हल्द्वानी: 'अतिक्रमण' का पोस्टमार्टम - बनभूलपुरा का मिला, बागजाला का ‘अब्दुल मलिक’ कौन ?

हल्द्वानी: 'अतिक्रमण' का पोस्टमार्टम - बनभूलपुरा का मिला, बागजाला का ‘अब्दुल मलिक’ कौन ?

हल्द्वानी, अमृत विचार। जंगलात, बागजाला में 8 अर्द्धनिर्मित भवन ध्वस्त कर पौन हेक्टेयर वनभूमि अतिक्रमण मुक्त करा अपनी पीठ तो थपथपा रहा है, लेकिन यह अवैध बसासत कब, कैसे और किसकी शह पर बसी, इसका खुलासा अभी तक नहीं हो सका है। हैरानी तो यह है कि वन विभाग ने जांच में भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है।

बनभूलपुरा में कंपनी बाग को मलिक का बगीचा बनाने के आरोप में अब्दुल मलिक तो सलाखों के पीछे है लेकिन  बागजाला का ‘अब्दुल मलिक’ कौन है, यह बड़ा सवाल बरकरार है।

तराई पूर्वी वन डिवीजन की गौला रेंज के अंतर्गत वर्ष 1976 में 100 हेक्टेयर से अधिक भूमि खेतीबाड़ी के लिए लीज पर दी गई थी। वर्ष 2007-08 में यह लीज समाप्त हो गई। लीजधारकों ने लीज का नवीनीकरण नहीं कराया और कब्जा भी नहीं छोड़ा। धीरे-धीरे 50-100 रुपये के स्टांप पेपर वन भूमि पर प्लॉटिंग होती गई और एक दशक से अधिक समय में 700 से अधिक परिवार अवैध ढंग से बस गए।

कहें तो कई अवैध कॉलोनियां बना दी गईं। डेढ़ दशक में वन विभाग का इस ओर ध्यान नहीं गया। साथ ही यह भी जांच नहीं की गई कि लाखों की वन भूमि का 50-100 रुपये के स्टांप पेपर पर सौदा करने वाला कौन है। वन विभाग ने अर्द्ध निर्मित भवन तो ध्वस्त कर दिए हैं लेकिन सैकड़ों घरों को बनाने वाला अभी भी वन, पुलिस की गिरफ्त से दूर है। हैरानी की बात तो यह है कि वन विभाग का अभी भी मास्टर माइंड को ढूंढने व पकड़ने के लिए कोई ध्यान नहीं है। 

संज्ञान में आया था कि 50-100 रुपये के स्टांप पेपर पर वन भूमि बेची गई है, तब वन विभाग की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। आगे भी इसकी जांच की जा रही है। वन भूमि बेचने वाला जो भी आरोपी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
= हिमांशु बागरी, डीएफओ तराई पूर्वी वन डिवीजन हल्द्वानी


डीएफओ की अदालत लेगी 700 घरों का फैसला
हल्द्वानी, अमृत विचार : तराई पूर्वी वन डिवीजन के गौला एसडीओ अनिल जोशी ने बताया कि शुरुआत में आठ भवन ध्वस्तीकरण के लिए चिन्हित किए थे इन्हें ध्वस्त कर दिया गया है। इसके अलावा बागजाला में सर्वे अभी भी जारी है, जिसमें 700 से ज्यादा मकान अतिक्रमण के तौर पर चिन्हित किए गए हैं।

अभी ड्रोन सर्वे भी हो रहा है। अतिक्रमित भूमि पर बने मकानों का जीपीएस लोकेशन मैपिंग की जा रही है। भवनों, भवनों में रहने वालों की संख्या, अर्द्ध और निर्मित इमारतों की संख्या पूरा ब्योरा जुटाया जा रहा है। फिर इन्हें अतिक्रमण हटाने को लेकर नोटिस दिए जाएंगे और डीएफओ कोर्ट में सुनवाई होगी। अदालती प्रक्रिया पूरी होने के बाद तोड़फोड़ की कार्रवाई की जाएगी।


बनभूलपुरा से सबक, बागजाला चौतरफा सील
मलिक का बगीचा बनभूलपुरा में अतिक्रमण की कार्रवाई के दौरान पुलिस को भारी विरोध झेलना पड़ा था। आगजनी हुई थी और थाना तक फूंक डाला गया था। अब जब बागजाला मे अतिक्रमण की कार्रवाई की गई तो पुलिस पूरी तैयारी के साथ पहुंची। इससे राहगीरों को जरूर थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन कार्रवाई बिना किसी विरोध के शांतिपूर्वक हुई। 

बनभूलपुरा में अतिक्रण की कार्रवाई बीती 8 फरवरी को की गई थी। शनिवार को बागजाला में अतिक्रमण ढहाया गया तो पुलिस ने व्यापक इंतजाम किए। सबसे पहले बागजाला की ओर जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया। पूरे क्षेत्र को जीरो जोन में तब्दील कर दिया गया।

गौलापुल, खेड़ा तिराहा और कुंवरपुर तिराहे पर बेरीकेड लगाकर पुलिस तैनात कर दी गई। सुबह 7 बजे से ही इन रास्तों पर आम यातायात रोक दिया गया और बागजाला को छावनी में तब्दील कर दिया गया। इस दौरान कुंवरपुर और खेड़ा तिराहा से शहर जाने वालों को काठगोदाम होकर आना-जाना पड़ा। हालांकि बनभूलपुरा से गौला बाईपास होते हुए बरेली रोड की ओर आने-जाने पर मनाही नहीं थी।

कहीं दिखा नहीं, कहीं जानबूझकर हुई अनदेखी
बागजाला में वन भूमि से अतिक्रमण ध्वस्तीकरण में वन विभाग की कार्रवाई भी सवालों के घेरे में रही। जंगलात की जेसीबी जमीन में बनी एक फिट की चौहद्दी पर तो गरजी लेकिन कई दो मंजिला भवन, दुकानें बना दी गई थी, इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया। सूत्रों की मानें तो कई भवन ऐसे थे जिनमें शुक्रवार की रात तक प्लास्टर किए जाने व शटरिंग का काम होता रहा हालांकि शनिवाद को सब काम बंद था। आशंका जताई जा रही है कि रविवार को इन अवैध भवनों का निर्माण धड़ल्ले से होगा। इस पर डीएफओ हिमांशु बागरी ने कहा कि जो नए निर्माण थे उन्हें चिन्हित कर ध्वस्त किया गया है। अन्य निर्माणों को भी प्रक्रिया के तहत ध्वस्त किया जाएगा।

15 साल इंतजार, 250 से अधिक फोर्स और तोड़े आठ निर्माण
हल्द्वानी : बागजाला में ध्वस्तीकरण के लिए 15 साल इंतजार के बाद, 250 से अधिक पुलिस, तराई पूर्वी व तराई केंद्रीय वन डिवीजन की 12 रेंजों की फोर्स, दो मजिस्ट्रेट होने के बाद ही महज 8 निर्माण ध्वस्त किए गए। इनमें एक-दो चौहद्दी और बाकी अर्द्धनिर्मित भवन थे। ऐसे में अतिक्रमण अभियान को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं रहीं। वन विभाग पर बिना योजना व तैयारी के ध्वस्तीकरण करने का आरोप लग रहा है।