Chaitra Navratri 2024: 12वीं सदी की शंकरी देवी हैं लोगों की आस्था केंद्र, Unnao के इस मंदिर की यह है खास मान्यता...

सफीपुर में मां शंकरी देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है

Chaitra Navratri 2024: 12वीं सदी की शंकरी देवी हैं लोगों की आस्था केंद्र, Unnao के इस मंदिर की यह है खास मान्यता...

उन्नाव, अमृत विचार। सफीपुर में मां शंकरी देवी का प्राचीन मंदिर है। मंदिर के अंदर दुर्लभ प्रजाति का चंद्रमौली नामक पेड़ के नीचे एक प्राचीन पाषाण है। जिसके ऊपर मां विराजमान हैं। पुरातत्व विभाग ने इस पत्थर को सैकड़ों वर्ष पुराना 12वीं सदी का बताया है। सदियों पुराना मंदिर क्षेत्र में आस्था का प्रतीक बना हुआ है।

किवदंतियों के अनुसार मुगल शासकों ने मूर्ति को नगर स्थित रानी तालाब में डलवा दिया था। जिसके बाद एक ब्राम्हण ने मूर्ति को निकाला और लोगों की मौजूदगी में चंद्रमौली नामक पेड़ के नीचे स्थापित कर दिया। उसके बाद लोग पूजा अर्चना करने लगे। 

Mandir Unnao 1

लोगों की मुरादे पूरी होने लगी। कालांतर में उसी स्थान पर मंदिर की स्थापना की गई। मंदिर के पुजारी देवकी नंदन सैनी ने बताया कि भक्त अपनी मन्नते लेकर दरबार में आते हैं। उनकी मुराद मां पूरी करती हैं। वहीं जिनके बच्चे नहीं होते वह माता रानी के दरबार में माथा टेकने आते हैं। 

मां की कृपा से उनकी सूनी गोद भर जाती है। मां के नाम की डाली चढ़ाकर प्राप्त शिशु का मुंडन संस्कार मां की चैखट पर करा उन्हें प्रसन्न किया जाता है। नवरात्रि में विशेष रूप से नव दिन पूजन के बाद अंतिम दिन भंडारे के साथ ही पूजन का समापन होता है। 

बहू की डोली उतरती मां के दरबार में 

नगर में किसी का भी विवाह संपन्न होने के बाद, सबसे पहले नई बहु की डोली मां के दरबार में उतरती है। मां के दर्शन के बाद ही ही बहु अपने ससुराल जाती है। वहीं लड़कियों की गोद भराई भी मंदिर में होती है। 

ऐसे पहुंचें मंदिर… 

मुख्यालय से 27 किमी उन्नाव-हरदोई मार्ग किनारे कस्बा सफीपुर में मां शंकरी देवी का मंदिर है। उन्नाव व हरदोई से आने वाले भक्त रोडवेज या प्राइवेट बस से पहुंच सकते है। इसके साथ ही बालामऊ पैसेंजर ट्रेन  भी मुफीद है। सफीपुर स्टेशन पर उतरकर भक्त मंदिर पहुंच सकते हैं।

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