बरेली: विकास पुरुषों के शहर में अफसरों के दावों का डलावघर, छुट्टा पशु लगाए हुए हैं जमघट

मालगोदाम रोड पर बना नया डलावघर, सफाई और छुट्टा पशुओं को गोशाला भेजे जाने का सच जगजाहिर

बरेली: विकास पुरुषों के शहर में अफसरों के दावों का डलावघर, छुट्टा पशु लगाए हुए हैं जमघट

बरेली, अमृत विचार : मालगोदाम रोड पर ये नया डलावघर शहर के विकास की लंबी-लंबी डींगों का सच है। गलियों-मोहल्लों का कूड़ा उठाकर दूर न ले जाना पड़े, इसलिए यहां यह डलावघर विकसित कर लिया गया है। यहीं पर छुट्टा गोवंशीय पशुओं का जमघट पशुधन मंत्री के जिले में अफसरों के दावों की भी सच्चाई बयां कर रहा है।

दरअसल, 12 सौ करोड़ रुपये से स्मार्ट सिटी की सफाई व्यवस्था शानदार हो चुकी है और यहां सड़कों पर कोई छुट्टा पशु नहीं भटक रहा है, यह इन्हीं दो दावों का डलावघर है। लोगों को इधर से नाक पर हाथ या रुमाल रखकर निकलना पड़ता है, जिस पर विकास पुरुषों की कोई नजर नहीं पड़ती। दो-दो दिन यहां कूड़े के ढेर पड़े रहते हैं, यह देखने की फुर्सत अफसरों को भी नहीं है। यह स्वच्छ भारत अभियान की भी सच्चाई है।

यह डलावघर जनता के बजाय नगर निगम के कर्मचारियों की सुविधा के लिए बना है। यहां से रोज के रोज गंदगी उठाने की भी व्यवस्था नहीं है। ज्यादा कूड़ा होने पर उसे बगैर इसकी चिंता किए जला दिया जाता है कि पहले से प्रदूषित शहर में प्रदूषण और बढ़ेगा।

स्वच्छता के नारे गायब... बस इतना ठीक किया: जब खुद ही स्वच्छता का ध्यान नहीं है तो जनता को उपदेश देने का मतलब, लिहाजा इतना भर ठीक किया गया है कि मालगोदाम रोड पर दीवारों पर लिखाए गए स्वच्छता के नारे साफ हो गए हैं।

जेल की नई दीवार के निर्माण के लिए उन पुरानी दीवारों को ढहा दिया गया है जिन पर कुछ ही समय पहले स्वच्छता के नारे लिखवाए गए थे। यहीं पर दो अलग-अलग जगह अब कूड़ा डाला जा रहा है। आधी सड़क भी कूड़े के ढेरों से घिर गई है जिस वजह से उस पर ट्रैफिक भी नहीं गुजर पा रहा है।

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