बठिंडा हमला: हमलावरों का कोई सुराग नहीं, SFJ- KTF ने ली जिम्मेदारी
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बठिंडा। पंजाब में यहां अति संवेदनशील कैंट इलाके में बुधवार तड़के हुई फायरिंग में चार जवानों की हत्या के मामले में सेना और पुलिस के हाथ अभी तक उन अज्ञात हमलावरों तक नहीं पहुंच पाए हैं, जो इस वारदात को अंज़ाम देने के बाद फरार हो गये थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने दो हमलावरों के होने की बात कही है लेकिन अभी तक उन्हें गिरफ्तार किये जाने की कोई औपचारिक जानकारी नहीं है।
घटना की जांच के लिए दिल्ली से सेना के अधिकारियों की एक टीम भी बठिंडा कैंट पहुंच चुकी है। इस घटना को अंज़ाम देने की जिम्मेदारी लेने के लिये दो आतंकवादी संगठनों सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) की एंट्री भी हो चुकी है।
एसएफजे प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी कर फायरिंग को अंज़ाम देने की जिम्मेदारी लेते हुये कहा है कि पंजाब को जब तक खालिस्तान के रूप में अलग देश नहीं बनाया जाएगा तब तक ऐसे हमले आगे भी होते रहेंगे। उसने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी धमकी दी है। केटीएफ ने भी अपने लेटर हेड पर इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुये इसे 1984 के स्वर्ण मंदिर पर हुये हमले का बदला बताया है।
इस आतंकवादी संगठन का दावा है कि स्वर्ण मंदिर पर हमला भारतीय फौज ने ही किया था और वह सिखों के कत्लेआम की जिम्मेदार है। इसका अब बदला लिया गया है, जांच से जुड़े पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आतंकवादी संगठनों के इन दावों की भी जांच की जा रही है। इस हमले को लेकर क्राइम सीन रीक्रिएट किया जा रहा है। दिल्ली से पहुंचे सेना अधिकारियों की टीम इसमें जुटी हुई है ताकि यह पता चल सके कि फायरिंग के बाद हमलावर किस दिशा में फरार हुये हो सकते हैं।
कैंट क्षेत्र के अंदर रहने वालों में विभिन्न बटालियनों के जवानों और उनके परिवारों की गिनती की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनमें से कोई गायब तो नहीं है। आपसी रंजिश के पहलू को भी जांच के दायरे में लाया गया है। इस बात का पता भी लगाया जा रहा है कि शहीद हुये जवानों का हाल-फिलहाल में किसी से झगड़ा तो नहीं हुआ था।
सेना और पुलिस अधिकारियों के लिये यह बात भी एक चुनौती बनी हुई है कि कैंट गार्ड कक्ष से चोरी हुई इंसास राइफल कौन ले गया। उन्हें संदेह है कि इसी राइफल का जवानों की हत्या में इस्तेमाल किया गया हो सकता है। जांच के दौरान घटनास्थल से 19 खाली कारतूस भी बरामद हुये थे तथा बाद में तलाशी अभियान में चोरी की गई राइफल भी बरामद हुई थी जिसे फाेरेंसिक जांच के लिये भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि हमला इसी राइफल से या किसी अन्य से किया गया था।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि नकाबपोश हमलावार दो संख्या में थे तथा सफेद कुर्ता-पायजामा पहनकर आए थे। इनमें से एक के हाथ में राइफल और दूसरे के हाथ में कुल्हाड़ी थी। वारदात के बाद वे जंगल की ओर भाग गये। पोस्टमार्टम में मृत जवानों के शरीर पर तेज धारदार हथियार के कोई निशान नहीं पाये गये हैं। फिलहाल जांच को लेकर कोई भी अपडेट सेना या पुलिस की ओर नहीं दिया जा रहा है।
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