बरेली रीजन: भ्रष्टाचार के आरोपों का धुआं छोड़ रही हैं बीएस- 6 बसें

मुख्यालय से मिलीं सभी 25 बसें पीलीभीत और बदायूं डिपो को दे दिए जाने पर यूनियन नेताओं ने लगाए रिश्वतखोरी के आरोप

बरेली रीजन: भ्रष्टाचार के आरोपों का धुआं छोड़ रही हैं बीएस- 6 बसें

बरेली, अमृत विचार। रोडवेज के बेड़े में शामिल हुई बीएस- 6 मॉडल की बसें वायु प्रदूषण कम करने में तो मददगार बनेंगी लेकिन बरेली रीजन में इनका आवंटन भ्रष्टाचार का धुआं छोड़ रहा है। रीजन में आई 25 बसों में से एक भी बस बरेली और रुहेलखंड डिपो को न दिए जाने पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कर्मचारी यूनियन के नेताओं ने अधिकारियों पर घूस लेकर सारी की सारी बसों का आवंटन पीलीभीत और बदायूं डिपो को कर देने का आरोप लगाया है। इससे विभाग में खलबली शुरू हो गई है।

वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण पिछले दिनों दिल्ली में दूसरे राज्यों से आने वाली बीएस- 6 मॉडल के अलावा दूसरी पुरानी बसों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई थी जिसके बाद बरेली रीजन के चारों डिपो की बसे दिल्ली नहीं जा पा रही थीं। इसी कारण बरेली रीजन में बेसब्री से मुख्यालय से बीएस-6 मॉडल की बसें मिलने का इंतजार किया जा रहा था लेकिन दिवाली के बाद मुख्यालय से दो किस्तों में 25 बीएस- 6 बसें मिलीं तो भी बरेली और रुहेलखंड डिपो के हिस्से में एक भी बस नहीं आई। पहली बार में 13 बसें मिली थीं जिनमें से छह बदायूं और सात पीलीभीत डिपो को आवंटित कर दी गईं। दूसरी बार में 12 बसें मिलीं तो फिर छह-छह बसें पीलीभीत और बदायूं डिपो को बांट दी गईं।

रोडवेज यूनियन की ओर से इस आवंटन पर पहले ही सवाल उठाए जा रहे थे, अब पदाधिकारियों ने खुलकर अधिकारियों पर घूस लेकर सारी बसें पीलीभीत और बदायूं डिपो को आवंटित कर देने की आरोप लगाया है। यूनियन के नेताओं का कहना है कि प्रत्येक बस के आवंटन पर अधिकारियों ने 25-25 हजार रुपये की वसूली की है। इसी कारण बरेली और रुहेलखंड जैसे बड़े डिपो बीएस- 6 बसों से पूरी तरह खाली रह गए।

बरेली और रुहेलखंड की 80 बसें जाती थीं दिल्ली, अब एक भी नहीं
बरेली रीजन में चार डिपो हैं। इनमें से बरेली और रुहेलखंड डिपो में 360 से ज्यादा बसें हैं। दोनों डिपो की बसें नेपाल बॉर्डर, अजमेर और चंडीगढ़ जैसे लंबे रूट पर भी चलती हैं लेकिन इसके बावजूद अफसरों ने बरेली और रुहेलखंड डिपो को एक भी बीएस-6 बस नहीं दी। बरेली से हर रोज 80 बसें दिल्ली जाती थीं लेकिन प्रदूषण के कारण पुरानी बसों पर उनके प्रवेश पर रोक लगा दिए जाने के बाद दोनों डिपो की दिल्ली तक की पहुंच खत्म हो गई है। पुरानी बसें अब कौशांबी बस अड्डे तक ही यात्रियों को ले जा पा रही हैं। उधर, पीलीभीत और बदायूं डिपो में बीएस- 4 की बस चलाने वाले ड्राइवरों को ही बीएस- 6 गाड़ियां दे दी गई हैं।

दोनों डिपो की आय पर पड़ेगा भारी असर
बरेली रीजन के चारों डिपो को दिल्ली रूट की बसों से अच्छी-खासी कमाई होती है। दिल्ली के लिए बसों का संचालन बंद होने के बाद से उनकी आय में कमी भी आई है। अब बीएस- 6 न होने के कारण इन दोनों डिपो की कमाई और घटेगी। यूनियन के नेताओं का कहना है कि दिल्ली जाने वाले यात्री अब बीएस- 6 में ही यात्रा को प्राथमिकता देंगे, ऐसे में कोई भी कौशांबी तक के लिए बरेली और रुहेलखंड डिपो की बसों में नहीं बैठेगा।

सफाई... कंडक्टरों की कमी की वजह से नहीं दीं बसें
बरेली रीजन के सेवा प्रबंधक धनजी राम की सफाई है कि रिश्वत लेकर बीएस- 6 बसों का आवंटन करने की बात पूरी तरह गलत है। अगर कोई इस बारे में शिकायत करता है तो जांच भी कराई जा सकती है। उन्होंने बताया कि बरेली डिपो में तो कंडक्टरों की कमी है, इस वजह से उसे बसें नहीं दी गईं। रुहेलखंड डिपो को सोमवार को पांच बसें दे दी गई हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लिए पीलीभीत और बदायूं से भी बसें जाती हैं, इसी कारण वहां बसें दी गई हैं। दिलचस्प यह है कि दोनों डिपो से पहले भी दिल्ली तक बसें चल रही थीं और अब भी कौशांबी तक जा रही है। जाहिर है कि उनमें कंडक्टर हैं ही, ऐसे में कंडक्टरों की कमी का तर्क गले उतरने वाला नहीं है।

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