पुस्तक में राजद्रोह कानून को समाप्त करने की वकालत
नई दिल्ली। भारत में लोकतंत्र का अस्तित्व बनाए रखने के लिए राजद्रोह कानून की समाप्ति और अभिव्यक्ति की आजादी का पूरी क्षमता से इस्तेमाल सबसे जरूरी है। एक नई किताब में यह बात कही गई है। उच्चतम न्यायालय के वकील रोहन जे. अल्वा ने अपनी पुस्तक ए कॉन्स्टीट्यूशन टू कीप : सेडिशन एंड फ्री स्पीच इन मॉडर्न इंडिया में विवादास्पद राजद्रोह कानून पर बारीकी से विश्लेषण किया और आम पाठकों के लिए इसे सरल भाषा में पेश किया है।
लेखक ने कहा कि राजद्रोह कानून को भारतीयों के सिर पर तलवार की तरह लटकने देना राजनीतिक भाषणों और भारतीय लोकतंत्र को मौत देने जैसा है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र का अस्तित्व बनाए रखने के लिए राजद्रोह कानून की समाप्ति और अभिव्यक्ति की आजादी का पूरी क्षमता से इस्तेमाल सबसे जरूरी है।
लेखक के अनुसार, शायद औपनिवेशिक काल का कोई दूसरा ऐसा कानून नहीं है, जिसने राजद्रोह कानून की तरह इतना विवाद और दिलचस्पी पैदा की हो। अल्वा ने उम्मीद जताई कि हार्पर कॉलिन्स इंडिया द्वारा प्रकाशित उनकी पुस्तक लोगों को इन मुद्दों की अच्छी समझ हासिल करने में मदद करेगी।
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