उस्मान ख्वाजा ने 'होमवर्कगेट' मामले को किया याद, कहा- कोच Mickey Arthur की प्राथमिकताएं गलत थीं

'किसी नये खिलाड़ी के लिये टीम में जगह बनाना वैसे भी कठिन था और इस तरह का कुछ होने पर तो मुझे लग रहा था कि मानों मैं कोई बाहरी हूं'

उस्मान ख्वाजा ने 'होमवर्कगेट' मामले को किया याद, कहा- कोच Mickey Arthur की प्राथमिकताएं गलत थीं

नागपुर। भारत में 2013 की श्रृंखला के दौरान चर्चित 'होमवर्कगेट' मामले के शिकार हुए ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा ने उस समय के टीम प्रबंधन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसकी प्राथमिकता गलत थी और श्रृंखला में अच्छे प्रदर्शन की बजाय सिर्फ कागजों पर रणनीति तैयार करने पर जोर था। चेन्नई और हैदराबाद में भारत से मिली भारी हार के बाद मोहाली टेस्ट में ख्वाजा पदार्पण की तैयारी में थे लेकिन तत्कालीन कप्तान माइकल क्लार्क, कोच मिकी आर्थर और टीम मैनेजर गेविन डोवे से मुलाकात के लिये उन्हें समन किया गया। पाकिस्तान में जन्मे क्रिकेटर ख्वाजा के अलावा जेम्स पेटिंसन, मिशेल जॉनसन और शेन वॉटसन को भी कोच द्वारा दिया गया 'होमवर्क' नहीं करने पर एक मैच के लिये निलंबित कर दिया गया था।

 इन खिलाड़ियों को टीम के प्रदर्शन में सुधार के लिये पूछे गए सवालों के लिखित जवाब देने के लिये कहा गया था। ख्वाजा ने नागपुर में पहले टेस्ट से पूर्व उस मामले को याद करते हुए कहा, उस समय प्राथमिकतायें ही गलत थी। हम मैदान पर अच्छे प्रदर्शन की बजाय कागजों पर सब कुछ सही करना चाहते थे। टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की कर चुके ख्वाजा उस मामले से इतने दुखी हो गए थे कि आस्ट्रेलियाई ड्रेसिंग रूम का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। 

उन्होंने 'सिडनी मार्निंग हेराल्ड' से कहा, मिकी के साथ सारा कोचिंग और सहयोगी स्टाफ दूसरी बातों पर ध्यान केंद्रित कर रहा था लेकिन हमारी हार का वही कारण नहीं था। उन्होंने कहा कि उस समय भारतीय टीम अधिक काबिल थी और यही वजह है कि आस्ट्रेलिया चारों टेस्ट हार गया था । उन्होंने कहा, उस समय हम भारत से काबिल नहीं थे और यही वजह है कि हम हारे। ख्वाजा ने कहा कि उस मामले के बाद उन्हें ऐसा लग रहा था मानों आस्ट्रेलियाई ड्रेसिंग रूम में वह कोई बाहरी हैं। 

उन्होंने कहा, किसी नये खिलाड़ी के लिये टीम में जगह बनाना वैसे भी कठिन था और इस तरह का कुछ होने पर तो मुझे लग रहा था कि मानों मैं कोई बाहरी हूं।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ जब मैने वापसी की तो मुझे पता नहीं था कि फिर इस माहौल में रहना चाहूंगा या नहीं क्योंकि यह बहुत मजेदार नहीं था। लेकिन मैने खुद से सुलह की और खुद को समझाया कि मेरी जिंदगी में खुशी का जरिया सिर्फ क्रिकेट नहीं हो सकता। 

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