यूपी न्यूज: बाजार ''भाव'' में फंसी सरकारी गेहूं खरीद, आवक न होने से बोहनी तक नहीं कर पाए 2,541 केंद्र

प्रशांत सक्सेना, लखनऊ/ अमृत विचार। उत्तर प्रदेश में इस बार भी सरकारी गेहूं खरीद करना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए भंडारण करना मुश्किल दिख रहा है। क्योंकि समर्थन मूल्य से बाजार भाव अधिक होने के कारण 1 अप्रैल से खुले 2,978 केंद्रों पर 19,209 किसानों से 89,972 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा सका है। इन केंद्रों पर धीमी रफ्तार के साथ 2,541 केंद्र ऐसे हैं] जहां आवक न होने पर खरीद शून्य है।
किसान भी दाम अधिक और नकद के लिए केंद्रों के झंझट में न पड़कर बाजार का रुख कर रहे हैं। इधर, हमेशा की तरह बाजार भाव अधिक होने पर बिचौलिये सक्रिय हैं। शासन ने भी ऐसी आशंका जताकर शिकंजा कसने के साथ गांव-गांव किसानों को जागरूक कर प्रधानों के माध्यम से गेहूं खरीदने के निर्देश दिए हैं।
सरकारी 2,125 तो बाजार भाव 2,300 रुपये तक
प्रदेश में 5,900 केंद्र खोलकर 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित है। जिसमें 381 केंद्र और खोले जाने हैं। समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि बाजार भाव 2,250-2,300 रुपये तक है। जहां, बिना मानक फौरन बिक्री और नकद दाम हैं। ज्यादातर किसान क्रेडिट कार्डधारक बाजार को प्राथमिकता दे रहे हैं। क्योंकि सरकारी खरीद की धनराशि खाते में आने पर लिया गया ऋण कट जाता है।
पिछले वर्ष महज 3.35 लाख एमटी हुई थी खरीद
अब तक के वर्षों में सबसे ज्यादा खराब हालात 2022-23 में रहे थे। उस दौरान 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था, जो खरीदने के लिए 5,683 केंद्र खोले गए थे। जिसमें सरकार 4,830 केंद्रों पर 3,35,490 मीट्रिक टन (5.95 प्रतिशत) गेहूं खरीद पाई थी। इसका कारण रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं का अन्य देशों में निर्यात हुआ था।
इस वजह से बाजार भाव 2,800 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल तक थे। इस वजह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए गेहूं भंडारित नहीं हो पाया था और वितरण में गेहूं कटौती कर चावल की मात्रा बढ़ाई गई थी। जबकि 2021-22 में 60 लाख मीट्रिक टन में 56,41,312 मीट्रिक टन (88.44) गेहूं खरीदा गया था।
बाजार भाव ज्यादा होने की वजह से खरीद कम हो रही है। जिसे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। प्रधान व अन्य का सहयोग भी मांगा है। जो किसानों को जागरूक कर केंद्र पर खरीद कराएंगे... राजीव मिश्रा, अपर आयुक्त (विपणन) उप्र।
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