किसान बाबू सिंह ने आत्महत्या नहीं की उनकी हत्या हुई, मेरी मौत हुई तो अखिलेश होंगे जिम्मेदार: डॉ. दिवाकर

किसान बाबू सिंह ने आत्महत्या नहीं की उनकी हत्या हुई, मेरी मौत हुई तो अखिलेश होंगे जिम्मेदार: डॉ. दिवाकर

कानपुर। किसान बाबू सिंह की आत्महत्या के मामले में मुख्य साजिशकर्ता पार्टी से निष्कासित भाजपा नेता व बाल संरक्षण आयोग का सदस्य डॉ. प्रियरंजन अंशु दिवाकर ने 83 दिन बाद पहली बार मीडिया कर्मियों के सामने अपना पक्ष रखा। प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि बाबू सिंह ने आत्महत्या नहीं की थी उनकी हत्या हुई है।

इनकी हत्या के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पूर्व सांसद व सपा नेता राजाराम पाल समेत कई अन्य का हाथ है। अगर उनकी हत्या हुई तो उसके जिम्मेदार अखिलेश यादव होंगे। 

श्याम नगर स्थित अपने आवास पर शुक्रवार देर शाम आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में प्रियरंजन अंशु दिवाकर ने कहा कि उन्हें केवल फंसाया गया है। डॉ. प्रियरंजन ने पूर्व मु्ख्यमंत्री अखिलेश यादव और पूर्व सांसद राजाराम पाल समेत नरेंद्र सिंह यादव पर गंभीर आरोप लगाए। कहा कि सपा सरकार में बाबू की जमीन को पूर्व सांसद राजाराम पाल ने कब्जा किया था। 

2018 में उनके ड्राइवर बबलू यादव की मदद से बाबू सिंह उनके पास आए थे। ऊषा देवी की पैतृक संपत्ति गोदनामे से 12 बीघा जमीन बाबू सिंह के पास आई थी। उसमें से साढ़े पांच बीघा जमीन का एग्रीमेंट हुआ। क्योंकि बाबू सिंह उस जमीन के मालिक थे ही नहीं। इसलिए साढ़े पांच करोड़ की जमीन का 25 लाख में सौदा हुआ था। 

2022 में बाबू सिंह के नाम पर जमीन का दाखिल खारिज हो गया। ऊषा देवी की सारी संपत्ति के मालिक बाबू सिंह हो गए थे। दबंग नरेंद्र की दहशत के चलते कोई भी बाबू सिंह की जमीन खरीदने को तैयार नहीं था। बाबू सिंह अपनी पूरी संपत्ति को बेचना चाहते थे। बाबू सिंह माफिया से लड़ते-लड़ते थक गए थे। पूरी जमीन का 3.50 करोड़ में सौदा तय हुआ था। उन्होंने बाबू सिंह के साथ कोई धोखाधड़ी नहीं की है। 

कहा कि अगर वह मामले में दोषी पाए गए तो अपनी पूरी संपत्ति किसान बाबू सिंह यादव के परिजनों को दे देंगे। अगर समाजवादी पार्टी के लोग दोषी पाए जाएं तो वह अपनी चौथाई संपत्ति पीड़ित मृतक बाबू सिंह के नाम करें। समाजवादी पार्टी ने राजनीतिक द्वेष के चलते उनको झूठे आरोपों में फंसाया है। वार्ता के दौरान आरोपी बनाए गए डॉ. दिवाकर ने कई ऐसे साक्ष्य प्रस्तुत किए जो मृतक किसान बाबू सिंह यादव की मौत से संबंधित हैं। 

कहा कि उन्होंने केवल बाबू सिंह के परिवार की मदद की लेकिन उन्हें ही फंसा दिया गया। बाबू सिंह कतई पढ़े लिखे नहीं थे। वह मुझे अपना देवता मानते थे। तो उन्होंने सुसाइड नोट कहां से लिख लिया। फोरेंसिक रिपोर्ट में लग रहे समय से ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुछ न कुछ पुलिस ने भी गलत फंसाया है। 

न्यायालय पर मुझे पूरा भरोसा 

कोई कुछ भी कहे लेकिन मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है। मैं खुद एक डॉक्टर हूं। मेरी पत्नी अनामिका भी डॉक्टर हैं। वह चाहें तो एक लाख रुपये रोज का कमा सकते हैं। लेकिन उन्होंने फिर भी बाबू सिंह के परिवार की मदद की, लेकिन उन लोगों ने ही दबाव के कारण आरोप लगा दिए। 

यह जमीन बाबू सिंह की है ही नहीं 

घटनास्थल पर सुसाइड नोट मिलने की बात कही जा रही है। जो पूरी तरह से फेक है। वो गलत बनाया गया है। बाबू सिंह के नाम कभी भी यह जमीन नहीं रही है। वर्ष 1999 में उनके गोदनामे को फर्जी करार करा दिया गया। इसके बाद 2012 में फर्जी वसीहत नाम करा ली गई। फिर दाखिल खारिज करा लिया गया। पू‍र्व सांसद राजाराम पाल ने फर्जी बयान तस्दीक किए और उनकी जमीन हड़प ली थी।

सपा के गुंडों से जमीन मुक्त कराई 

प्रियरंजन ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि किसान बाबू सिंह की जमीन पर सपा के गुंडों ने कब्जा कर लिया था। उसने पूरी जमीन को गुंडों से मुक्त कराया। आरोपियों को जेल भिजवाया था। मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। 

मौत के बाद दर्ज हुई थी छह पर एफआईआर

किसान की मौत के बाद पुलिस हरकत में आई और चकेरी थाने में मृतक किसान की पत्नी बिटान की तहरीर पर चकेरी पुलिस ने डॉ. प्रियरंजन अंशु दिवाकर, आशु के गुर्गे व मैनपुरी का भाजपा नेता शिवम सिंह चौहान, नोएडा में रहने वाले अंशु के पार्टनर राहुल जैन, किसान का भतीजा जितेंद्र यादव, बबलू यादव, मधुर पांडेय के खिलाफ धोखाधड़ी, आत्महत्या के लिए उकसाने, साजिश रचने और जान से मारने की धमकी देने समेत अन्य गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी।

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