विश्व चैम्पियनशिप की तैयारी के लिए दो साल से घर नहीं गए भारतीय एथलीट किशोर जेना, कहानी भी है मिसाल
नई दिल्ली। पहली बार विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में खेलते हुए शानदार पांचवें स्थान पर रहे भालाफेंक खिलाड़ी किशोर जेना तैयारी पुख्ता करने के लिये पिछले दो साल से घर नहीं गए हैं और निकट भविष्य में भी उन्हें इसकी संभावना नजर नहीं आ रही।
बुडापेस्ट में विश्व चैम्पियनशिप में टोक्यो ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा तो जेना और डी पी मनु के प्रदर्शन ने भी सभी का ध्यान खींचा । जेना रविवार की देर रात हुए फाइनल में पांचवें स्थान पर रहे जिन्होंने अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 84 . 77 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका। वहीं डी पी मनु छठे स्थान पर रहे जिनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 84 . 14 मीटर का था । पहली बार भारत के तीन खिलाड़ी विश्व चैम्पियनशिप फाइनल में शीर्ष तीन में थे।
ओडिशा के पुरी जिले के कोथासाही गांव के रहने वाले जेना ने बुडापेस्ट को दिये इंटरव्यू में कहा, पहली बार मैं इतने बड़े स्तर पर खेल रहा था और डर भी लग रहा था कि अच्छा खेल पाऊंगा या नहीं । पहली विश्व चैम्पियनशिप थी लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं।
उन्होंने कहा कि नीरज चोपड़ा ने समय समय पर सलाह देकर उनकी हौसलाअफजाई की । 27 वर्ष के इस खिलाड़ी ने कहा, प्रतिस्पर्धा के बीच तो इतना समय नहीं रहता क्योंकि वह भी अपने थ्रो पर फोकस कर रहे थे लेकिन बीच बीच में हमारी हौसलाअफजाई भी करते रहते थे। एक थ्रो खराब रहने पर मैने उनसे पूछा कि ऐसा हो गया है , अब क्या करें तो उन्होंने कहा कि उसे भूल जाओ और अगले पर फोकस करो। अगला थ्रो अच्छा होगा। परेशान मत हो। इससे काफी आत्मविश्वास मिला।
उन्होंने कहा, फाइनल में 12 खिलाड़ियों में तीन भारतीय थे और फिर शीर्ष छह में हम तीन थे। इससे एक अलग ही तरह का गर्व महसूस हुआ। भारत के इस ऐतिहासिक प्रदर्शन का जश्न कैसे मनाया, यह पूछने पर उन्होंने कहा, जश्न मनाने का समय ही कहां मिला। रात को 11.30 पर कमरे में पहुंचे और सुबह की फ्लाइट लेनी थी। यह पूछने पर कि घर लौटकर माता पिता के साथ कैसे जश्न मनायेंगे, उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से तैयारियों के कारण वह घर ही नहीं गए हैं। उन्होंने कहा, आखिरी बार 2021 में घर गया था। उसके बाद से पटियाला में शिविर में तैयारियों और स्पर्धाओं में जुटा हूं ।ब्रेक लेने पर लय टूट जाती। आगे भी एशियाई खेल और ओलंपिक क्वालीफायर की तैयारी करनी है तो लगता नहीं कि इस साल घर जा सकूंगा।
उन्होंने कहा,माता पिता का चेहरा देखे भी कई दिन हो जाते हैं ।उन्हें स्मार्टफोन चलाना नहीं आता । जब छोटी बहन घर आती है तो वही वीडियो कॉल पर बात करा देती है। छह बहनों के सबसे छोटे भाई जेना के पिता चावल की खेती करते हैं और सभी बेटियों की शादी के लिये आर्थिक अड़चनें झेलने के बावजूद बेटे के सपने पूरे करने में कभी पीछे नहीं हटे। सीआईएसएफ में नौकरी करने वाले जेना भारतीय खेल प्राधिकरण की टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टॉप्स) का हिस्सा नहीं हैं।
उन्होंने कहा, मैं पहले वॉलीबॉल खेलता था लेकिन 2015 से भालाफेंक खेल रहा हूं । भुवनेश्वर के स्पोटर्स हॉस्टल से शुरूआत की थी और अब पटियाला साइ केंद्र पर हूं। परिवार में कोई खेलों से जुड़ा नहीं है। साधारण मध्यमवर्गीय परिवार है जिसके सपने मैं पूरा करना चाहता हूं। लेबनान में इस साल ओपन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले जेना को उम्मीद है कि विश्व चैम्पियनशिप का अनुभव एशियाई खेलों में काम आयेगा। उन्होंने कहा विश्व चैम्पियनशिप में तो पदक नहीं मिल सका लेकिन यह अनुभव हांगझोउ खेलों में जरूर काम आयेगा। मेरी कोशिश अब हर टूर्नामेंट में पदक जीतने की होगी और अब बड़ी प्रतिस्पर्धा का डर या हिचक भी नहीं रही। उम्मीद है कि नीरज चोपड़ा ने जो सिलसिला शुरू किया है, हम उसे आगे ले जा सकेंगे।
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