बहाने टैक्स के नोटिस या बिल लोकसभा चुनाव से पहले जनता में नही बांटे गए और जैसे ही चुनाव संपन्न हो गया तो कर बढ़ा दिया गया है। अगर चुनाव के पहले यह होता तो लोग विरोध में बटन दबाकर जमानत भी जब्त करा देते। 

उन्होंने कहा सपा पार्षदों ने बोर्ड की बैठकों और अलग-अलग समयपर नगर आयुक्त से मिलकर पूर्व में जीआईएस सर्वे करने वाली प्राइवेट कम्पनी के कर्मचारियों की ओर से रिश्वत लेकर गलत सर्वे कर टैक्स घटाने और रिश्वत न देने वाले भवन स्वामियों के टैक्स बढ़ाने की शिकायत की गई थी। ज्ञापन देने वालों में सपा पार्षद अब्दुल कय्यूम मुन्ना, शमीम अहमद, गुल बशर, उमान खान, निर्दलीय पार्षद मो. नासिर, कांग्रेस पार्षद महसर खान आदि रहे।

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