'हिमंत और मिलिंद देवड़ा जैसे नेता पार्टी से हो जाएं अलग', जानिए... ऐसा राहुल गांधी ने क्यों कहा ?
बहरामपुर (पश्चिम बंगाल)। नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के सिलसिले के बीच राहुल गांधी ने कहा है कि वह चाहते हैं कि हिमंत विश्व शर्मा और मिलिंद देवड़ा जैसे नेताओं को पार्टी से अलग हो जाना चाहिए क्योंकि उनकी विचारधारा इसके अनुरूप नहीं है। शर्मा 2014 में भाजपा में शामिल हो गए थे जो अब असम के मुख्यमंत्री हैं।
वहीं, देवड़ा पिछले महीने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए थे। गांधी ने बृहस्पतिवार रात पश्चिम बंगाल में पार्टी के 'डिजिटल मीडिया वारियर्स' को संबोधित करते हुए कांग्रेस द्वारा अपनाए गए सिद्धांतों की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि हिमंत (विश्व शर्मा) और मिलिंद (देवड़ा) जैसे लोग चले जाएं। मैं इससे पूरी तरह सहमत हूं।
हिमंत एक विशेष प्रकार की राजनीति का प्रतिनिधित्व करते हैं, यह कांग्रेस पार्टी की राजनीति नहीं है।" गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' 25 जनवरी को असम से पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर गई। यह शुक्रवार को झारखंड पहुंचने वाली है। उन्होंने कहा, "क्या आपने हिमंत द्वारा मुसलमानों के बारे में दिए गए कुछ बयान सुने हैं? मुझे उनसे कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनका मैं बचाव करना चाहूंगा।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री और मुंबई दक्षिण से पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा का इस्तीफा, कांग्रेस छोड़कर विशेषकर भाजपा की ओर नयी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले नेताओं का नवीनतम उदाहरण है। असम में हिमंत विश्व शर्मा 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। वहीं, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, कांग्रेस की पंजाब इकाई के पूर्व प्रमुख सुनील जाखड़, प्रियंका चतुर्वेदी, हार्दिक पटेल, सुष्मिता देव और आरपीएन सिंह जैसे नेताओं ने हाल के वर्षों में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है। संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन के संबंध में भाजपा नेताओं के हालिया दावों पर गांधी ने कहा कि यह धार्मिक आधार पर विभाजन को बढ़ावा देने के लिए भाजपा द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा एक उपकरण है।
उन्होंने कहा, "ये भाजपा के लिए उपकरण हैं। उनका मूल विचार देश को विभाजित करना और धार्मिक समुदायों के बीच तनाव पैदा करना है।" गांधी की टिप्पणी केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर की 29 जनवरी की इस घोषणा के बाद आई है कि सीएए को एक सप्ताह के भीतर देश भर में लागू किया जाएगा।
वर्ष 2019 में केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाए सीएए का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित सताए गए गैर-मुस्लिम लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
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