बरेली: वॉलेट जंपिग कराकर साइबर ठगों ने उड़ाए साइबर सेल के होश

बरेली: वॉलेट जंपिग कराकर साइबर ठगों ने उड़ाए साइबर सेल के होश

संजय शर्मा, बरेली। साइबर ठगी को रोकने के लिए प्रदेश में साइबर थाने खोल दिए गए हैं लेकिन यहां तैनात स्टाफ साइबर ठगों को पकड़ने में नाकाम साबित होता है। साइबर क्राइम को रोकने के लिए टीम ऑनलाइन साइट को मैसेज भेजकर डिलीवरी रुकवा देती थी लेकिन अब साइबर ठगों ने इससे बचने की जुगाड़ …

संजय शर्मा, बरेली। साइबर ठगी को रोकने के लिए प्रदेश में साइबर थाने खोल दिए गए हैं लेकिन यहां तैनात स्टाफ साइबर ठगों को पकड़ने में नाकाम साबित होता है। साइबर क्राइम को रोकने के लिए टीम ऑनलाइन साइट को मैसेज भेजकर डिलीवरी रुकवा देती थी लेकिन अब साइबर ठगों ने इससे बचने की जुगाड़ भी कर ली है। एक जगह से ठगे गए रुपयों को आठ से 10 वॉलेट में भेज देते हैं। इसे पता करने में साइबर टीम को 15 दिनों का समय लग जाता है। तब तक सामान की आनलाइन डिलीवरी हो जाती है।

साइबर ठग अब वॉलेट जंपिग कराकर रोज लोगों के एकाउंट में सेध लगा रहे हैं। उनके पास फर्जी आईडी पर खरीदे गए मोबाइल नंबरों पर इतने ऑनलाइन एकाउंट हैं कि ठगी का पैसा अपने तक पहुंचाने के लिए उसे आठ से 10 वॉलेट में डालकर जंपिग करा देते है।

इससे क्राइम ब्रांच और साइबर एक्सपर्ट जब तक उनके एकाउंट के पते पर पहुंचते हैं तब तक साइबर ठग सारा पैसा उड़ा देते हैं। इसके साथ ही अब उन्होंने गूगल पर फर्जी तरीके मास्क लिंक बना कर लोड कर देते हैं।

आपको लगता है कि आप किसी कंपनी की वेबसाइट पर सर्च कर रहे हैं, लेकिन तब तक आपके एकाउंट से रुपये निकाल लिए जाते हैं। ऐसा मास्क लिंक के माध्यम से दिखता कुछ और है और उसके पीछे चल कुछ और रहा होता है। इस समय साइबर ठग मास्क लिंक का सबसे अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं।

फिंगर प्रिंट लगाकर का भी हो रहा इस्तेमाल
साइबर ठगों ने कई ग्राहक सेवा केंद्रों में सेंटिंग कर रखी है। वहां उनके लिए काम करने वाले उनके लिए आईडी और फिंगर प्रिंट तक मुहैया कराते हैं। इसके लिए वह लोग फिंगर प्रिंट मशीन पर लागर लगाकर रखते हैं और बाद में उसका क्लोन तैयार कर फर्जी तरीके से आपके नाम पर लोन ले लेते हैं।

योजनाओं के नाम पर खुलते हैं खाते
जानकारों का कहना है कि सूट बूट में धोखेबाज गांव और पिछले इलाकों में जाते हैं और केंद्र सरकार की योजना की बात कहकर वहां के लोगों को बहलाकर उनकी आईडी और फिंगर प्रिंट ले लेते हैं। फिर उन्हें एकाउंट खोलने की बात कहते हुए कुछ रुपये भी एडवांस दे देते हैं और उन एकाउंट की पासबुक उन्हें देने के बाद वह उसका एटीएम साइबर ठगों को बेच देते हैं।

इन एप को न करें डाउनलोड
साइबर क्राइम विशेषज्ञ के मुताबिक कुछ एप ऐसे हैं, जिन्हें डाउनलोड न करें, साथ ही उनके लिंक भी न खोलें। रिमोट एप, ऐसेस एप, एनी डेस्क, क्विक सपोर्ट, टीम व्यूअर आदि एप से साइबर क्रिमिनल आपका डाटा एवं जरूरी सूचनाएं चोरी कर सकते हैं।

“साइबर क्राइम करने वाले लगातार ठगी के लिए पैतरा बदल रहे हैं। इस समय साइबर ठगी में सबसे अधिक वॉलेट जंपिग और मास्क लिंक का इस्तेमाल हो रहा है। इसके साथ ही साइबर अपराधी फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग कर वारदातों को अंजाम दे रहे है। इसलिए किसी अंजान लिंक पर जाकर अपनी जानकारी साझा न करें।”–विजय श्रीवास्तव, साइबर क्राइम विशेषज्ञ