पीलीभीत : मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों का परिवार बोला- लाठी चलाई नहीं...गोली-ग्रेनेड कैसे चलाते
पीलीभीत, अमृत विचार। पंजाब और पीलीभीत पुलिस की मुठभेड़ में एक दिन पूर्व ढेर हुए तीन खालिस्तानी आतंकियों के परिवार ने तीनों के किसी तरह की आतंकी गतिविधि में संलिप्त होने से लेकर गुरदासपुर में हुए ग्रेनेड हमले को लेकर बचाव करते हुए तीनों आतंकियों के शामिल होने की बात पर कई दावे कर दिए। कहा कि न तो कभी इस तरह की हरकत महसूस हुई न ही कभी कोई झगड़ा फसाद तीनों के बारे में सुनने में आया था, जिससे उनके आतंकी संगठनों से जुड़े होने का पता चलता। अधिकांश बिंदुओं पर अनभिज्ञता जताई और सवाल उठाते चले गए। हालांकि सीधे तौर पर कोई आरोप न तो पुलिस पर लगाया न ही किए गए एनकाउंटर पर।
सोमवार सुबह हुए एनकाउंटर में तीन खालिस्तानी आतंकवादी गुरदासपुर (पंजाब) के थाना व मोहल्ला कलानौर निवासी गुरविंदर सिंह (25) पुत्र गुरुदेव सिंह, गुरदासपुर (पंजाब) के थाना कलानौर क्षेत्र के ग्राम अगवान निवासी वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि (23) पुत्र रंजीत सिंह उर्फ जीता और गुरदासपुर (पंजाब) के थाना कलानौर क्षेत्र के ग्राम निक्का सूर निवासी जसनप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह (18) पुत्र स्वरुप सिंह की मौत हुई थी। इनके परिवार को पुलिस ने सूचना देकर बुलाया था। मंगलवार सुबह जसनप्रीत व गुरविंदर सिंह के पिता और वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि के बहनोई गुरमीत सिंह पंजाब से पीलीभीत पहुंचे। पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचने पर उन्होंने मीडिया से वार्ता की और सवालों के जवाब देते हुए अपने बच्चों के आतंकवादी संगठन से जुड़े होने की बात संज्ञान में न होना बताया। इन तीनों खालिस्तानी आतंकियों ने अठारह दिसंबर को गुरदासपुर पंजाब के थाना कलानौर की पुलिस चौकी बख्शीवाल में हैंड ग्रेनेड से हमला किया था।जिसमें पंजाब में दर्ज मुकदमे के बाद वहां की पुलिस ट्रेस करते हुए पीलीभीत के पूरनपुर पहुंची थी। तीनों के ही परिवार का कहना था कि उन्हें पंजाब में हुए हैंड ग्रेनेड हमले की जानकारी तो हुई थी। चूंकि पुलिस चौकी दूरी उनके गांव से दस से पंद्रह किमी की दूरी पर ही है। मगर, इसमें उनके परिवार के बच्चे ही शामिल थे, इसकी कोई जानकारी नहीं थी। सवाल उठाते हुए कहा कि अठारह दिसंबर को पुलिस चौकी पर हमला किया गया लेकिन इसके बाद से अब तक पुलिस उनके घर पर कोई पूछताछ करने तक नहीं पहुंची। कहा कि मजदूर पेशा परिवार है। बच्चे तो कभी लाठी चलाते नहीं दिखे, वह हैंड ग्रेनेड और गोलियां कैसे चलाते। बताया कि कभी कोई महंगा शौक करते भी नहीं देखा जो शक होता। यही कहते रहे कि अगर ग्रेनेड हमले में तीनों के नाम आए और फिर जांच पड़ताल के तहत ही सही लेकिन पुलिस तो आती। मगर अभी तक कोई घर नहीं आया था। सोमवार सुबह जरुर घर पहुंचे पंजाब पुलिस के एक जवान ने यूपी के पीलीभीत में तीनों के एनकाउंटर में मारे जाने की जानकारी दी थी। जिसके बाद शाम को तीनों के परिवार किराए की गाड़ी करके रवाना हुए थे।
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