गोरखपुर : खिचड़ी मेले में बहती है श्रद्धा, मनोरंजन व रोजगार की त्रिवेणी

त्रेतायुग से चली आ रही, बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा

गोरखपुर : खिचड़ी मेले में बहती है श्रद्धा, मनोरंजन व रोजगार की त्रिवेणी

गोरखपुर, अमृत विचार। मकर संक्रांति पर लगने और इससे पखवारा पूर्व शुरू होकर डेढ़-दो माह तक लगने वाले खिचड़ी मेले में श्रद्धा, मनोरंजन और रोजगार की त्रिवेणी बहती है। पूरी प्रकृति को ऊर्जस्वित करने वाले सूर्यदेव के उत्तरायण होने पर गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की त्रेतायुग से चली आ रही यह अनूठी परंपरा पूरी तरह लोक को समर्पित है। गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी के रूप में चढ़ाए जाने वाला अन्न वर्षभर जरूरतमंदों में वितरित किया जाता है। मंदिर के अन्न क्षेत्र में कभी भी कोई जरूरतमंद पहुंचा, खाली हाथ नहीं लौटा। ठीक वैसे ही, जैसे बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाकर मन्नत मांगने वाला कभी निराश नहीं होता।

इस साल मकर संक्रांति 15 को
मान्यता है कि तत्समय आदि योगी गुरु गोरखनाथ एक बार हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मां ज्वाला देवी के आमंत्रण पर उनके वहां एक आयोजन में पहुंचे। मां ने उनके भोजन का प्रबंध किया। कई प्रकार के व्यंजन देख बाबा ने कहा कि वह तो योगी हैं और भिक्षा में प्राप्त चीजों को ही भोजन रूप में ग्रहण करते हैं। उन्होंने मां ज्वाला देवी से पानी गर्म करने का अनुरोध किया और स्वयं भिक्षाटन को निकल गए। भिक्षा मांगते हुए वह गोरखपुर आ पहुंचे और राप्ती और रोहिन के तट पर जंगलों में बसे इस स्थान पर धूनी रमाकर साधनालीन हो गए। उनका तेज देख तभी से लोग उनके खप्पर में अन्न (चावल, दाल) दान करते रहे। इस दौरान मकर संक्रांति का पर्व आने पर यह परंपरा खिचड़ी पर्व के रूप में परिवर्तित हो गई। तब से बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने का क्रम हर मकर संक्रांति पर अहर्निश जारी है। कहा जाता है कि उधर ज्वाला देवी के दरबार मे बाबा की खिचड़ी पकाने के लिए आज भी पानी उबल रहा है।

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गोरक्षपीठाधीश्वर नाथ पंथ की विशिष्ट परंपरानुसार शिवावतारी गुरु गोरखनाथ को लोक आस्था की खिचड़ी चढ़ाकर समूचे जनमानस की सुख समृद्धि की मंगलकामना करते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार तथा देश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भी कुल मिलाकर लाखों की तादाद में श्रद्धालु शिवावतारी बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं। मकर संक्रांति के दिन भोर में सबसे पहले गोरक्षपीठ की तरफ से पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ खिचड़ी चढ़ाकर बाबा को भोग अर्पित करते हैं। तत्पश्चात नेपाल राजपरिवार की ओर से आई खिचड़ी और रोट (खास तरह की मिठाई) बाबा को चढ़ाई जाती है। इसके बाद मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं और जनसामान्य की आस्था खिचड़ी के रूप में निवेदित होनी शुरू हो जाती है।

खिचड़ी महापर्व को लेकर मंदिर व मेला परिसर सज धजकर तैयार है। मंदिर प्रबंधन की तरफ से श्रद्धालुओं के ठहरने और अन्य सुविधाओं और सुरक्षा का पूरा इंतज़ाम किया गया है। 

सामाजिक समरसता का केंद्र है गोरखनाथ मंदिर
गोरखनाथ मंदिर सामाजिक समरसता का ऐसा केंद्र है जहां जाति, पंथ, महजब की बेड़ियां टूटती नजर आती हैं। इसके परिसर में क्या हिंदू, क्या मुसलमान, सबकी दुकानें हैं। यानी बिना भेदभाव सबकी रोजी रोटी का इंतजाम है। यही नहीं, मंदिर परिसर में  डेढ़-दो माह तक लगने वाला खिचड़ी मेला भी जाति-धर्म के बंटवारे से इतर हजारों लोगों की आजीविका का माध्यम बनता है। मंदिर परिसर में नियमित रोजगार करने वालों से लेकर मेला में दुकान लगाने वालों तक, बड़ी भागीदारी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की होती है। उन्होंने कभी कोई भेदभाव महसूस नहीं किया बल्कि अपनेपन के भाव से विभोर होते रहते हैं। मेले में खरीदारी से लेकर मनोरंजन के साधनों तक भरपूर इंतज़ाम है।

ये भी पढ़ें -प्रयागराज : अब्बास अंसारी के ड्राइवर पर रासुका लगाए जाने के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब

ताजा समाचार

Kannauj: अब तक खंगाली गई नवाब और नीलू की 16 करोड़ की संपत्ति, जिलाधिकारी से परमीशन लेकर पुलिस जब्त करेगी संपत्ति
जय श्री राम लिखी पहनी शर्ट...दूसरे समुदाय का युवक पहचान छिपाकर बेच रहा था कबाब पराठा: कानपुर में बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने किया हंगामा
Kanpur: दरोगा ने युवक को बेरहमी से पीटा, अस्पताल में भर्ती, पुलिस बोली- आरोप निराधार, भाइयों के बीच का झगड़ा
Rampur news: तारीख पर आए पति-पत्नी आपस में भिड़े, सरेआम होने लगी मारपीट
शिक्षा विभाग में कनिष्ठ लिपिक 5000 रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार...कानपुर में विजिलेंस टीम ने पकड़ा
रामपुर : पौने दो लाख रुपये से भरी गुल्लक लेकर फरार होने वाला आरोपी गिरफ्तार