मुरादाबाद : देश की आजादी के बाद पहली बार भाजपा से सांसद बने सर्वेश

मुरादाबाद : देश की आजादी के बाद पहली बार भाजपा से सांसद बने सर्वेश

मुरादाबाद, अमृत विचार। लोकसभा चुनाव के मतदान के अगले दिन भाजपा प्रत्याशी और पूर्व सांसद सर्वेश सिंह के निधन से पूरे राजनीतिक जगत में दुख की लहर दौड़ पड़ी। राजनीतिक से लेकर आम आदमी तक दुखी हो गया। बता दे कि देश की आजादी के बाद सर्वेश सिंह ही ऐसे सांसद थे जो पहली बार मुरादाबाद लोकसभा से भाजपा के सांसद रहे थे। साल 1952 में 23 दिसंबर को सर्वेश सिंह का जन्म ठाकुरद्वारा से चार बार विधायक और अमरोहा से एक बार सांसद रहे राजा रामपाल सिंह के घर हुआ था। उन्होंने 26 मई, 1983 को कूकरा स्टेट की कुंवरानी साधना सिंह से शादी की थी उनकी एक बेटी और एक बेटा है।

सर्वेंश सिंह सौपारी स्टेट के नाममात्र के महाराजा थे और उनके हल्दौर स्टेट और बिजनौर की रियासतों के साथ मजबूत संबंध हैं। सर्वेश सिंह 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर ठाकुरद्वारा विधानसभा से विधायक बने। जिसके बाद वह 1993, 1996 और 2002 में भी विधायक बने रहे। इसके बाद वह 2012 में पांचवीं बार ठाकुरद्वारा से भाजपा विधायक बने।

साल 2009 में भाजपा ने उन्हें मुरादाबाद लोकसभा से सांसद प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह जीत नहीं पाए। उन्हें पूर्व क्रिकेटर व कांग्रेस प्रत्याशी अजहरउद्दीन ने हराया था। 2014 में भाजपा ने उन्हें एक बार फिर अपना प्रत्याशी बनाया और वह सपा के डॉ. एसटी हसन को हराकर सांसद बने। यह पहली बार था जब सर्वेश सिंह आजादी के बाद मुरादाबाद लोकसभा में भाजपा के पहले सांसद बने।

इसके अलावा सर्वेश सिंह भाजपा के टिकट पर पांच बार विधानसभा चुनावों में इस निर्वाचन क्षेत्र से सबसे अधिक सेवा करने वाले एकमात्र ठाकुरद्वारा से विधायक भी थे। उन्होंने इस क्षेत्र में कई विकासात्मक योजनाएं शुरू कीं और किसानों, छोटे और बड़े व्यवसायों के लिए बेहतर ऋण सुविधा प्राप्त करने के लिए भी कड़ी मेहनत की थी। इसके लिए उन्होंने अपनी संभावित वित्तीय परियोजनाओं में विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय बैंकों को शामिल किया।

सांसद रहते हुए उन्होंने कई विकासात्मक परियोजनाओं और रचनात्मक गतिविधियों पर काम किया था। जिसमें स्कूलों/कॉलेजों की नींव रखना, स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति, नागरिक भवन, लंबे समय से विलंबित पुल, सड़कों का निर्माण और प्राथमिक स्वास्थ्य में योग्य डॉक्टरों का काम करना शामिल है। लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सर्वेश सिंह को सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी डॉ. एसटी ने हरा दिया था। 2024 में भाजपा ने उन्हें फिर से अपना प्रत्याशी बनाया था।

बेटा विधायक तो पत्नी साधना निर्दलीय प्रत्याशी
भाजपा प्रत्याशी कुंवर सर्वेश सिंह का परिवार राजनीति में समर्पित है। उनकी पत्नी साधना सिंह भी इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। उनका पर्चा जांच में सही पाया गया था और वह प्रत्याशी बनी रहीं। हालांकि वह चुनाव के दौरान कहीं भी अपने लिए वोट मांगती नहीं नजर आईं। उनके बेटे सुशांत सिंह बढ़ापुर से भाजपा के विधायक हैं। वह पिता की बीमारी के चलते साये के रूप में उनके साथ रहे। तो मंच भी संभाला और जनसंपर्क कर लोगों से पिता की जीत के लिए आशीर्वाद और समर्थन मांगा। छजलैट के भीकनपुर में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में आयोजित जनसभा को रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने संबोधित किया था। बीमारी के चलते भाजपा प्रत्याशी इसमें नहीं आए तो उनके बेटे सुशांत सिंह ने जनसभा को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। मंच से उन्होंने पिता की जीत के लिए जनता से आशीर्वाद मांगा तो जनसंपर्कों में भी वह गांव की गलियों में घूमे। सर्वेश सिंह के पिता भी चार बार विधायक और एक बार अमरोहा से सांसद रहे।

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