हल्द्वानी: खबर का असर - बस अड्डे से सामान समेटकर चंपत हुए अवैध दुकानदार, मुफ्त में जला रहे थे सरकारी बिजली

हल्द्वानी, अमृत विचार। सीना ठोंक कर बस अड्डे की सरकारी जमीन पर कब्जा कर अवैध रूप से धंधा रहे धंधेबाज गुरुवार को बोरिया-बिस्तर समेट कर फरार हो गए। अमृत विचार ने इसके खिलाफ मुहिम चलाई और आला अधिकारियों तक इस गोरखधंधे को पहुंचाया। मामला खुलने के बाद हड़कंप मचा तो आंख मूंद कर बैठे स्थानीय अफसर भी हरकत में आए। जबकि यही अवैध धंधा सरकारी बिजली से रोशन था और इसकी खबर भी अधिकारियों को थी।
बता दें कि हल्द्वानी बस अड्डे की अपनी दुकानें हैं, जिनका नियमत: आवंटन होता है। बावजूद इसके बस अड्डे की जमीन पर अवैध दुकानें बस गईं। आलम यह हुआ कि बसों और मुसाफिरों को लिए बस अड्डे में जगह कम पड़ने लगी। जिसके बाद बमुश्किल परिवहन निगम के अधिकारियों ने पुलिस के बूते अतिक्रमण साफ कराया था और इसके बदले भारी विरोध झेलना पड़ा था। समय गुजरा तो कुछ सफेदपोशों के निर्देशों पर दोबारा अतिक्रमण शुरू हो गया। इन्हीं अतिक्रमण में दो दुकानें थीं, जो पिछले 8 माह से रोडवेस परिसर में संचालित थीं।
बड़ी बात तो यह थी कि ये दुकानदार निगम को आर्थिक क्षति तो पहुंचा ही रहे थे, साथ ही उन्हीं की बिजली और पानी का मुफ्त में इस्तेमाल भी कर रहे थे। शुरुआत में अमृत विचार ने जब गोरखधंधे का खुलासा किया तो स्थानीय अफसर भी कुछ खुल कर बोलने से बचते रहे, लेकिन जब बात देहरादून तक पहुंची तो हड़कंप मच गया। मुख्यालय से कब्जे को बलपूर्वक खाली कराने के निर्देश आए तो गुरुवार को दुकानदारों ने खुद ही सामान समटेना शुरू कर दिया।
कह रहा था मुख्यालय से मिली है अनुमति
हल्द्वानी : इस पूरे मामले में अवैध दुकानदारों ने दुकान बचाने के लिए तिकड़म भिड़ाने में कमी नहीं छोड़ी। एक दुकानदार ने तो यहां तक दावा कर दिया कि उसकी दुकान नियमों के तहत लगी है और दुकान लगाने के लिए उसे खुद मुख्यालय ने अनुमति दी है। इतना ही नहीं, दुकानदार ने दावा किया कि उसके पास मुख्यालय से मिला अनुमति पत्र भी है, लेकिन वह अनुमति पत्र दिखा नहीं सका और गुरुवार को दुकान समेट कर चलता बना।
इनसेट
रहम-ओ-करम करने वाले भी बचा नहीं पाए
हल्द्वानी : दुकानदारों की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह खुद सरकारी जमीन पर कब्जा कर दुकानें चला सकें और बिजली, पानी का भी मुफ्त में इस्तेमाल कर सकें। दरअसल, इन सबके पीछे एक सफेदपोश का हाथ था। ये सफेदपोश बड़ा नेता है और अफसरों पर इसकी धमक है, लेकिन जब बात अफसरों के अपने गिरेबां तक पहुंची तो सफेदपोश का रहम-ओ-करम भी अवैध दुकानदारों को नहीं बचा सका।