बरेली: करोड़ों गंवाने वाले डेढ़ लाख लोगों को झूठी उम्मीदों से बांधने का एक साल पूरा

जनवरी में हुई थी चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम का ब्योरा फार्म पर भरवाने की शुरुआत, पैसा कब और कैसे मिलेगा, अब तक नहीं किया साफ

बरेली: करोड़ों गंवाने वाले डेढ़ लाख लोगों को झूठी उम्मीदों से बांधने का एक साल पूरा

बरेली, अमृत विचार : झूठी उम्मीदों से लोगों को कैसे बांधे रखा जाता है, यह चिटफंड कंपनियों में अपनी जमापूंजी का निवेश करके करोड़ों गंवा देने वाले जिले के करीब डेढ़ लाख लोगों से फार्म भरवाकर बता दिया गया। महीनों तक ये लोग लंबी लाइनों में लगकर फार्म जमा करते रहे लेकिन इसके बाद उन्हें यह तक नहीं बताया गया कि इन फार्मों का होगा क्या।

पीड़ित निवेशकों की डूबी रकम का लेखाजोखा तैयार कराने वाले संस्थागत वित्त बीमा एवं बाह्य सहायतित परियोजना के महानिदेशक शिवसिंह यादव दो दिन पहले बरेली होकर चले गए लेकिन फार्मों और उनमें दिए गए डूबी रकम के ब्योरे की कोई समीक्षा तक नहीं की।संस्थागत वित्त बीमा एवं बाह्य सहायतित परियोजना के महानिदेशक शिवसिंह यादव के ही आदेश पर निवेशकों से चिटफंड कंपनियों में जमा की गई रकम का ब्योरा भरवाकर फार्म जमा करने की शुरुआत जनवरी में की गई थी।

शुरू में कलेक्ट्रेट में फार्म जमा कराए गए लेकिन यहां बेतहाशा भीड़ उमड़ने से बाकी कामकाज ठप होने लगा तो यह काम पहले तहसीलों और फिर जिले के सभी ब्लॉकों के हवाले कर दिया गया। मार्च तक लोग लंबी लाइनों में सुबह से शाम तक खड़े होकर फार्म जमा करते रहे। करीब डेढ़ लाख फार्म भरे जाने के बाद उन्हें डेढ़ सौ बोरों में भरकर एडीएम एफआर के कार्यालय के कोनों में ठूस दिए गए और कुछ दिन बाद कलेक्ट्रेट के ही किसी गोपनीय कमरे में रखवा दिए गए।

साल भर बाद भी निवेशकों को नहीं पता चला कि उनसे भरवाए गए फार्मों पर क्या होगा और कब होगा। दो दिन पहले 15 दिसंबर की रात को वित्त-बीमा और बाह्य सहायतित परियोजना के महानिदेशक बरेली पहुंचे और 16 दिसंबर को शाहजहांपुर चले गए लेकिन इस बीच फार्मों के संबंध में कोई समीक्षा नहीं की। प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक महानिदेशक के रात में आने की वजह से समीक्षा नहीं हुई।

उम्मीद थी, लोकसभा चुनाव से पहले मिल जाएगी डूबी रकम: प्रशासनिक तौर पर तो कोई दावा नहीं किया गया लेकिन निवेशकों को उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें उनकी डूबी रकम दिला दी जाएगी। जनवरी के बाद कई महीनों तक वे टकटकी लगाए रहे लेकिन अब साल पूरा होने के साथ उनकी उम्मीदें फीकी पड़ने लगी हैं। जल्द रकम मिलने की उम्मीद इसलिए भी कम हो गई है क्योंकि जनवरी या फरवरी में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के आसार हैं। लोकसभा चुनाव होने के बाद क्या होगा, इस बारे में वे कुछ नहीं कह पा रहे हैं।

कुल कितनी रकम ले उड़ीं कंपनियां इसका ब्योरा भी नहीं किया तैयार: बरेली में करीब डेढ़ लाख फार्म जमा हुए लेकिन उनमें कितनी कंपनियों के कितनी रकम हड़पे जाने का विवरण है, फार्म जमा कराने वालों ने इसका ब्योरा तक नहीं तैयार किया है। न रकम हड़पने वाली कंपनियों की चल और अचल संपत्तियों का ब्योरा तैयार करने की शुरुआत हुई। पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम को सत्यापन कर निवेशकों की डूबी रकम से संबंधित डाटा तैयार करना है लेकिन डाटा अभी तैयार नहीं हुआ है।

कर्मचारी कम, अब तक 20 हजार ही फार्म हुए फीड: उत्तर प्रदेश वित्तीय अनुष्ठान में जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम अधिनियम 2016 के सफल क्रियान्वयन के लिए एडीएम एफआर को सक्षम प्राधिकारी नियुक्त किया गया है। संस्थागत वित्त के महानिदेशक स्तर पर एक पोर्टल तैयार हुआ है जिस पर फार्मों की फीडिंग कराई जा रही है लेकिन कर्मचारियों की संख्या कम होने से फीडिंग में समय लग रहा है। अब तक 20 हजार फार्मों की ही पोर्टल पर फीडिंग हुई है।

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