पूर्वांचल में करोड़ों खर्च की योजना, फिर निजीकरण क्यों

लखनऊ, अमृत विचार। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की निजी हाथों में सौंपे जाने की संगठनों की ओर से भी निंदा की जा रही है, साथ ही सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। निजीकरण को लेकर रविवार को राज्य उपभोक्ता परिषद की ओर से सवाल खड़े गए किए गए। उन्होंने कहा कि पावर कार्पोरेशन द्वारा …
लखनऊ, अमृत विचार। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की निजी हाथों में सौंपे जाने की संगठनों की ओर से भी निंदा की जा रही है, साथ ही सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं। निजीकरण को लेकर रविवार को राज्य उपभोक्ता परिषद की ओर से सवाल खड़े गए किए गए।
उन्होंने कहा कि पावर कार्पोरेशन द्वारा विगत फरवरी 2020 में विद्युत नियामक आयोग में सभी बिजली कंपनियों का 5 वर्ष का वर्ष 2020-21 से लेकर वर्ष 2024-25 तक बिजनेस प्लान फाइल किया है जिसमे 5 वर्षो में वितरण हानिया 15 प्रतिशत तक लाना प्रस्तावित है। इसके बाद भी निजी हाथों में सौंपा जाना बड़े सवाल खड़े कर रहा है।
उन्होंने कहा कि पूर्वांचज के निजीकरण में देश के नामी निजी घराने लगे हैं। जब उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल के वित्तीय मानकों और तकनीकी पहलुओं का अध्यन किया तो चौंकाने वाला मामला सामने आया। प्रदेश में जुलाई 2020 तक कुल विद्युत उपभोक्ताओ की संख्या लगभग 2 करोड़ 85 लाख है।
जिसमे प्रदेश की पांचो बिजली कंपनियों में सबसे ज्यादा उपभोक्ता पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 81 लाख हैं। यहां पर सबसे ज्यादा सुधार की गुंजाईश है। बस इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर निजी कंपनियों की से इसके प्राइवेटाजेशन की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि बिजनेस प्लान के तहत पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में सुधार के बड़े काम कराए जा रहे हैं। जिसमे अंडर ग्राउंड केबलिंग, स्मार्ट मीटरिंग ऑडिट सीटीपीटी कृषि फीडर, फीडर मीटरिंग ईआरपी स्कीम प्रीपैड मीटरिंग बिजली चोरी पर अभियान प्रमुख है। और इसमे से अनेकों काम शुरू हो गए हैं और उस पर पूरे पांच साल में 8 हजार 801 करोड़ रुपया खर्च होना है।
जिसमें 7 हजार 126 करोड़ केंद्रीय सेक्टर से अनुदान है। ऐसे में जब करोड़ो खर्च हो रहा फिर पूर्वांचल केा उधोगपतियो को देने की तैयारी क्यों? वास्तव में सरकार को सुधार करने के लिए अभियंता कार्मिको की जबाब देही तय करने के साथ उन पर पैनी नजर रखना चाहिए और उन्ही पर सुधार की जिम्मेदारी देना चाहिए।
बिजनेस प्लान में पांच सालो में हर साल एक कैपिटल खर्च अनुमानित करते हुए जो अलग अलग सालो में सुधार के बाद वितरण हनिया प्रस्तावित है वह निम्न है:
वितरण हानिया 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24 2024-25
पूर्वांचल 19 % 18 % 17 % 16% 15%
प्रस्तावित खर्च 2126 करोड़ 3040करोड़ 1331करोड़ 1329 करोड़ 973करोड़
अवधेश कुमार वर्मा ने कहा पावर कार्पोरेशन ने अलग अलग बिजली कंपनियों का जो बिजनेस प्लान सौंपा है जिसमें पूर्वांचल भी शामिल है। उसके जिन पैरामीटरों व मानको पर बिजनेस प्लान बनाकर काम करने के प्रस्ताव आयोग को सौंपा गया है। यदि उसको शख्ती से पारदर्शी नीति के तहत लागू करा दिया जाए तो खुद सुधार हो सकता है। जबाबदेही तय करके बिजली क्षेत्र में सुधार की संभावना है।
पूर्वांचल एक ऐसी कंपनी है जहा पर अच्छा राजस्व प्राप्त किया जा सकता है। पावर कार्पोरेशन प्रबंधन शायद बिजनेस प्लान को आयोग में फाइल तो कर दिया लेकिन ठीक से पढ़ा नहीं। उसमे बिना निजीकरण किए पूर्वांचल में सुधार किए जाने का पूरा प्लान तैयार है ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री और ऊर्जामंत्री से उपभोक्ता परिषद् मांग करती है की बिना निजीकरण कराए बिजनेस प्लान को लागू कराकर जबाब देही तय करके सुधार के क्षेत्र में आगे सोचा जाए।