बरेली: नाम नई बस्ती लेकिन टूटी गलियां और गंदगी से होकर गुजरती है जनता, मदीना मस्जिद की हालत ज्यादा खराब

बरेली: नाम नई बस्ती लेकिन टूटी गलियां और गंदगी से होकर गुजरती है जनता, मदीना मस्जिद की हालत ज्यादा खराब

बरेली, अमृत विचार। एक तो तंग गलियां, उसमें भी गंदगी भरी है, ऐसे में निकलना किसी खतरे से कम नहीं है। यहां तक कि बाइक निकलना तक मुश्किल है। इसमें सीवर का पानी भरा रहता है। लोगों ने पत्थर के टुकड़े रखकर निकलने का इंतजाम किया है। कुछ यही तस्वीर है नई बस्ती वार्ड की। सिर्फ नाम ही नया है लेकिन हालात पुरानी बस्तियों जैसे ही हैं।

पुराने शहर से जुड़े और तंग गलियों वाले इस वार्ड में यहां की जनता की मुख्य परेशानी सफाई न होना है। नालियों की सफाई होती नहीं है। इनमें पानी भरा रहता है। इसको लेकर लोगों में गुस्सा भी है। सबसे ज्यादा आक्रोशित लोग मदीना वाली मस्जिद वाली गली के लोग हैं। उनका कहना है कि यहां पहले के पार्षद भी केवल आश्वासन देते रहे और जीतने वाले पार्षद अभी तक इधर आए नहीं है। सफाई कर्मचारी तो इधर आते ही नहीं है। 

नालियों का पानी सड़क पर ही ज्यादातर रहता है। इसी मार्ग से होते हुए लोग आवागमन करते हैं। वार्ड में चकमहमूद का कुछ हिस्सा, कुसुम कुमारी इंटर काॅलेज, मोहन तालाब, नवाबशेख वाली गली, गौटिया आदि मोहल्ले और गलियां आती हैं। वार्ड में कुसुम कुमारी काॅलेज और जगतपुर में वोट डालने लोग जाते हैं। पार्षद पति बताते हैं कि आबादी 55 हजार और वोटर 16500 हैं। वार्ड में 11 सफाई कर्मचारी हैं जो इतने बड़े क्षेत्र के लिए नाकाफी हैं।

वार्ड में डामरयुक्त मुख्य सड़क कई जगह उखड़ी है। यहां के लोगों का कहना है वे तो इस मार्ग पर चलने के अभ्यस्त हो गये हैं। सुनवाई होती नहीं है। टूटी सड़कों के बीच स्ट्रीट लाइट भी नहीं जलती है। जब मेहमान आते हैं तब थोड़ा शर्मिदगी महसूस होती है। सड़क बन जाए तो अच्छा है। स्ट्रीट लाइट कहीं जलती है तो कहीं केवल नाम के लिए लगी है। लोगों का कहना है कि यह लाइटें कभी कभी जल जाती हैं।

यहां के लोगों को पीने का पानी गंदा मिलता है। मिलने की बात सामने आई। पानी कम आता है और जब आता है तो कुछ देर गंदा या दुर्गंधयुक्त वाला रहता है। यहां के लोगों से टैक्स जमा करने की बात जानी तो सब शांत हो गए, किसी ने टैक्स भरने की बात नहीं बताई।

चुनाव के समय जिस जगह पार्षद का कार्यालय था, उसी जगह पर गंदगी है और नालियां भरी पड़ी हैं। मस्जिद के पास भी सफाई नहीं करवाई है---अमन।

मेमरान वाली मस्जिद के पास गंदगी ज्यादा रहती है। सफाई कर्मी आते नहीं है। गली में पानी भरता है तो दिक्कत होती है---डॉ. सरताज।

जब भी सफाई कर्मी को काम करने के लिए बुलवाओ तो उन्हें पैसे देने पड़ते हैं। ऐसा तो कहीं होता नहीं है फिर इस वार्ड में क्यों हो रहा है---नजीर अहमद।

मदीना वाली मस्जिद के पास गली की हालत किसी से छिपी नहीं है। गली में पत्थर के टुकड़े डालकर लोग घरों तक जाते हैं---शारिक

स्ट्रीट लाइट कभी जल जाती तो कभी बुझी रहती है। सफाई होती नहीं है। कर्मचारी मनमानी करते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए--वसीम

बढ़ई वाली तंग गली में कोई आकर देख ले कि यहां कब सफाई हुई तो पता चल जाएगा। बरसात में नाली में जमा पानी परेशानी पैदा करता है--जाहरा।

यहां की मुख्य समस्या सफाई नहीं होना ही है। बढ़ई वाली गली में कभी कभी पानी गंदा आ जाता है। गली के छोर पर लगी स्ट्रीट लाइट जलती है---फरहान

सफाई कर्मचारी आते नहीं है जो आते हैं वह काम के बदले पैसे मांगते हैं। इसलिए मोहल्ले में गंदगी रहती है। पार्षद भी नहीं आते हैं---शहजाद

मेमरान मस्जिद वाली गली में सफाई और स्वच्छ पानी लोगों को मिल जाए तो बड़ी समस्या हल हो जाएगी। सड़क बिजली पानी सभी की तो कमी है---आसिफ अंसारी।

वार्ड की मुख्य समस्या सफाई नहीं होना है। बड़ा वार्ड है लेकिन कर्मचारी कम हैं। मेयर से कहकर स्ट्रीट लाइट तो कई जगह बदलवाई हैं---जहरुद्दीन, पार्षद पति।

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