प्रयागराज : निश्चित उद्देश्य से भिन्न शक्ति प्रयोग वैधानिक शक्ति का दुरुपयोग है
अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दीवानी मामलों में पुलिस और प्राधिकरण द्वारा अनाधिकृत शक्ति प्रयोग पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस उद्देश्य के लिए शक्ति प्रदान की जाती है, उससे भिन्न उद्देश्य के लिए शक्ति का उपयोग शक्ति का दुरुपयोग है। जिस प्राधिकारी को सार्वजनिक वैधानिक शक्ति प्रदान की जाती है, वह इसके प्रयोग के लिए जवाबदेह है। सत्ता द्वारा धोखाधड़ी प्राधिकरण की कार्रवाई को रद्द कर देती है।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 300ए के अनुसार कानून के अधिकार के अलावा किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता है। वर्तमान मामले के तथ्यों के अनुसार किसी सकारात्मक साक्ष्य के बिना भी यह अनुमान लगाया जा सकता है कि विपक्षियों द्वारा याची और अन्य भूमि मालिकों को उनकी संपत्ति से वंचित करने के लिए शक्ति का दुरुपयोग किया गया है। भूमि एक दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन है। संविधान के अनुसार अनिवार्य जरूरतों के अलावा एक भू-स्वामी को अपने अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है।
इसके साथ ही कोर्ट ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को सरकारी आदेश / परिपत्र जारी कर यह सूचित किया जाए कि राज्य सरकार के किसी भी विभाग या अधिकारी द्वारा आम जनता की भूमि का अतिक्रमण नहीं किया जाएगा और यदि ऐसा कोई अतिक्रमण है, तो उसे मौजूदा आदेश की तिथि से तीन महीने के भीतर खाली कर दिया जाए और उसका वास्तविक भौतिक कब्जा भू-स्वामी को अवैध और अनधिकृत उपयोग की अवधि के लिए मुआवजे की गणना करने हेतु उ0प्र0 राजस्व संहिता नियमावली, 2006 के नियम 67 के अनुसार सौंप दिया जाएगा।
इसके साथ ही जिला और तहसील स्तर के अधिकारी और पुलिस प्राधिकरण जमीन से संबंधित दीवानी विवाद के मामलों में कानून के अधिकार या किसी सक्षम न्यायालय के आदेश के बिना हस्तक्षेप नहीं करेंगे। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने पारित किया है।
दरअसल याची हरवीर तथा अन्य याचियों की भूमि खसरा प्लॉट संख्या 275, 277 और 278 पर विपक्षियों ने 5 वर्ष 3 माह 23 दिन से अवैध कब्जा कर रखा था। मालूम हो कि मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट द्वारा सीमांकन आदेश के बावजूद पुलिस स्टेशन- हजरतनगर गढ़ी, जिला- संभल के पुलिस अधिकारियों ने याची और अन्य भू-स्वामियों की भूमि से अवैध और अनधिकृत कब्जा नहीं हटाया। जिस पर कोर्ट ने दिनांक 24.05.2023 को पारित आदेश के माध्यम से कोर्ट में शीर्ष अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति का आह्वान किया।
इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट, संभल, पुलिस अधीक्षक, संभल और एडीजीपी, बरेली जोन ने व्यक्तिगत रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर विवादित भूमि को अवैध और अनाधिकृत कब्जे से मुक्त करने का आश्वासन दिया और शीघ्र ही उक्त भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कर दिया गया।
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