प्रयागराज : आधार मामले की जांच पूरी किए बिना गैंग चार्ट को मंजूरी नहीं

प्रयागराज : आधार मामले की जांच पूरी किए बिना गैंग चार्ट को मंजूरी नहीं

अमृत विचार, प्रयागराज । यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि यह कोई तर्क नहीं है कि चार्जशीट एक सार्वजनिक दस्तावेज नहीं है, क्योंकि चार्जशीट की स्वप्रमाणित प्रति नियम 10 की आवश्यकता को पूरा करती है। गैंग चार्ट तैयार करने के लिए सामान्य नियम स्पष्ट रूप से बताते हैं कि आधार मामले की जांच पूरी किए बिना गैंग चार्ट को मंजूरी नहीं दी जा सकती हैं।

चार्जशीट तैयार होने के बाद जांच पूरी हो जाती है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि गैंग चार्ट तैयार करने से पहले कोर्ट में चार्जशीट दायर करने के लिए कानून की कोई आवश्यकता नहीं है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने मनोज मौर्या की याचिका की सुनवाई करते हुए दी। कोर्ट ने आगे कहा कि आधार मामले में जांच पूरी हो चुकी थी और चार्जशीट 14 मार्च 2023 को तैयार थी, इसलिए गैंग चार्ट तैयार करने में कोई समस्या नहीं थी।

इसके अलावा गैंग चार्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि संबंधित रिकॉर्ड के डोजियर, जिसमें आधार मामले में चार्जशीट शामिल है, उस पर हस्ताक्षर और मुहर लगी है। वह संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा अग्रेषित किया गया था, जिसका अर्थ निकलता है कि यह स्वयं प्रमाणित था। इस प्रकार यहां नियम 10(2) का अनुपालन किया गया, जो चार्जशीट की प्रमाणित प्रति कही गई है।

मौजूदा याचिका में यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम की धारा 3 (1) के तहत दिनांक 27.12.2022 को थाना सारनाथ, जिला वाराणसी में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की गई है। याची के अधिवक्ता का कहना है कि यूपी गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) नियम, 2021 के नियम 10(i) का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है।

उक्त प्रावधान के अनुसार चार्जशीट की प्रमाणित प्रति और बेस केस का रिकवरी मेमो गैंग चार्ट के साथ संलग्न नहीं है। इसके अलावा यह भी तर्क दिया गया कि याची का नाम आधार मामले में नहीं था। आक्षेपित प्राथमिकी से संबंधित चार्जशीट भी न्यायालय में दायर नहीं की गई है। अतः जब तक आधार मामले में चार्जशीट के आधार पर संज्ञान नहीं लिया जाता है, तब तक उसके खिलाफ गैंगस्टर अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती है।

इसके विपरीत सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि अदालत में चार्जशीट दाखिल करना या न्यायालय द्वारा उसका संज्ञान लेना गैंगस्टर अधिनियम या नियमों के प्रावधानों के तहत आवश्यक नहीं है। चार्ट के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि संबंधित रिकॉर्ड के डोजियर को संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा अनुमोदन के लिए भेजा गया था, जो स्व-प्रमाणित था।

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