कानपुर: नित्य व्यायाम व सफाई से फाइलेरिया पीड़ित रोगियों को मिल रहा आराम; बीते छह माह में नहीं आया एक्यूट अटैक....
फाइलेरिया के रोगियों को नित्य व्यायाम व सफाई रखने से आराम मिल रहा है।
फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो जीवन के अंतिम समय तक साथ रहती है। लेकिन इसका बेहतर प्रबंधन किया जाए तो रोगी सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सकता है और बीमारी को गंभीर होने से भी रोका जा सकता है।
कानपुर, अमृत विचार। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो जीवन के अंतिम समय तक साथ रहती है। लेकिन इसका बेहतर प्रबंधन किया जाए तो रोगी सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सकता है और बीमारी को गंभीर होने से भी रोका जा सकता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग फाइलेरिया मरीजों को प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए मारबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिस्बिलिटी प्रीवेंशन (एमएमडीपी) प्रशिक्षण और किट प्रदान करता है।
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया कि फाइलेरिया पीड़ित पूरी सावधानी बरते तो पैरों में सूजन कम हो जाती है। उन्हें हमेशा चप्पल या जूते पहनने चाहिए, जो मुलायम होने चाहिए। पैर लटका कर नहीं रखना चाहिए, बहुत ज्यादा देर तक न खड़े नहीं रहना चाहिए, पैरों को हमेशा साफ और सूखा रखना चाहिए, प्रभावित अंग में एंटीसेप्टिक क्रीम लगाना चाहिए। इसके अलावा महिला को पायल, बिछिया या काला धागा नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि इससे फंगस का संक्रमण होने का खतरा रहता है।
डॉक्टरों द्वारा दी गई जानकारी व बताए व्यायाम करने से मरीज ठीक हो सकता है। नियमित रूप से व्यायाम से बड़ा लाभ यह हुआ है कि किसी भी मरीज को बीते चार से छह माह में कोई एक्यूट अटैक (फाइलेरिया अटैक) नहीं आया है।
पहला मामला
हाथीपुर गांव निवासी बाबा पंचायतेश्वर फाइलेरिया रोगी व सहायता समूह की सदस्य ने बताया कि 30 साल से वह फाइलेरिया पीड़ित है। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जिस प्रकार प्रशिक्षण दिया गया है, उसी तरह प्रतिदिन व्यायाम और पैर की सफाई करती है। नियमित व्यायाम का फायदा यह मिली कि वह अब पायल पहनती है और घरेलू काम भी कर लेती हैं।
दूसरा मामला
दीपापुर गांव निवासी और बजरंग फाइलेरिया रोगी सहायता समूह के सदस्य ने बताया कि उन्होंने दो बार एमएमडीपी प्रशिक्षण लिया है। वह करीब करीब चार माह से नियमित व्यायाम कर रहे हैं, जिससे पैर की सूजन लगभग खत्म हो गई है। फाइलेरिया रोगी सहायता समूह से जुड़ने और प्रशिक्षण में पता चला कि पैर लटका कर नहीं रखना है।
तीसरा मामला
हाथेरुआ गांव निवासी मां सिंह भवानी फाइलेरिया रोगी सहायता समूह के सदस्य ने बताया कि दो बार एमएमडीपी प्रशिक्षण लिया। तब पता चला कि पैर की सफाई कैसे करते हैं। उसके बाद रोज साबुन से पैर धोकर नरम तौलिया से सुखाते हैं। क्योंकि पैर में गंदगी लगने से बुखार की स्थिति हो जाती है। जिससे अब काफी आराम भी मिल रहा है।
चौथा मामला
रहनस गांव निवासी गौरी शंकर फाइलेरिया रोगी सहायता समूह की सदस्य ने बताया कि वह पिछले 15 सालों से फाइलेरिया से पीड़ित है। प्रशिक्षण में जानकारी मिलने के बाद नियमित व्यायाम और साफ-सफाई का ध्यान रखा, जिसके बाद अब फाइलेरिया प्रभावित पैर की सूजन कम हुई है। वह घरेलू काम भी आसानी से कर पा रही है।