साहित्योत्सव 2023 : 40 से ज्यादा कार्यक्रमों में 400 लेखकों ने लिया भाग 

साहित्योत्सव 2023 : 40 से ज्यादा कार्यक्रमों में 400 लेखकों ने लिया भाग 

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में साहित्योत्सव 2023 इस वर्ष 40 से ज्यादा कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें देशभर के 400 से ज्यादा लेखकों, कवियों और विद्वानों ने भाग लिया। उत्सव में 60 भाषाओं से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए गए। साहित्योत्सव 2023 के आयोजक साहित्य अकादमी के सचिव के रीनिवासराव ने शनिवार को यहां बताया कि इस वर्ष साहित्योत्सव भारतीय साहित्य और संस्कृति की एकता विषय पर केंद्रित था।

पूर्व के वर्षों में आयोजित होने वाले कार्यक्रम जैसे पूर्वात्तरी, आदिवासी सम्मिलन, युवा साहिती, आओ कहानी बुनें, एलजीबीटीक्यू सम्मिलन और राष्ट्रीय संगोष्ठी के अतिरिक्त इस बार कुछ नए विषय भी जोड़े गए थे जैसे जी 20 को केंद्र में रखते हुए एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य विषयक अखिल भारतीय कवि सम्मिलन, शिक्षा और सृजनात्मकता, वैचारिकता और साहित्य एवं साहित्य और महिला सशक्तिकरण पर विशेष परिचर्चाएँ रखी गई थीं।

साहित्योत्सव 11से 16 मार्च तक आयोजित हुआ। छह दिवसीय इस उत्सव में इस बार 400 से ज़्यादा रचनाकारों ने 40 से ज़्यादा विभिन्न कार्यक्रमों में लगभग 60 भाषाओं का प्रतिनिधित्व किया। साहित्योत्सव की शुरुआत अकादेमी की वर्षभर की प्रमुख गतिविधियों की प्रदर्शनी से हुआ जिसका उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया । साहित्योत्सव का मुख्य आकर्षण साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2022 वितरण समारोह रहा।

इस समारोह के मुख्य अतिथि लब्धप्रतिष्ठ अंग्रेज़ी लेखक एवं विद्वान उपमन्यु चटर्जी थे । प्रतिष्ठित संवत्सर व्याख्यान उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने दिया । अन्य कार्यक्रमों में सात लेखक सम्मिलन, 15 रचना-पाठ कार्यक्रम, 13 परिचर्चाओं के अलावा नारी चेतना, अस्मिता, कथासंधि, लेखक से भेंट और व्यक्ति और कृति जैसे नए कार्यक्रम भी आयोजित किए गए ।

बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम के साथ ही सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी उत्सव का मुख्य आकर्षण रहीं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय महाकाव्यों की स्मृतियाँ, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण था । हिंदी के प्रख्यात कवि, आलोचक एवं साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने इसका उद्घाटन वक्तव्य और प्रख्यात सामाजिक सिद्धांतकार एवं आलोचक आशीष नंदी ने बीज वक्तव्य दिया।

मातृभाषा के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मातृभाषा के महत्त्व पर, भारत में आदिवासी समुदायों के महाकाव्य, संस्कृत भाषा एवं भारतीय संस्कृति आदि पर भी परिचर्चा रखी गई । कुछ अन्य विशेष कार्यक्रम जैसे व्यक्ति एवं कृति में प्रख्यात समाज सुधारक एवं नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी एवं प्रख्यात उद्योगपति एवं लेखक सुनीलकांत मुंजाल, कथा संधि कार्यक्रम में प्रख्यात उर्दू लेखक अब्दुस समद, लेखक से भेंट कार्यक्रम में प्रख्यात मैथिली एवं हिंदी लेखिका उषाकिरण खान उपस्थित रहीं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत ब्रज की होली, क़व्वाली और जयंत कस्तुआर की प्रस्तुति भी हुई। साहित्योत्सव में कज़ाकिस्तान से पधारे लेखक भी उपस्थित रहे और इंडो कज़ाक लेखक सम्मिलन और विदेशों में भारतीय साहित्य पर भी बातचीत हुई ।

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