शाहजहांपुर: 4380 किसानों ने कराया फसल बीमा, 128 को मिलेगा लाभ, जिले में योजना की दुर्दशा

बीमा कराने वाले बहुत कम किसानों को मिल पा रहा लाभ

शाहजहांपुर: 4380 किसानों ने कराया फसल बीमा, 128 को मिलेगा लाभ, जिले में योजना की दुर्दशा

शाहजहांपुर, अमृत विचार: जिले में फसल बीमा योजना की दुर्दशा है। एक ओर बहुत कम किसान बीमा करा रहे हैं और दूसरी ओर बीमा कराने वाले किसानों में से भी बहुत कम को बीमा योजना का लाभ मिल पा रहा है। खरीफ फसल का 4380 किसानों ने बीमा कराया था, इनमें से मात्र 128 को ही लाभ मिल सकेगा। किसानों को फसल बीमा पाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का लाभ लेने के लिए रबी सीजन में पांच लाख
किसानों में अब तक महज 1783 किसानों ने ही आवेदन किया है। अतिवृष्टि, सूखा पड़ने, ओला गिरने, आग लगने समेत दैवीय आपदा के कारण हर साल किसानों को फसल में नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों को क्षतिपूर्ति उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी।

किसान बैंक, जन सुविधा केंद्र या बीमा कंपनी के जरिये फसल का बीमा करा सकते हैं। फसल बीमा के लिए खसरा, खतौनी, आधार कार्ड, बैंक खाता की जरूरत होती है।
 कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में खरीफ की फसल का 9374 किसानों ने फसल बीमा कराया। इसमें 61 किसानों को लाभ मिला। वर्ष 2020-2021 में रबी सीजन में 5853 किसानों ने बीमा कराया, इनमें से 149 किसानों को लाभ मिला।

खरीफ वर्ष 2021 में 5321 किसानों ने बीमा कराया, जिसमें से 755 किसानों को लाभ मिला। रबी वर्ष 2121-22 में 4308 किसानों ने फसल बीमा कराया, जिसमें से 291 को लाभ मिला। खरीफ वर्ष 2022 में 5313 किसानों ने बीमा कराया, जिसमें से 929 किसानों को लाभ मिला। रबी वर्ष 2022-23 में 5062 किसानों ने फसल बीमा कराया, जिसमें 643 किसानों को लाभ मिला। खरीफ वर्ष 2023 में 4380 किसानों ने बीमा कराया, जिसमें 128 किसानों को बीमा का लाभ मिलेगा, रबि वर्ष 2023-24 में 1783 किसानों ने अभी तक बीमा कराया है।

...तो इसलिए भंग हो रहा किसान बीमा से मोह: किसानों का फसल बीमा से मोह भंग होने का एक मुख्य कारण आर्थिक तंगी है। भले ही अधिकारियों को लगता हो कि दो-चार हजार रुपये में क्या होता है, लेकिन किसानों के लिए यही रकम बहुत बड़ी है। किसान एक ओर फसल काटकर बाजार में बेचता है और दूसरी ओर उधारी चुकाने लगता है।

इसके साथ ही अगली फसल की बुवाई शुरू हो जाती है। फसल बोने के साथ ही किसान आर्थिक संकट से जूझने लगता है। अगली फसल को उगाने के लिए उसे फिर से खाद, दवा आदि उधार लेना पड़ता है। ऐसे में उसके पास फसल बीमा के लिए पैसा नहीं बचता है।

किसान सुमंत, राधे श्याम, मेवाराम और बड़े लल्ला ने बताया कि फसल बीमा योजना के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वह बीमा करवा पाएं। किसानों ने बताया कि बीमा का पैसा हासिल करने की प्रक्रिया भी बहुत जटिल है। अगर बीमा कंपनी के चक्कर लगाने में रहेंगे तो फसलें बर्बाद हो जाएंगी।  

यह हैं जिले की फसलें: खरीफ की फसलें अधिक तापमान में उगती हैं। इनमें कपास, मूंगफली, धान, बाजरा, मक्‍का, शकरकन्‍द, उर्द, मूंग, मोठ लोबिया (चंवला), ज्‍वार, अरहर, ढैंचा, गन्‍ना, सोयाबीन,भिंडी, तिल, ग्‍वार, जूट, सनई आदि। रबी की फसलों का उत्पादन कम तापमान में होता है।

इनमें गेहूं, जौं, चना, सरसों, मटर, बरसीम, रिजका‌, हरा चारा, मसूर, आलू, राई,तम्‍बाकू, लाही, जई,  अलसी और सूरजमुखी आदि की फसलें शामिल हैं।जायद फसलें की फसलें तेज धूप और हवाओं को सहन कर सकती हैं। इनमें ककड़ी, खरबूजा आदि फसलें शामिल हैं। 

रैली, मेला आदि के माध्यम से किसानों को फसल बीमा के प्रति जागरूक किया जाता है। इसके लिए गांव-गांव अभियान चलाया जा रहा है। इसके बाद भी काफी कम संख्या में किसान फसल बीमा कराते हैं। -धीरेंद्र सिंह, उप कृषि निदेशक

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