बरेली: मानसिक दबाव के चलते टूट रही रिश्तों की डोर

बरेली, अमृत विचार। शादी का रिश्ता हर किसी के लिए बहुत मायने रखता है लेकिन आपस में हुई छोटी मोटी खटास से रिश्ते टूटने की कगार पर हैं। इस खटास की सबसे बड़ी वजह एक-दूसरे को समय न देना भी है। महिला जिला अस्पताल में बने सुरक्षा क्लीनिक में कई ऐसे मामले आ रहे हैं …
बरेली, अमृत विचार। शादी का रिश्ता हर किसी के लिए बहुत मायने रखता है लेकिन आपस में हुई छोटी मोटी खटास से रिश्ते टूटने की कगार पर हैं। इस खटास की सबसे बड़ी वजह एक-दूसरे को समय न देना भी है। महिला जिला अस्पताल में बने सुरक्षा क्लीनिक में कई ऐसे मामले आ रहे हैं जिसमें नवयुगल के रिश्ते आपसी मतभेद के चलते टूटने की कगार पर आ गए हैं।
काउंसलर के अनुसार, अधिकांश परिवार वाले शादी के कुछ ही दिन बाद नवयुगल पर बच्चे को लेकर दबाव बनाना शुरू कर देते हैं, जिससे कई बार परिवार में झगड़े भी हो जाते हैं ऐसे में नवयुगल अवसादग्रस्त हो जाते हैं। इसका दुष्प्रभाव उनकी शादीशुदा जिंदगी पर पड़ता है।
दिमागी असंतुलन बन रहा खटास का कारण
अक्सर परिवार की ओर से बच्चे को लेकर दबाव बनाने पर दंपति संबंध तो बनाते हैं लेकिन दिमागी रूप से तैयार न होने के चलते दंपति के बीच दूरियां पैदा होने लगती हैं। इसके लिए दोनों ही एक-दूसरे को जिम्मेदार समझ बैठते हैं लेकिन असल कारण उनके दिमाग का अवसाद होता है।
मार्च की शुरुआत में क्लीनिक पर एक रोचक केस आया था। महिला व पुरुष दोनों ही निजी कॉलेज में प्रोफेसर थे। काम की व्यस्तता के चलते कभी भी ठीक प्रकार से शारीरिक संबंध स्थापित नहीं हुए। दोनों एक-दूसरे को दोषी मानकर झगड़ा करने लगे। जब काउंसलिंग के लिए पहुंचे तो पता चला कि दोनों के बीच ठीक प्रकार से संबंध कभी बने ही नहीं। दोनों की काउंसलिंग की गई। अब दोनों खुशहाल जिंदगी गुजार रहे हैं।
“खुशहाल शादीशुदा जिंदगी के लिए जरूरी है कि पहले एक-दूसरे को ठीक प्रकार से समझें लेकिन भागदौड़ भरी जिंदगी में दंपति एक-दूसरे को समय नहीं दे पाते हैं जिससे रिश्ते टूटने की कगार पर आ जाते हैं। वहीं शादीशुदा जिंदगी पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। ऐसे तमाम मामले हर माह क्लीनिक पर आ रहे हैं।“—विनीता पांडेय, काउंसलर, सुरक्षा क्लीनिक