बरेली: अब तक मुर्दे ले रहे थे पेंशन, अधिकारियों को नहीं थी खबर

बरेली: अब तक मुर्दे ले रहे थे पेंशन, अधिकारियों को नहीं थी खबर

बरेली, अमृत विचार। उम्र के आखिरी पड़ाव पर जीवन निर्वाह के लिए तमाम बुजुर्ग दाने-दाने को मोहताज हैं। वहीं, विभागीय अधिकारी मुर्दों के खाते में पेंशन भेज रहे हैं। जिले में वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ 4100 ऐसे लोगों के आश्रित ले रहे थे जो इस दुनिया में ही नहीं हैं। करीब दो महीने में …

बरेली, अमृत विचार। उम्र के आखिरी पड़ाव पर जीवन निर्वाह के लिए तमाम बुजुर्ग दाने-दाने को मोहताज हैं। वहीं, विभागीय अधिकारी मुर्दों के खाते में पेंशन भेज रहे हैं। जिले में वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ 4100 ऐसे लोगों के आश्रित ले रहे थे जो इस दुनिया में ही नहीं हैं। करीब दो महीने में पहले सत्यापन में यह गड़बड़ी पकड़ी गई थी लेकिन विभाग ने कमियों पर पर्दा डालने को गुपचुप तरीके से पेंशन पर रोक लगा दी थी।

पोल खुलने पर अब समाज कल्याण विभाग में हड़कंप मचा है। अब हिसाब लगाया जा रहा है कि मौत के बाद किसे-कितनी पेंशन राशि भेजी गई है। केंद्र सरकार द्वारा वृद्धावस्था पेंशन योजना में 60 साल से अधिक की आयु के लोगों को पांच-पांच सौ रुपये वृद्धा पेंशन के तहत सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं। जिले में वित्तीय वर्ष 2019-20 में वृद्धावस्था पेंशन लेने वालों की संख्या 83,460 थी।

इस बीच जुलाई, अगस्त और सितंबर में लाभार्थियों का सत्यापन हुआ पता चला इनमें 4100 पेंशनर्स अब इस दुनिया में नहीं है। जांच में बड़ी संख्या में ऐसे लाभार्थी भी निकले जिनमें कई की उम्र और कई के दस्तावेज गलत थे, इनके नाम सूची से काट दिए गए। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष में 71,086 लाभार्थियों को वृद्धावस्था पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। विभाग की ओर से इनके खातों में पेंशन भेजी जा रही है।

लाकडाउन के कारण देरी से हुआ सत्यापन
करीब चार महीने लाकडाउन में सरकारी कार्यालय पूरी तरह से बंद रहे। जुलाई में अनलाक हुआ तो सरकारी कार्यालय खोलने की सशर्त छूट मिली। इसके बाद शासन के निर्देश पर हर साल अप्रैल, मई और जून महीने में लाभार्थियों का कराया जाने वाला सत्यापन जुलाई, अगस्त और सितंबर में हुआ। इसमें यह गड़बड़ी उजागर हुई है।

खुलासा हुआ तो शुरू हुई जांच 
सरकारी खजाने से लाखों रुपये का गोलमाल होने के मामले लगातार सामने आने के बाद समाज कल्याण विभाग के अधिकारी सत्यापन में खुलासा होने और रिकवरी की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं। सवाल यह उठता है कि पेंशनरों की मौत के बाद पैसे उनके खाते में कैसे डाले जाते रहे। यह हाल तब है जबकि प्रत्येक वर्ष विभाग पेंशनरों का सत्यापन कर पूर्ण रूप से जांच पड़ताल करने का दावा करता है।

प्रधान और सचिव को देनी होती है सूचना
नियमानुसार वृद्धा पेंशन के लाभार्थी की मृत्यु होने पर संबंधित ग्राम प्रधान और सचिव की जिम्मेदारी बनती है कि वह ब्लाक कार्यालय को सूचित कर पेंशन भुगतान पर रोक लगवा दें। कई मामलों में दोनों ने इसका निर्वहन नहीं किया। लाभार्थियों के परिवारवालों ने भी इसकी जहमत नहीं उठाई। वे खाते में आ रही धनराशि से खुद मौज उठाते रहे। अब इनकी जिम्मेदारी भी तय की जा रही है।

“विभाग हर साल पेंशनधारकों का सत्यापन कराता है। इस साल भी सत्यापन कराया। इसमें 4100 लोग मृत पाए गए। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद इन सभी की पेंशन काट दी गई है। बैंक इसकी रिकवरी भी करा है।”— मीनाक्षी वर्मा, जिला समाज कल्याण अधिकारी

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