रामपुर: जौहर शोध संस्थान की इमारत खाली कराने को आज प्रशासन उठा सकता है कड़ा कदम
कहां जाएंगे जौहर शोध संस्थान में पढ़ रहे 1479 विद्यार्थी, प्रशासन का नोटिस देखकर पसोपेश में हैं कालेज प्रशासन, 31 मार्च तक जौहर शोध संस्थान की इमारत खाली करने के लिए प्रशासन ने दिया है नोटिस

रामपुर, अमृत विचार। जौहर शोध संस्थान में खुले रामपुर पब्लिक स्कूल के 1479 विद्यार्थी कहां जाएंगे। प्रशासन का नोटिस देखकर कालेज प्रशासन भी पसोपेश में है। रामपुर पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य हिना मुजद्ददी ने बताया कि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है इसके बावजूद प्रशासन ने नोटिस भेज दिया है। प्रशासन ने 31 मार्च 2023 तक जौहर शोध संस्थान की इमारत खाली करने को कहा है। स्कूल की प्रधानाचार्य हिना मुजद्ददी ने बताया कि कक्षा एक से 12वीं तक कक्षाएं हैं उनका काफी फर्नीचर है इतना सामान लेकर कहां जाएंगे। बताया कि स्कूल से सामान नहीं निकाला गया है। दूसरी ओर, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि 31 मार्च को प्रशासन इमारत खाली कराने को कोई कदम उठा सकता है फिलहाल इसके लिए अभी कुछ तय नहीं है शुक्रवार की सुबह ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
नई तहसील के निकट स्थित जौहर शोध संस्थान को सपा शासन काल में आजम खां के मंत्री रहते जौहर ट्रस्ट के नाम पर 100 रुपये सालाना पर 33 साल के लिए लीज पर दे दिया गया था। इस लीज की अवधि तैंतीस-तैंतीस वर्ष के लिए दो बार बढ़ाई जा सकती है। पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां जौहर ट्रस्ट के आजीवन सदस्य हैं। लीज के समय इस जिला कारागार और नई तहसील के निकट जमीन पर मोहम्मद अली जौहर प्रशिक्षण और शोध संस्थान का निर्माण कराए जाने की योजना बनाई गई थी।
जौहर शोध संस्थान में अरबी-फारसी की पढ़ाई के साथ शोध कार्य कराए जाने की बात कही गई थी। इसमें पूर्व मंत्री ने उच्च शिक्षा के साथ प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा शब्द जुड़वा दिया गया था। इसके बाद शोध संस्थान की इमारत में रामपुर पब्लिक स्कूल के नाम से स्कूल शुरू हो गया था। लखनऊ में 28 जनवरी को हुई कैबिनेट की बैठक में शर्तो के उल्लंघन के आधार पर लीज निरस्त कर दी गई थी। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की ओर से 28 मार्च को नोटिस भेजा गया है जिसमें 31 मार्च तक जौहर शोध संस्थान की इमारत खाली करने को कहा गया है।
जौहर शोध संस्थान की इमारत खाली कराए जाने के लिए अभी कुछ तय नहीं है। शुक्रवार की सुबह ही तय होगा और इमारत खाली कराने के लिए प्रशासन कड़ा कदम उठा सकता है। -अंकित कुमार मलिक, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी
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