एशियाई खेलों में पदक के सूखे को खत्म करने के लिए जोर लगाएंगे किदांबी श्रीकांत 

एशियाई खेलों में पदक के सूखे को खत्म करने के लिए जोर लगाएंगे किदांबी श्रीकांत 

नई दिल्ली। पिछले कुछ समय से खराब लय से जूझ रहे भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत अपनी खामियों को दूर कर पहली बार एशियाई खेलों का पदक जीतने के लिए चीन के हांगझोउ में पूरा जोर लगायेंगे। विश्व के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी श्रीकांत 2023 में रैंकिंग में 21वें स्थान पर खिसक गये है। वह 2014 और 2018 एशियाई खेलों में क्रमश: इंचियोन और जकार्ता में अंतिम 16 और अंतिम 32 चरण से आगे नहीं बढ़ पाये थे। गुंटूर के इस 30 साल के खिलाड़ी ने राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व चैंपियनशिप जैसे प्रमुख आयोजनों में पदक जीते हैं और अब उनका सपना एशियाई खेलों के सूखे को खत्म करने का है। श्रीकांत ने चयन ट्रायल में शीर्ष पर रहने के बाद एशियाई खेलों की टीम में अपनी जगह बनाई। वह अब इस मौके का पूरा फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते है।

श्रीकांत ने एक साक्षात्कार में कहा,  एशियाई खेलों में मेरी यादें अच्छी नहीं रहीं, पिछली दो बार मैंने व्यक्तिगत स्पर्धाओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। ऐसे में अगर मैं इस बार अच्छा खेल सका तो शायद अपने लिए हासिल करने में सफल रहूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे लिए यह काफी सरल है क्योंकि मैंने एशियाई खेलों और ओलंपिक को छोड़कर बाकी सभी बड़े आयोजनों में पदक जीते हैं। इन खेलों का आयोजन चार साल में एक बार होता है इसलिए मैं अपने मौके का पूरा फायदा उठाना चाहता हूं। सैयद मोदी एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय पुरुष एकल खिलाड़ी हैं। उन्होंने यह पदक 1982 में जीता था।

श्रीकांत ने इन खेलों के दबाव के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘मैं वास्तव में इसे दबाव की तरह नहीं देखता हूं। मेरे लिए यह इस बारे में है कि मैं क्या कर रहा हूं। मेरे लिए यह इस बारे में है कि मुझे एक मौका मिला और मुझे अच्छा प्रदर्शन कर मौके का फायदा उठाना है।  एशियाई खेलों की तैयारी के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘ ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल की तैयारी किसी भी अन्य सुपर सीरीज आयोजनों की तुलना में थोड़ी अलग होगी। हमारे साल में 10-15 प्रतियोगिताओं में भाग लेता हूं, लेकिन एशियाई खेल हर चार साल में होते हैं और आपको टीम में अपनी जगह बनानी होती है। कई बार ऐसा होता है कि आप रैंकिंग में शीर्ष 20 में होने के बाद भी एशियाई खेलों की टीम में जगह बनाने में नाकाम रहते है।

उन्होंने कहा,  बैडमिंटन में यह सबसे कठिन आयोजनों में से एक है। इस खेल में एशिया के खिलाड़ियों का दबदबा रहता है और पदक जीतने के लिए आपको अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है।  पिछले साल भारत की ऐतिहासिक थॉमस कप खिताबी जीत के बाद से श्रीकांत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। उन्होंने 2023 में 15 टूर्नामेंट में से चार के क्वार्टरफाइनल में जगह बनाई है। 

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह निरंतरता के बारे में अधिक है। मैं कुछ टूर्नामेंटों में अच्छा नहीं खेल सका, लेकिन जो मैंने अच्छा खेला उससे पता चलता है कि मैं लय में लौट रहा हूं। मैं मैच जीत सकता हूं।’’ इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मैं अभ्यास में अच्छा समय बिताने के लिए जो कर सकता हूं वह सब कुछ कर रहा हूं। मैं शारीरिक रूप से फिट रहूं और मानसिक रूप से अच्छा महसूस करूं। मैं इस समय बस यही चाहता हूं कि अभ्यास में गलतियों को कम करूं और टूर्नामेंट में इसे दोहराऊं।   पेरिस ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए श्रीकांत ने अपने खेल को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए इंडोनेशियाई कोच विएम्पी महारडी की सेवाएं ली हैं।

 बीडब्ल्यूएफ के व्यस्त कैलेंडर के कारण उन्हें हालांकि लगातार यात्रा करने का कम समय मिला है। सुपर सीरीज के चार खिताबों के विजेता श्रीकांत ने कहा कि वह अपनी खोई हुई लय वापस पाने के लिए भारतीय टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद से सलाह ले रहे हैं।   उन्होंने कहा, मैं गोपी भैया से बात कर रहा हूं और समझ रहा हूं कि वह क्या सोचते हैं क्योंकि वह पिछले कुछ महीनों से यात्रा कर रहे हैं, इसलिए यह समझने की कोशिश कर रहा हूं कि वे कौन से क्षेत्र हैं जिन पर मुझे काम करने की जरूरत है। मैं उनकी सलाह पर अमल करने की कोशिश कर रहा हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोच (महारडी) मई में मेरे साथ जुड़े है, लेकिन मैं लगातार टूर्नामेंटों में खेल रहा हूं, इसलिए उनके साथ प्रशिक्षण के लिए ज्यादा समय नहीं मिला। मुझे लगता है कि वह अभी मेरे खेल की शैली को समझने की कोशिश कर रहे है और उसी के मुताबिक योजना बनायेंगे।

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