मुरादाबाद : रामगंगा हो रही मैली, गिर रहा शहर के नालों का गंदा पानी...जिम्मेदार हैं मौन

नालों के गंदे पानी से लेकर ई-कचरा व काली मिट्टी की धुलाई का जहरीला पानी रामगंगा नदी में छोड़ा जा रहा

मुरादाबाद : रामगंगा हो रही मैली, गिर रहा शहर के नालों का गंदा पानी...जिम्मेदार हैं मौन

मुरादाबाद, अमृत विचार। महानगर में प्रवाह कर रही रामगंगा नदी में शहर के नाले-नालियों को गंदा पानी गिराया जा रहा है। यह पानी नदी के किनारे पर अनाधिकृत रूप से बसे मोहल्ले व कॉलोनियों के नाले-नालियों द्वारा बहाया जा रहा है। जिससे रामगंगा नदी का पानी दूषित हो रहा है। इसके लिए नगर के कई सामाजिक संगठनों ने भी समय-समय पर नगर निगम के खिलाफ नदी की साफ-सफाई को लेकर प्रदर्शन भी किए हैं।

वहीं सफाई के लिए जिम्मेदार नगर निगम सब कुछ देखने के बाद भी आंख बंद किए हैं तो वहीं जिला प्रशासन भी अपनी दायित्वों से दूरी बनाए है। आशियाना से लेकर कटघर पुल तक लगभग 10 किलोमीटर के दूरी में एक दर्जन से अधिक नालों का गंदा पानी रामगंगा नदी में गिराया जा रहा है।

पिछले एक दशक से रामगंगा नदी के किनारे 11 से 12 किलोमीटर के बीच बसे मोहल्लों और कॉलोनियों के गंदे पानी की निकासी के लिए बनाए गए नाले सीधे रामगंगा नदी में खोले दिए गए हैं। हद तो यह कि एमडीए की परिधि में अनाधिकृत रूप से बन रहे मकानों ने अब मोहल्ले और कॉलोनियों का रूप ले लिया है। ऐसे में मुरादाबाद विकास प्राधिकरण भी चुप्पी साधे है। जिससे रामगंगा नदी का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है। बंगला गांव मोहल्ले से लेकर दसवां घाट, नबाबपुरा, छड़ियों का मैदान, लालबाग, हाथी वाला मंदिर और जामा मस्जिद के पास बसा वारसी नगर मोहल्ले का गंदा पानी सीधे रामगंगा नदी में नगर निगम द्वारा नालों के माध्यम से छोड़ा जा रहा है। 

नबाबपुरा मोहल्ले में नदी किनारे लगी अवैध ई-कचरे की फैक्ट्रियों का जहरीला पानी भी नदी में ही छोड़ा जाता है। वहीं इससे आगे छड़ियों के मैदान की बात करें तो यहां एक बड़ा तबका पीतल की सिल्ली गलाने के लिए काली मिट्टी के धुलाई का काम रामगंगा नदी में ही करता है। जिससे कई किलोमीटर तक रामगंगा नदी का पानी दूषित होकर काले रंग में प्रवाह करता है। हालांकि रामगंगा नदी पर गंगा स्नान पर पूरी आस्था के साथ स्नान करने बड़ी संख्या में लोग आते हैं पर नदी के दूषित पानी को देखकर बिना स्नान किए चले जाते हैं। वहां नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार भी किया जाता है। हर वर्ष गंगा स्नान पर नगर निगम की ओर से कुछ हिस्से पर चुना डालकर खानापूर्ति की जाती है। 

इस संबंध में मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष शैलेश कुमार कहना है कि गंगा नदी किनारे बने मकानों से गंदा पानी रामगंगा नदी में जा रहा है। ऐसे किसी प्रकार के निर्माण को एमडीए की ओर से कोई अनुमति नहीं दी गई है। एमडीए की परिधि में कोई ऐसा निर्माण नहीं कराया जाता जिसके पानी की निकासी किसी नदी में की जाए।

रामगंगा नदी को प्रदूषण कर मुक्त कराने के लिए खुद करनी होगी पहल
समाज में दो हिस्से है। एक सरकारी तंत्र और दूसरा समाज। रामगंगा नदी में फैल रहे प्रदूषण का जिम्मेदार पहले समाज है। नदी में फैले प्रदूषण को साफ करने पहले प्रत्येक नागरिक को आगे आना होगा। नदी के साथ इस तरह का व्यवहार करने से पहले हमें सोचना चाहिए की हम ऐसा क्यों कर रहे हैं? पहले हमें अपने स्तर पर सुधार करना होगा। इसके बाद सरकारी तंत्र को जिम्मेदार ठहराना ठीक होगा। समाज में सुधार आएगा तो जिम्मेदार भी अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आएंगे।-डॉ. हरवंस दीक्षित, वरिष्ठ साहित्यकार

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