हल्द्वानी: लापरवाह 'धरती के भगवान', दुनिया छोड़ गई नन्ही सी जान
जिसे गंभीर मान कर छोटे डाक्टर्स ने रेफर कर दिया, उसे एसटीएच के डाक्टर्स ने फिट बताया, फिर भी मर गई बच्ची

हल्द्वानी, अमृत विचार। मर्ज लाइलाज तो कोई क्या करे, लेकिन जब बात बस में हो और फिर धरती के भगवान लापरवाह बन जाएं तो जान चली जाती है। एक नवजात के साथ भी ऐसा ही हुआ। नवजात की पैदा होते ही हालत बिगड़ गई। उसे वेंटीलेटर की जरूरत थी। चिकित्सकों ने उसे एसटीएच रेफर कर दिया गया, लेकिन यहां चिकित्सकों की लापरवाही ने नन्ही सी बच्ची की जान ले ली। जिसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा। मामले में पीड़ित ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को लिखित शिकायत की है।
रातीघाट नैनीताल निवासी कमल सिंह रौतेला की पत्नी कल्पना गर्भवती थी और 14 सितंबर की सुबह करीब साढ़े 11 बजे कल्पना ने कम्युनिटी हेल्थ सेंटर खैरना में एक बच्ची को जन्म दिया। कमल के बड़े भाई अर्जुन सिंह रौतेला ने बताया कि जन्म लेते के बाद बच्ची रोई नहीं। चिकित्सकों ने पाया कि उसके फेफड़ों में गंदा पानी भरा है, जिसकी वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। बच्ची को वेंटीलेटर की जरूरत थी।
उसे चिकित्सकों ने एसटीएच रेफर कर दिया। उसी दिन साढ़े 3 बजे के करीब एसटीएच इमरजेंसी में मौजूद चिकित्सकों ने बच्ची को स्वस्थ बता दिया और चूंकि मां को टांके नहीं लगे थे इसलिए उसे भर्ती कर लिया गया। हालांकि उसे देर रात तक बेड नहीं मिला। रात हिचकियों के साथ बच्ची की सांस फिर उखड़ने लगी।
परिजनों की शिकायत के बावजूद चिकित्सकों ने ध्यान नहीं दिया। सुबह करीब 5 से 6 बजे के बीच नन्ही सी बच्ची की जान चली गई। जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा काटा और फिर घटना की लिखित शिकायत मेडिकल कॉलेज प्राचार्य को दी। शिकायत का संज्ञान लेते हुए प्राचार्य ने पूरे मामले में जांच कमेटी गठित कर दी। अर्जुन का कहना है कि उन्होंने इमरजेंसी में दिखाने से पहले चिकित्सकों के कहने पर जच्चा बच्चा के लिए अलग-अलग पर्चे बनवाए थे।
बस थोड़ा सा देखा और कह दिया बच्ची सही है
हल्द्वानी : अर्जुन का आरोप है कि जब वह बच्ची को लेकर एसटीएच की इमरजेंसी पहुंचे तो वहां मौजूद चिकित्सक ने उसे देखा ही नहीं। यह कहां कि पहले मां का दूध पिलाओ फिर देखेंगे। मां को ब्लीडिंग हो रही थी। बावजूद इसके उसने बच्ची को दूध पिलाया। आरोप है कि इसके बाद चिकित्सकों ने बच्ची को बस थोड़ा सा देखा और कह दिया कि बच्ची ठीक है।
कहा कोने में फेंको, रात भर कोई देखने नहीं आया
हल्द्वानी : एसटीएच के स्टाफ पर अर्जुन ने कई गंभीर आरोप लगाए। कहा रात 11 बजे तक जच्चा-बच्चा को बेड नहीं मिला। लड़ाई करने के बाद बमुश्किल बेड देने को राजी हुए। उस पर भी स्टाफ की एक महिला ने यह कहाकि यह रेफर केस है, कोने वाले बेड में फेंक दो। उसी कोने वाले बेड पर जच्चा बच्चा की रात गुजर गई, लेकिन कोई एक बार भी देखने नहीं आया।
रेफर नवजात को किया और भर्ती मां को कर लिया
हल्द्वानी : ये भी विडंबना है कि जिसे मरीज मान कर एक डाक्टर ने रेफर किया, उसे ही दूसरे डाक्टर ने ठीक मान लिया। खैरना से बाकायदा पर्चे पर रेफर लिखा और वजह भी स्पष्ट की, लेकिन एसटीएच के चिकित्सकों को मां की हालत ज्यादा खराब लगी। शायद इसलिए कि नन्ही सी जान कुछ कह नही पाई और मां को हो रही ब्लीडिंग में डाक्टर बच्ची की हालत देख नहीं पाए।
शादी के बाद पहला बच्चा और वो भी नहीं रहा
हल्द्वानी : कमल और कल्पना की शादी एक साल पहले हुई थी और दूसरे दंपति की तरह उन्हें भी अपने पहले बच्चे को लेकर बेहद खुशी थी। दरअसल, इस पैदाइश को लेकर पूरा परिवार खुश था, लेकिन खैरना में बच्ची की हालत नाजुक सुन सब दुखी हो गए। हालांकि जब एसटीएच पहुंचे और डाक्टर ने कहा बच्ची ठीक है तो परिवार फिर खुश हो गया, लेकिन खुशियां भोर तक भी नहीं टिकीं।
गाय का दूध पिलाने की वजह से हुई बच्ची की मौत
हल्द्वानी : प्राचार्य के दखल के बाद प्रभारी एमएस शहजाद अहमद की अध्यक्षता में 4 डाक्टरों की कमेटी बनाई गई और पूरे मामले की जांच शुरू हुई। शुक्रवार को इसको लेकर बैठक हुई और जच्चा बच्चा वार्ड के स्टाफ व डाक्टर से पूछताछ की गई। शहजाद का कहना है कि बच्चे को नहीं मां को भर्ती किया था और सुबह गाय का दूध पिलाने की वजह से बच्चे को रिएक्शन हो गया, जिसके चलते उसकी मौत हो हुई।