गंगा दशहरा पर संगम में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी,  2 लाख श्रद्धालु पहुंचे 

गंगा दशहरा पर संगम में लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी,  2 लाख श्रद्धालु पहुंचे 

प्रयागराज, अमृत विचार: गंगा दशहरा के पवित्र पर्व पर रविवार को संगम नोज पर गंगा स्नान के लिए भारी भीड़ जुटी। इस भीषण गर्मी में आस्था के आगे किसी के पाव नहीं रुके। संगम में डुबकी लगाने के लिए भोर से ही लोग पहुंचने लगे। श्रृद्धालुओं ने गंगा स्नान के बाद दान पुण्य कर परिवार की मंगल कामना के लिए मां गंगा का आशीर्वाद भी लिया। 

सुबह से स्नान का सिलसिला जारी
मान्यता है कि गंगा दशहरा के पावन पर्व पर मां गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं। मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है, लेकिन इस दिन स्नान करने से मनुष्य सभी दुःखों से मुक्ति पा जाता है। ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से दस पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है। गंगा दशहरा के इस पवित्र पर्व मे देश के कोने कोने से श्रद्धालु इलाहाबाद के संगम तट पर आ रहे है और गंगा मे स्नान कर रहे है। स्नान का सिलसिला सुबह 4 बजे से ही शुरू हो गया है जो दिन तक चलेगा। गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन दान में सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। इस दिन संगम मे दान की विशेष परम्परा है। 

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हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है गंगा दशहरा
गंगा दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। स्कन्दपुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठशुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है। इसमे स्नान और दान तो विशेष  करें। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पू‍जादिक) एवम् तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण)अवश्य करें। ऐसा करने वाला महापातको के बराबर के दस पापों से छूट जाता है। यदि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन मंगलवार रहता हो या फिर हस्त नक्षत्र युता तिथि हो। यह सब पापों के हरने वाली होती है। वराह पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमीबुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी। वह दस पापो को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्तनक्षत्र, गर, आनंद, व्यतिपात, कन्या का चंद्र, वृषभ के सूर्य  इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सब पापों से छूट जाता है।

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