हल्द्वानी: बैरक नंबर दो में धानक, 120 कैदियों के बीच मुश्किल से गुजरी रात

हल्द्वानी, अमृत विचार। देख और सुन पाने में असमर्थ बालिका से दुष्कर्म के आरोपी नैब के संचालक श्याम धानक की रातें हल्द्वानी उप कारागार में मुश्किल से गुजर रही है। उसे जेल की रोटी खानी पड़ रही है और सामूहिक शौचालय का इंतजार करना पड़ रहा है। कभी घर के आलीशान बाथरूम में नहाने वाला धानक अब नहाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहा है।
बता दें कि नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (नैब) के 60 साल के संचालक श्याम धानक को बीती 13 अक्टूबर की रात काठगोदाम पुलिस ने गौला पुल के पास से गिरफ्तार किया गया था। श्याम धानक पर संस्थान में रहने वाली कुछ नाबालिग लड़कियों ने गंभीर आरोप लगाए थे। धानक की गिरफ्तारी से पहले पुलिस ने नाबालिग लड़की के कोर्ट में बयान कराए और गिरफ्तारी के अगले दिन शनिवार को न्यायालय के आदेश पर धानक को हल्द्वानी उप कारागार भेज दिया गया।
उपकारागार में धानक को बैरक नंबर दो में रखा गया है। इस बैरक में नए बंदियों को रखा जाता है। मौजूदा वक्त में बैरक में 120 बंदी हैं और धानक को घर के आलीशान बिस्तर के बजाय इन्हीं 120 बंदियों के बीच जमीन पर चादर के ऊपर सोना पड़ा। मुश्किल भरी रही पहली रात के बाद दूसरी और तीसरी रात भी धानक को इसी तरह गुजारनी पड़ी। जेल प्रशासन की मानें तो धानक को अभी चार से पांच दिन बैरक नंबर दो में ही गुजारने होंगे।
धानक की मुश्किल केवल बैरक नंबर दो तक ही सीमित नहीं थी। बल्कि खाना भी धानक को जेल का ही खाना पड़ा। सोमवार को जेल की रसोई में पकी रोटी धानक को तरोई और आलू की सब्जी के साथ परोसी गई। खाने की इस प्लेट में रोटी, तरोई और आलू की सब्जी के साथ चावल भी दिए गए। जेल सूत्रों की मानें तो धानक को जेल की रोटी खाते वक्त घर के लजीज खाने की याद आ रही थी, लेकिन मजबूरी में उसे जेल की रोटी खानी पड़ी।
श्याम धानक को शनिवार को जेल में दाखिल किया गया था। तब से वह अन्य बंदियों के साथ बैरक नंबर दो में हैं और आने वाले कुछ दिन धानक को इसी बैरक में रखा जाएगा। अन्य बंदियों और कैदियों के साथ धानक को भी जेल का खाना परोसा जा रहा है। हालांकि वह अपने पैसे खर्च कर जेल की कैंटीन से भी खाना खाने के लिए स्वतंत्र हैं।
प्रमोद पांडेय, जेल अधीक्षक
लजीज व्यंजन के लिए धानक को खर्च करने होंगे रुपये
हल्द्वानी : शनिवार से धानक को जेल की रोटी खानी पड़ रही है, लेकिन जेल रहते ही धानक लजीज व्यंजन का स्वाद भी ले सकता है। हालांकि इसके लिए धानक को जेब ढीली करनी होगी। बता दें कि जेल की रसोई के साथ जेल में एक कैंटीन भी है, लेकिन ये कैंटीन कैश लेस है और धानक के परिजनों ने अभी तक जेल से जारी होने कार्ड में पैसा ट्रांसफर नहीं किया है।
संचार संसाधनों से दूर रखी जाती थीं नैब की बच्चियां
हल्द्वानी : इस पूरे प्रकरण में एक बड़ी बात सामने आई है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि धानक ने बच्चियों को उसकी करतूत किसी को न बताने के लिए भी धमकाया था। यौन शोषण का विरोध उन्हें पीटा जाता था और खाना भी नहीं दिया जाता था। बच्चियों के पास मोबाइल फोन या संचार का कोई अन्य साधन नहीं था और न ही धानक ने संचार साधन उपयोग करने की अनुमति दी थी।