बरेली: जिस IFFCO पर खेती संवारने का जिम्मा, उसी के पानी से बंजर हो रही जमीन
बरेली, अमृत विचार: रुहेलखंड में कृषि क्षेत्र के जिस, सबसे बड़े संयंत्र इफको पर अपने उर्वरक उत्पादों से खेती की सूरत बदलने का दारोमदार है। उसके ही प्लांट के इर्द-गिर्द की सैकड़ों बीघा खेत लगभग बंजर हो चुके हैं। किसानों का आरोप है कि फैक्ट्री के दूषित पानी के कारण उनके खेतों का ये हश्र हुआ है। इफको से सटे दर्जनों खेत तालाब का रूप ले चुके हैं।
ऐसे खेत और तालाब दूषित पानी से लबालब भरे हैं। ग्रामीणों को बीमारियां फैलने का डर सता रहा है। आंवला के नव-निर्वाचित सांसद नीरज मौर्या ने डीएम रविंद्र कुमार के सामने यह मुद्दा रखा तो उन्होंने जल परीक्षण के आदेश दे दिए हैं।
आलमपुर जाफराबाद ब्लॉक के इस्लामाबाद गांव में इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) का प्लांट है। इसमें यूरिया, नैनो यूरिया और अन्य रासायनिक उर्वरकों का उत्पादन होता है। करीब 695 एकड़ में फैले इस विशाल प्लांट के आसपास कई गांव हैं।
इसमें इस्लामाबाद, नौगवां, बागरपुर, हजरतपुर, कीरतपुर, ख्योराजपुर, सेंधी-सेंधा, भरताना, महातिया डांडी, पस्तोर, नबी नगर, मुहम्मद गंज, कुशारी, भरताना और सेंधा-सेंधी आदि गांव शामिल हैं। नौगवां के राम दयाल कहते हैं कि, ''हमारे खेत बंजर हो गए। पटान के लिए कई खेत खोद दिए गए। उनमें दूषित पानी भर जाता है। कैमिकल वाला पानी पीकर गाय-भैंस अक्सर बीमार होते हैं। कोई सुनने वाला नहीं है।"
इफको की चाहरदीवारी से सटी एक संकरी सड़क नौगवां गांव जाती है। किनारे पर कुछ खेत और तालाबों में पानी भरा है। नौगवां के बलवीर हमें एक खेत में लेकर जाते हैं। तालाब की शक्ल वाले खेत की मिट्टी दिखाते हुए कहते हैं, देखिए-"केमिकल्स ने जमीन की क्या हालत कर दी है? काली हो चुकी मिट्टी में आखिर कौन सी फसल पैदा होगी? थोड़ी दूर पर पशु चर रहे हैं।
उनकी तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि आए दिन गाय-भैंस यहां का पानी पीकर बीमार होते रहते हैं। सवालिया अंदाज में कहते हैं शिकायत किससे करें? बीमारी के कारण किसी जानवर मर जाता है तो किस्मत का लिखा मानकर सब्र करने के सिवाय हमारे पास क्या चारा है?
क्षेत्र पंचायत सदस्य जयवीर यादव गंभीर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि कई बार यहां हानिकारिक गैसों का रिसाव हो चुका है। जब भी ऐसा होता है, तो ग्रामीणों कीस जीना दुश्वार हो जाता। प्लांट के पास ही अरिल नदी बहती है। जयवीर का आरोप है कि दूषित पानी अरिल नदी में जाता है।
दूषित जल और उसके नुकसान पर ग्रामीणों की चिंताएं, प्लांट प्रबंधन के समक्ष कई बार रखाी जा चुकी हैं लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकला। हालांकि इफको प्रबंधन, ग्रामीणों के दूषित पानी के आरोपों को सिरे से नकारता रहा है। इस तर्क के साथ कि परिसर में वाटर रिसाइकल प्लांट लगा है। कैंपस में बने एक तालाब के अंदर ही केमिकलयुक्त जल संरक्षित होता है।
सांसद ने डीएम के सामने रखा मुद्दा
12 जून को जन-प्रतिनिधियों की बैठक में आंवला सांसद नीरज मौर्य ने इफको से जुड़ा ये मुद्दा जिला प्रशासन के समक्ष उठाया। सांसद ने क्षेत्रीय लोगों को रोजगार और प्लांट के वेस्ट मैटीरियल के उचित निस्तारण कराने आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इफको प्लांट से निकलने वाले पानी से बीमारियां फैलने की समस्या भी उठाई। इस पर डीएम रविंद्र कुमार ने फैक्ट्री के आसपास एकत्रित पानी का नूमना लेकर जांच कराने का निर्देश दिया। डीएम ने स्पष्ट किया कि अगली बैठक में जल परीक्षण की रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए।
किसान यूनियन का प्रदर्शन जारी
आंवला में वर्ष 1988 में इफको का प्लांट लगा था। इसके लिए करीब 2,223 किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। भारतीय किसान यूनियन-टिकैत गुट के वे ग्रामीण अब प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि भूमि अधिग्रहण के बाद उनके परिवारों को प्लांट में नौकरी नहीं मिली। किसान यूनियन के मुताबिक, ऐसे 288 किसान हैं। वर्ष 2021-22 में नौकरी की मांग को लेकर आंवला में लंबा प्रदर्शन चला था। भाकियू के मुताबिक, तब प्रबंधन और प्रशासन ने किसानों को नौकरी का भरोसा देकर विरोध शांत करा दिया था। लेकिन आज तक नौकरी के वादे पर अमल नहीं हुआ। इससे नाराज ग्रामीण एक बार फिर आंवला में प्रदर्शन कर रहे हैं।
इफको पहुंचे सांसद
सांसद नीरज मौर्य शुक्रवार को आलमपुर जाफराबाद क्षेत्र पहुंचे। ग्रामीणों से मिलने के बाद इफको गए। जहां कर्मचारियों से बातचीत की। क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के संबंध में वह इफको प्रबंधन से बातचीत भी करेंगे। इस बीच भारतीय किसान यूनियन ने भी सांसद का स्वागत किया।
केस-1
नौगवां के प्रधान महेंद्र सिंह यादव का कहना है कि, लगभग पांच-छह साल पहले फैक्ट्री से दूषित पानी खेतों में बहता था। अब केमीकलयुक्त पानी अरिल नदी में जाता है। जो अरिल नदी रामगंगा मे मिलती है। दूषित पानी से हजारों बीघा जमीन आज भी उपजाऊ नहीं बन सकी है। गर्मी के बजह से खेत-खलियानों में भरा दूषित पानी काफी हद तक अब सूख चुका है।
केस-2
भमोरा थाना क्षेत्र के रहने वाले व्यक्ति इफको में काम करते हैं। वह तीन भाई हैं। उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि, अधिग्रण के समय उनकी 10 बीघा जमीन कंपनी में चली गई थी। उस जमीन में तीनों भाईयों का हिस्सा था, लेकिन प्लांट प्रशासन ने परिवार से नौकरी सिर्फ एक को ही व्यक्ति को दी है। बाकी दोनों भाई बेरोजगार हैं।
केस-3
नौगवां के अहरान का कहना है कि, फैक्ट्री में अकूत पानी के उपयोग के कारण क्षेत्र का जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। दूषित पानी की वजह से प्लांट के आसपास लगे पेड़-पौधे सूख गए हैं। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में बड़ा जल संकट पैदा होगा। प्लांट के प्रबंधन को भी इस पर विचार करने की आवश्यकता है।
केस-4
विसरतगंज थाना क्षेत्र के मलगांव निवासी भानू प्रताप सिंह ने बताया है कि, फैक्ट्री के अधिकारियों के सारे दावे झूठे हैं। प्लांट में दूषित पानी को खेतों में बहाने के अलावा उनके पास कोई इंतजाम नही हैं। केमीकलयुक्त पानी से खाज-खुजली जैसी बीमारियां फैल रही है। मच्छरों की भयंकर समस्या है। खेती ही नहीं स्वास्थ्य को लेकर भी लोग परेशान हैं।
किसानों के खेतों में जो पानी आता है। प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वो खेतों में नहीं जाए। दूषित जल से जमीन ऊसर हो रही है। यह पानी पीकर पशु बीमार हो रहे हैं। दूसरी बात-जिन परिवारों ने प्लांट के लिए भूमि दी थी। उनके परिवारों को रोजदार मिलना चाहिए। प्रबंधन जैसे भी इन्हें समायोजित करे। इसमें मानवीय दृष्टिकोण दिखाना चाहिए। किसान और ग्रामीणों की समस्या और मांगों पूरी कराने को लेकर हमारा प्रयास जारी रहेगा- आदेश सिंह यादव, पूर्व ब्लॉक प्रमुख आलमपुर जाफराबाद
इफ्को ने किसानों के आरोपो को बताया निराधार
इफ्को प्लांट के पीआरओ विनीत शुक्ला ने किसानों के आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि चार-पांच साल पहले फैक्ट्री के अंदर बने तालाब में संरक्षित कर रीसाइकिल किया जा रहा है। वहीं आवासीय पानी अरिल नदी में बह रहा है। अब प्लांट से किसी तरह का पानी किसानों के खेत-खालिहानों में नहीं पहुंच रहा है।
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