भारत की स्थिति में सुधार

 भारत की स्थिति में सुधार

संयुक्त राष्ट्र ने मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) के ताजा आंकड़े जारी किए। इनमें भारत की स्थिति में लगातार दो वर्ष की गिरावट के बाद बड़ा सुधार देखने को मिला है। गुरुवार को जारी एचडीआई पर भारत की रैंकिंग 2022 में एक स्थान सुधरकर 193 देशों में 134वें स्थान पर पहुंच गई है, जबकि 2021 में 191 देशों में से यह 135वें स्थान पर थी। मानव विकास से जुड़े ताजा आंकड़ों में भारत में जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) में सुधार आया है।

लोगों में जीने की चाह और कमाई में बढ़ोतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि 1990 के बाद से, जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 9.1 वर्ष बढ़ गई है, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष में 4.6 वर्ष का और औसत वर्ष में 3.8 वर्ष का इजाफा हुआ है। भारत की प्रति व्यक्ति जीएनआई लगभग 287 प्रतिशत बढ़ी है।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि लैंगिक असमानता सूचकांक (जीआईआई-2022) में 14 रैंक की छलांग देश के लिए अहम है। पिछले 10 वर्षों में, जीआईआई में भारत की रैंक लगातार बेहतर हुई है, जो देश में स्त्री-पुरुष समानता हासिल करने में प्रगतिशील सुधार का संकेत देती है। 2014 में यह रैंक 127 था, जो अब 108 हो गई है।

भारत ने लैंगिक असमानता को कम करने में भी बड़ी सफलता हासिल की है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत का प्रदर्शन इसको वैश्विक और दक्षिण एशियाई औसत से बेहतर रहा है। यह सरकार के दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास के उद्देश्य का परिणाम है जिसके तहत नीतिगत पहलों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक एजेंडा निर्धारित किया गया।

यूएनडीपी गरीबी उन्मूलन, असमानता को कम करने हेतु लगभग 70 देशों में कार्य करता है। देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए नीतियों, नेतृत्व कौशल, साझेदारी क्षमताओं तथा संस्थागत क्षमताओं को विकसित करने और लचीलापन बनाने में मदद करता है। सूचकांक की गणना तीन प्रमुख संकेतकों-जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष, शिक्षा के औसत वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय के अंतर्गत की जाती है।

यानि जीवन में चौतरफा विकास से जुड़े अलग-अलग पहलुओं का अध्ययन करने के बाद यह सूचकांक तैयार किया जाता है। यह रिपोर्ट भारत के लिए इसलिए खास मानी जा रही है  क्योंकि रिपोर्ट में मानव जीवन के विकास से जुड़े दूसरे अलग-अलग पहलुओं का भी गहन अध्ययन कर उनको भी इंडेक्स में शामिल कर सिलसिलेवार तरीके से उल्लेख किया गया है।