हल्द्वानी: विशेष श्रेणी, संविदा के भरोसे चलेगा निगम, 10 साल से नहीं हुई नियमित नियुक्तियां
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हल्द्वानी, अमृत विचार। परिवहन निगम विशेष श्रेणी, संविदा व मृताश्रित कार्मिकों के भरोसे चल रहा है। निगम में पिछले 10 साल से नियमित नियुक्ति नहीं हुई हैं। परिवहन निगम के काठगोदाम व हल्द्वानी डिपो में वर्तमान में 1 हजार से अधिक कार्मिक कार्यरत हैं जिसमें लगभग 250 नियमित कार्मिक जबकि शेष (लगभग 75 प्रतिशत) संविदा, विशेष श्रेणी व मृताश्रित हैं। साल 2014 में संविदा के चालक, परिचालकों को नियमित नियुक्ति दी गई थी।
इसके 10 साल बाद भी इन कार्मिकों को नियमित नहीं किया गया है जबकि कर्मचारी लंबे समय से नियमित नियुक्ति की मांग कर रहे हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. प्रकाश पंत की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी की संस्तुति के आधार पर कार्मिकों को नियमित किया गया था। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में 1989 में नियमित नियुक्तियां हुई थी जबकि उत्तराखंड परिवहन निगम बनने के बाद एक भी नियमित नियुक्ति नहीं हुई है।
इस तरह कहा जा सकता है कि उत्तराखंड परिवहन निगम संविदा, विशेष श्रेणी व मृताश्रितों के भरोसे चल रहा है। रोडवेज कर्मचारियों ने बताया कि अगले साल 2025 में 50 प्रतिशत नियमित कार्मिक सेवानिवृत्त हो जाएंगे जिसके बाद निगम संविदा, विशेष श्रेणी व मृताश्रितों के भरोसे चलेगा। परिवहन निगम में नियुक्तियों के लिये कोई नियमावली नहीं बनी है।
प्रदेश गठन के बाद अभी तक जितनी भी संविदा व विशेष श्रेणी नियुक्तियां हुई हैं उनको कमेटी की संस्तुति के आधार पर ही नियमित किया गया है। निगम में संविदा व विशेष श्रेणी भर्तियां तो की जा रही हैं लेकिन लंबे समय तक उनको नियमित नियुक्ति नहीं मिल पा रही है। निगम की अलग-अलग यूनियन अपनी बैठकों में हर बार कार्मिकों को नियमित किये जाने की मांग उठाते हैं लेकिन अभी तक इन कार्मिकों के हित में फैसला नहीं लिया गया है।
नियमित कार्मिकों व संविदा, विशेष श्रेणी व मृताश्रितों को मिलने वाले लाभ में अंतर
नियमित कार्मिकों को एक माह का अर्जित अवकाश, एक माह का आकस्मिक अवकाश व चिकित्सा सुविधा का लाभ मिलता है और कार्मिकों को सरकारी सेवा नियमावली के अनुसार ग्रेड पे के हिसाब से वेतन मिलता है। दूसरी तरफ संविदा, विशेष श्रेणी व मृताश्रित चालक/परिचालकों को प्रति किमी. के अनुसार भुगतान किया जाता है और 1 माह में 4 अवकाश मिलते हैं। इन 4 अवकाशों में भी उनकी ओर से काम करने पर उनको इसका भुगतान किया जाता है। रोडवेज की कार्यशाला में भी कुशल और अकुशल श्रेणी के कार्मिक हैं जिसमें कुशल (आईटीआई या अन्य तकनीकी डिग्रीधारक) को अधिक वेतन दिया जाता है जबकि अकुशल श्रेणी के कार्मिक का वेतनमान कम होता है। कार्यशाला में भी अधिकांश कार्मिक संविदा, विशेष श्रेणी व मृताश्रित हैं।