बाराबंकी: फल और सब्जियों के अटूट प्रेम से समृद्ध हो रही सलीम की जिंदगी, सीजन में अबतक बेच चुके है दो लाख का टमाटर

बाराबंकी: फल और सब्जियों के अटूट प्रेम से समृद्ध हो रही सलीम की जिंदगी, सीजन में अबतक बेच चुके है दो लाख का टमाटर

काशीनाथ दीक्षित, दरियाबाद/बाराबंकी, अमृत विचार। बाराबंकी के दरियाबाद विकास खंड के मथुरानगर निवासी किसान सलीम परम्परागत खेती से अलग हटकर फल और सब्जियां उगाकर अपना जीवन समृद्ध कर रहे हैं। पारंपरिक तौर पर किसान अक्तूबर नवंबर में खेतों में टमाटर की पौध लगाते हैं तथा जनवरी और फरवरी में उत्पादन लेते हैं।

वहीं मार्च में पुनः उसी खेत का उपयोग टमाटर उगाने के लिए करेंगे। किसान सलीम के खेत में अभी नामधारी 585 किस्म का टमाटर तैयार हो रहा है। सलीम अब टमाटर की दूसरी फसल उगाने की तैयारी में लगे हैं। दूसरी फसल के लिए टमाटर की नर्सरी भी तैयार कर ली है। पुरानी टमाटर की फसल अंतिम दौर में है।

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इसके बाद पुनः उसी खेत में टमाटर की आयुष्मान किस्म लगाई जाएगी। जो मई और जून में तैयार होगी।  सलीम ने बताया कि एक एकड़ में टमाटर तैयार करने में चालीस हजार का खर्च आया है। वहीं दो लाख का टमाटर अयोध्या और रुदौली मंडी में बेच चुके हैं। 25 किलो की एक कैरेट टमाटर का 550 रूपये में मंडी में बिकता है। वहीं टमाटर मजदूर तोड़ने का काम करते हैं। जिससे उनकी भी रोजी रोटी चलती है। 

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सलीम बताते हैं की प्रति पेड़ में 15 से 20 किलो टमाटर का उत्पादन होता है।  सामान्य तापमान पर 15 दिन तक टिकने वाला यह रसीला टमाटर आसानी से  मंडियों में बिक रहा है। सलीम ने आलू की खुदाई कर उस खेत में खरबूजा की बॉबी  किस्म की बुवाई की है। 

वहीं तरबूज की किस्मों में सरस्वती, चिराग, जन्नत,  विशाला की नर्सरी भी तैयार की है। विशाला फल ऊपर से पीला और अंदर लाल होता है। अन्य किस्म के फल।गाढ़े हरे होते है। खेतों को तैयार कर प्लाॅस्टिक के गिलासों में उगाई गई तरबूज की नर्सरी को खेतों में शिफ्ट किया जाएगा।

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