रामपुर: सलाखों के पीछे मां के आंचल में रह रही छह माह की बेगुनाह मासूम
कारागार प्रशासन भी बच्ची के खानपान का हर तरह रख रहा है ख्याल
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रामपुर, अमृत विचार। जानलेवा हमले के आरोप में गिरफ्तार मां के साथ उसकी छह माह की बेगुनाह मासूम बच्ची भी जिला कारागार की सलाखों के पीछे बंद है। हालांकि कारागार प्रशासन ने बच्ची के खानपान का हर तरह से ख्याल रख रहा है। जिला कारागार में मौजूदा समय में करीब एक हजार बंदी हैं। जिसमें कुछ महिला भी हैं जो किसी न किसी मामले में आरोपित हैं तो कुछ को सजा हो चुकी है। इन्हीं बंदियों में एक महिला और भी शामिल है जोकि पिछले दिनों 25 मार्च को सिविल लाइन थाना क्षेत्र के एक गांव से आई है। महिला को जानलेवा हमले के आरोप में पुलिस पकड़ा है।
आरोप है कि उसने अपने किसी रिश्तेदार पर हमला कर दिया था, लेकिन वह महिला अकेली नहीं बल्कि उसके साथ उसकी छह माह की मासूम बच्ची भी जेल में की सलाखों में कैद हो गई है, जिसने कोई गुनाह नहीं किया है उसके बाद भी वह मां के साथ बंद है। कौन सी ऐसी पारिवारिक परिस्थितयां ऐसी हैं जिनकी वजह से अभी महिला की जमानत की व्यवस्था नहीं हुई है। बहरहाल, मां तो अपनी बच्ची का पूरी तरह से ख्याल रख ही रही है। जेल प्रशासन ने भी बच्ची का ख्याल रखा है। बच्ची की किलकारियों गूंजती हैं तो उसे दुलारने वाले भी कम नहीं हैं।
किसी ने रखा गुड़िया तो किसी मुन्नी नाम
जिला कारागार में आरोपी महिला की मासूम बच्ची को कई नाम मिल चुके हैं। जब बच्ची किलकारियां मारकर रोती है तो लोग गोद में खिलाने लगते हैं। कोई उसको बेबो, तो कोई गुड़िया, मुन्नी कहकर खिलाता है। वैसे मासूम छह माह की बच्ची का मां अभी तक कोई नामकरण तक नहीं कर सकी है।
सिविल लाइन पुलिस ने 25 मार्च को एक महिला को जानलेवा हमले के आरोप में जेल में दाखिल किया था, लेकिन उसके साथ एक छह माह की मासूम बच्ची भी है। उसका गाइड लाइन के मुताबिक पूरी तरह से ख्याल रखा जा रहा है- प्रशांत मौर्या, जिला कारागार अधीक्षक।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए गाइडलाइन बनाई है, जिसके अनुसार जेल में बंद महिला बंदियों के साथ उनके 6 साल तक के बच्चों को साथ रखने की अनुमति है। इन बच्चों की मनोदशा पर जेल के माहौल का विपरीत प्रभाव न पड़े, इसलिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं। इन्ही नियमों एवं कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार जेल प्रशासन बच्चों की देखरेख करता है। बच्चों को खाने के लिए फल, पीने के लिए दूध, भोजन में खीर आदि पौष्टिक आहार दिया जाता है, जिससे वह शारीरिक एवं मानसिक रूप से कमजोर न हो पाएं।
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