'कैंसर रोगियों को विकिरण की गलत खुराक, आरसीसी का अभी तक स्पष्टीकरण नहीं,' साइबर सुरक्षा के विशेषज्ञ बोले

तिरुवनंतपुरम। साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों ने क्षेत्रीय कैंसर केंद्र (आरसीसी) से यह स्पष्ट करने को कहा है कि राज्य के स्वामित्व वाले इस प्रमुख कैंसर उपचार केन्द्र पर साइबर हमले के बाद करप्ट हुए वेरियन लिनैक सिस्टम सॉफ्टवेयर और टीपीएस की वजह से कैंसर रोगियों को क्या विकिरण की गलत खुराक दी गई थी। आरसीसी अस्पताल और अनुसंधान केंद्र पूरे भारत के रोगियों की देखभाल और सेवा करता है।
विशेषज्ञों ने सवाल उठाया कि वेरियन लिनैक सिस्टम सॉफ़्टवेयर और टीपीएस के करप्ट के कारण कितने रोगियों को गलत अंगों में विकिरण की गलत खुराक दी गई है? साथ ही यह भी सवाल किया कि इस संबंध में प्राथमिकी कब दर्ज की गयी और किन किन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
उन्होंने बताया कि रोगी डेटा के संरक्षक होने के नाते आरसीसी तिरुवनंतपुरम के निदेशक की जिम्मेदारी बनती है कि वह रोगियों और हितधारकों को खासकर डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (डीपीडीपी अधिनियम) के तहत साइबर हमले के निहितार्थ समझाएं।
विशेषज्ञों ने सवाल किया कि आरसीसी में कितने परिवर्तनीय विकिरण नियोजन उपकरण उपलब्ध हैं? वेरियन रेडिएशन मशीन (वेरियन लिनाक) का विकिरण सॉफ्टवेयर कैसे प्रभावित हुआ है? आपको रैनसमवेयर का दावा करने वाला ईमेल कब प्राप्त होता है? ईमेल का आईपी पता और भौगोलिक डोमेन क्या है?”
आरसीसी-त्रिवेंद्रम और एम्स-दिल्ली पर हाल के साइबर हमले दोनों महत्वपूर्ण घटनाएं हैं जो भारत में साइबर खतरों के प्रति स्वास्थ्य संस्थानों की संवेदनशीलता को उजागर करती हैं। विशेषज्ञों ने ये भी सवाल किये हैं कि रेडिएशन सॉफ्टवेयर और सर्वर में सेंध कैसे लगाई गई? रेडिएशन सॉफ्टवेयर के साथ छेड़छाड़ की सीमा बताएं। क्या इसे बदला गया या बाधित किया गया? सायबर हमलावरों ने सिस्टम “जैसे फ़िशिंग, मैलवेयर, सिस्टम संवेदनशीलता तक पहुंच बनायी।
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